
#डुमरी #AyushCamp : आयुर्वेद, होम्योपैथी और योग से ग्रामीणों को मुफ्त उपचार और स्वास्थ्य परामर्श
- राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत डुमरी प्रखंड में आयोजित हुआ स्वास्थ्य शिविर।
- डॉ. रौशनी तिग्गा की देखरेख में बड़ी संख्या में ग्रामीणों को मिला परामर्श।
- जोड़ दर्द, पीठ दर्द और वात-पित्त-कफ रोगों का आयुष पद्धति से इलाज।
- योग शिक्षक ने दिया नियमित योग करने का संदेश—’योग रोज़ करो, निरोग रहो’।
- शिविर में चिकित्सकों, सहिया दिदियों और स्वास्थ्य कर्मियों की सक्रिय भागीदारी।
आयुष चिकित्सा से ग्रामीणों को मिला भरोसा
डुमरी प्रखंड कैंपस में गुरुवार को राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन हुआ। डॉ. रौशनी तिग्गा की देखरेख में संचालित इस शिविर में ग्रामीणों की भारी भागीदारी रही। शिविर में आयुर्वेद, होम्योपैथी और योग पद्धति से मरीजों का उपचार किया गया।
ग्रामीणों को जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव, पीठ दर्द, वात, पित्त और कफ संबंधी रोगों के लिए परामर्श एवं दवाएं प्रदान की गईं। साथ ही, उपस्थित योग शिक्षकों ने लोगों को योग के महत्व और उसके नियमित अभ्यास से होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से बताया।
योग शिक्षक ने कहा: “योग सिर्फ व्यायाम नहीं, बल्कि जीवनशैली का हिस्सा है। रोज़ाना योग करने से शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं।”
शिविर में चिकित्सकों की टीम और जनभागीदारी
इस स्वास्थ्य शिविर में डॉ. अली हैदर, योग प्रशिक्षक सुधीरपाल गिरी और श्वेता, सहिया दिदियों समेत कई स्वास्थ्य कर्मियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ग्रामीणों ने “योग रोज़ करो, निरोग रहो” स्लोगन को सराहा और इसे जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।
डॉ. रौशनी तिग्गा ने कहा: “ग्रामीण क्षेत्रों में आयुष चिकित्सा प्रणाली को बढ़ावा देने का मुख्य उद्देश्य जनजागरूकता और आसान उपचार उपलब्ध कराना है। भविष्य में भी ऐसे शिविरों का आयोजन होता रहेगा।”
ग्रामीणों ने जताई खुशी और आभार
शिविर के समापन पर ग्रामीणों ने कहा कि ऐसे स्वास्थ्य शिविर न केवल मुफ्त इलाज उपलब्ध कराते हैं, बल्कि वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के महत्व को भी सामने लाते हैं। लोगों ने भविष्य में भी इस तरह के कैंप की मांग की।

न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य जागरूकता की दिशा में सराहनीय कदम
आयुष शिविर से यह साबित होता है कि ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने में पारंपरिक चिकित्सा और योग की भूमिका महत्वपूर्ण है। ऐसे प्रयास न केवल रोगमुक्त समाज के निर्माण में सहायक हैं, बल्कि लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सजग करने में भी कारगर साबित हो रहे हैं।
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