Gumla

मिर्च की कीमतों में भारी गिरावट से जारी के किसानों की टूटी कमर, लागत निकालना भी हुआ मुश्किल

Join News देखो WhatsApp Channel
#जारी #मिर्चकीमतसंकट — 70 रुपये किलो बिकने वाली मिर्च अब 10–15 रुपये में, खेतों में ही सड़ रही फसल
  • मिर्च की कीमत 70 रुपये से गिरकर 10–15 रुपये प्रति किलो पर पहुंची
  • कई किसानों ने मिर्च की फसल खेत में ही छोड़ दी सड़ने को
  • लागत, तुड़ाई, परिवहन सब मिलाकर किसान हो रहे हैं घाटे में
  • किसानों ने प्रशासन और सरकार से राहत पैकेज की मांग की
  • अलीमुद्दीन खान बोले: “अब लागत निकालना भी संभव नहीं”

किसानों के माथे पर चिंता की लकीर, खेतों में सड़ रही मेहनत

जारी प्रखंड क्षेत्र और उसके आसपास के कई गांवों में इस वर्ष कई एकड़ भूमि पर मिर्च की खेती की गई, लेकिन अब यह मेहनत किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है।
मिर्च की बाजार कीमतों में जबरदस्त गिरावट के चलते किसान अपने उत्पाद को न तो बेच पा रहे हैं और न ही खेत से उठाने की हिम्मत कर पा रहे हैं।

अलीमुद्दीन खान: लागत भी नहीं निकल रही, हालत बेहद गंभीर

किसान अलीमुद्दीन खान ने बताया कि जहां पहले मिर्च की कीमत 70 रुपये प्रति किलो तक जाती थी, वहीं अब यह गिरकर सिर्फ 10–15 रुपये प्रति किलो रह गई है।

अलीमुद्दीन खान ने कहा: “इतनी मेहनत करने के बाद अगर फसल की कीमत ही न मिले, तो हम जैसे छोटे किसान कहां जाएं? लागत भी नहीं निकल पा रही।”

खेतों में सड़ रही मिर्च, मंडी में बेचारगी

बहुत से किसानों ने अपनी मिर्च खेत में ही सड़ने के लिए छोड़ दी है, क्योंकि तुड़ाई और बाजार तक ले जाने का खर्च भी वहन करना मुश्किल हो गया है।
जो किसान किसी तरह फसल मंडी तक पहुंचा पा रहे हैं, उन्हें भी बोरियों में भरी मिर्च औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ रही है।

बढ़ती लागत, गिरती कीमतें: किसान आर्थिक संकट में

किसानों का कहना है कि रोपाई से लेकर सिंचाई, दवा, तुड़ाई और ट्रांसपोर्ट तक की लागत दिन-ब-दिन बढ़ रही है, लेकिन फसल का मूल्य गिरता जा रहा है। यह असंतुलन उनके लिए भारी आर्थिक संकट का कारण बन गया है।

एक स्थानीय किसान ने कहा: “अगर सरकार अब भी नहीं जागी तो मिर्च किसान आत्महत्या जैसे कठोर कदम उठाने को मजबूर हो जाएंगे।”

राहत पैकेज और सरकारी हस्तक्षेप की मांग

किसानों ने जिला प्रशासन और झारखंड सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने मांग रखी है कि मिर्च किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए और विशेष राहत पैकेज की घोषणा की जाए।

न्यूज़ देखो: खेती की बर्बादी से निकले आक्रोश की आवाज

मिर्च की खेती में घाटा झेल रहे किसानों की यह पीड़ा सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि नीति की विफलता का प्रमाण भी है।
जब मेहनती किसान अपनी फसल मंडी में बेचने के बजाय खेत में सड़ा देते हैं, तो यह सीधे तौर पर प्रशासनिक उदासीनता और बाजार तंत्र की असफलता को दर्शाता है।
न्यूज़ देखो सरकार से आग्रह करता है कि ऐसे संकटों में राहत पैकेज की घोषणा की जाए और किसानों के लिए न्यूनतम मूल्य की गारंटी सुनिश्चित की जाए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

किसान हैं तो देश है — जागरूकता और समर्थन दोनों जरूरी

खेती-बाड़ी इस देश की रीढ़ है और किसानों की सुरक्षा हमारा कर्तव्य। सरकार, समाज और मीडिया — सभी को मिलकर किसानों की इस आवाज को बुलंद करना होगा।
आप इस खबर पर अपनी राय कमेंट करें और इसे अधिक से अधिक साझा करें — ताकि प्रशासन तक यह सच्चाई पहुंचे और कोई किसान संकट में अकेला न रहे।

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20250604-WA0023 (1)
Radhika Netralay Garhwa
IMG-20250610-WA0011
IMG-20250723-WA0070
20250923_002035
1000264265
Engineer & Doctor Academy
IMG-20250925-WA0154
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें

Related News

Back to top button
error: