
#गिरिडीह #आवाससमस्या : चोंगाखार पंचायत के गुरहा गांव में मजदूर परिवार का मकान टूटा, सरकारी योजना का लाभ अब तक अधूरा
- गिरिडीह जिले के बिरनी प्रखंड के गुरहा गांव में मजदूर मितनारायण विश्वकर्मा का कच्चा मकान भारी बारिश से ढह गया।
- परिवार को अब छत की समस्या का सामना करना पड़ रहा है और वे खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।
- मितनारायण का नाम आबुआ आवास योजना की सूची में है, लेकिन अब तक लाभ नहीं मिल पाया।
- मुखिया प्रतिनिधि रामलखन वर्मा ने बताया कि सूची वर्तमान में निलंबित है, दोबारा शुरू होने पर ही लाभ मिलेगा।
- प्रधानमंत्री आवास योजना में जियो टैगिंग पूरी हो चुकी है, सूची बनने के बाद लाभ मिलने की संभावना है।
गिरिडीह जिले के बिरनी प्रखंड के चोंगाखार पंचायत स्थित गुरहा गांव में बीते दिन हुई भारी बारिश ने एक गरीब मजदूर परिवार की जिंदगी बदल दी। गांव निवासी मितनारायण विश्वकर्मा का कच्चा मकान तेज बारिश में अचानक ढह गया, जिससे उसका पूरा परिवार बेघर जैसी स्थिति में आ गया। बरसात के बीच खुले आसमान तले रहना उनके लिए गंभीर चुनौती बन गया है।
पीड़ित की आपबीती
मितनारायण ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि उनका नाम आबुआ आवास योजना की सूची में जरूर है, लेकिन अब तक उन्हें इसका लाभ नहीं मिला है। इस कारण उनका परिवार मजबूरी में टूटी झोपड़ी के मलबे के बीच ही रह रहा है और आने वाले दिनों को लेकर चिंतित है।
मितनारायण विश्वकर्मा ने कहा: “हम गरीब मजदूर लोग हैं। सरकार की योजना में नाम तो है लेकिन अब तक घर नहीं मिला। बारिश में मकान ढह गया, अब बच्चों और परिवार को कहां रखें यही समझ नहीं आ रहा।”
प्रशासनिक स्थिति और बाधाएं
जब इस घटना को लेकर स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि रामलखन वर्मा से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट किया कि मितनारायण का नाम आबुआ आवास सूची में काफी पीछे है और फिलहाल राज्य सरकार ने इस योजना की सूची को निलंबित कर रखा है। ऐसे में योजना फिर से शुरू होने पर ही इसका लाभ मिल सकेगा। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत पीड़ित का जियो टैगिंग कार्य पूरा हो चुका है, और जब नई सूची बनेगी तो उसे लाभ मिलने की संभावना है।
गरीब परिवार की बढ़ी मुश्किलें
तेज बारिश के कारण मकान गिरने से मितनारायण का परिवार अब बेहद दिक्कत में है। एक ओर जहां रोजी-रोटी की समस्या मजदूर वर्ग के सामने रहती है, वहीं अब छत का संकट उनकी मुश्किलों को और बढ़ा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे हालात में प्रशासन को तुरंत वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए ताकि पीड़ित परिवार सुरक्षित रह सके।
न्यूज़ देखो: योजनाओं की सुस्ती से बेघर गरीब
यह घटना दिखाती है कि जब तक सरकारी योजनाओं का लाभ समय पर जरूरतमंदों तक नहीं पहुंचता, तब तक गरीब परिवारों की परेशानियां कम नहीं होंगी। कागजों पर मौजूद नाम और जियो टैगिंग का कोई फायदा नहीं अगर आपदा के समय लोगों को राहत न मिले। प्रशासन को चाहिए कि ऐसे मामलों में त्वरित सहायता और वैकल्पिक आवास व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
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गरीब की छत सुरक्षित होनी चाहिए
मितनारायण जैसे गरीब मजदूरों के लिए एक छत जीवन की बुनियादी जरूरत है। अब वक्त है कि समाज और प्रशासन दोनों मिलकर ऐसे परिवारों की मदद करें। आप भी अपनी राय कमेंट में साझा करें और इस खबर को आगे बढ़ाएं ताकि संबंधित विभाग तक यह आवाज पहुंच सके।