रांची: झारखंड विधानसभा चुनावों में जीत के बाद हेमंत सोरेन सरकार-2 के गठन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। 28 नवंबर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मोरहाबादी मैदान में अपने 11 मंत्रियों के साथ शपथ लेंगे। लेकिन कैबिनेट में जगह को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच खींचतान तेज हो गई है।
कैसे होगा कैबिनेट का बंटवारा?
INDIA गठबंधन ने 5:1 का फॉर्मूला तय किया है, जिसके तहत हर 5 विधायकों पर 1 मंत्री बनाया जाएगा। इस हिसाब से झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) से 6, कांग्रेस से 4 और राजद से 1 मंत्री कैबिनेट में शामिल होंगे। हालांकि, कांग्रेस के 16 विधायकों में से केवल 4 को ही मंत्री पद मिल पाएगा, जिससे विधायकों में असंतोष की स्थिति बनी हुई है।
कांग्रेस में असंतोष, नए चेहरों को मौका?
कांग्रेस के विधायक दल की बैठक में अभी तक नेता का चुनाव नहीं हो पाया है। पार्टी के 16 विधायकों में से कई मंत्री पद की दौड़ में हैं। लेकिन शीर्ष नेतृत्व इस बार नए चेहरों को मौका देने पर विचार कर रहा है। संभावित नामों में पोड़ैयाहाट से प्रदीप यादव, मनिका से रामचंद्र सिंह, पाकुड़ से निसार आलम, और खिजरी से राजेश कच्छप का नाम शामिल है।
राजद से सुरेश पासवान का नाम तय
राजद कोटे से देवघर विधायक सुरेश पासवान का मंत्री बनना लगभग तय है। पहले गोड्डा से संजय यादव का नाम सामने आ रहा था, लेकिन दो यादव विधायकों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए सुरेश पासवान को प्राथमिकता दी गई।
झामुमो से ये चेहरे होंगे शामिल
झारखंड मुक्ति मोर्चा के 6 मंत्रियों में रामदास सोरेन, दीपक बिरुआ, मथुरा महतो, और हफीजुल हसन का नाम लगभग तय है। इसके अलावा, लुईस मरांडी और अनंत प्रताप देव को भी कैबिनेट में शामिल किए जाने की संभावना है। लुईस मरांडी को महिला, आदिवासी, ईसाई और संथाल समुदाय का प्रतिनिधित्व देने के लिए कैबिनेट में लाया जा सकता है।
कैबिनेट में प्रमुख चेहरे
- कांग्रेस: रामेश्वर उरांव, इरफान अंसारी, निसार आलम, प्रदीप यादव
- झामुमो: रामदास सोरेन, दीपक बिरुआ, मथुरा महतो, हफीजुल हसन, लुईस मरांडी, अनंत प्रताप देव
- राजद: सुरेश पासवान
कांग्रेस के लिए चुनौतियां
कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने विधायकों को संतुष्ट करना है। 2019 में मंत्री बनने के लिए कई विधायक दिल्ली तक कैंप कर चुके थे। इस बार पार्टी नए चेहरों को मौका देने की योजना बना रही है, लेकिन इससे पुराने नेताओं में असंतोष बढ़ सकता है।
भविष्य की रणनीति
हेमंत सोरेन का मंत्रिमंडल जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को साधने पर केंद्रित होगा। महतो, आदिवासी, और अल्पसंख्यक वोट बैंक को साधने के लिए पुराने और नए चेहरों का संयोजन किया जाएगा।
28 नवंबर को शपथ ग्रहण के बाद हेमंत कैबिनेट की पहली बैठक में नई सरकार की प्राथमिकताओं और योजनाओं का खाका तैयार किया जाएगा।