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हेमंत सोरेन ने चौथी बार ली मुख्यमंत्री पद की शपथ, मोरहाबादी में सियासी सितारों का जमावड़ा।

रांची। झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने रांची के मोरहाबादी मैदान में भव्य समारोह के दौरान शपथ ली। यह उनके राजनीतिक करियर में चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का ऐतिहासिक मौका था। मंच पर इंडिया गठबंधन के कई बड़े चेहरे जैसे राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव और अन्य नेता मौजूद थे।

मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण कार्यक्रम

हेमंत के शपथ में हर तरफ खुशी, पर राहुल-खड़गे क्यों रहे चुप्पी में घुसी?

हालांकि, शपथ ग्रहण समारोह में जहां पूरे मंच पर जश्न का माहौल था, वहीं राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के चेहरे पर तनाव साफ झलक रहा था। हेमंत सोरेन के शपथ लेने से पहले दोनों नेता करीब 10 मिनट तक गंभीर बातचीत में व्यस्त रहे। उनके हाव-भाव और बार-बार असहज नजर आने से यह सवाल उठने लगा कि आखिर वे इतने टेंशन में क्यों दिख रहे थे।

क्या मंत्रिमंडल गठन है तनाव की वजह?

झारखंड की राजनीति के जानकारों का मानना है कि यह तनाव नई सरकार के मंत्रिमंडल गठन को लेकर हो सकता है। शपथ ग्रहण के दौरान सिर्फ हेमंत सोरेन ने ही शपथ ली, लेकिन किसी मंत्री का शपथ न लेना गठबंधन के भीतर मतभेद की ओर इशारा करता है।

सूत्रों के अनुसार, 2019 में लागू किए गए 5 विधायकों पर 1 मंत्री के फॉर्मूले को ही इस बार भी अपनाने की चर्चा है। इस फॉर्मूले के तहत JMM को 6, कांग्रेस को 4, और राजद को 1 मंत्री पद मिलने की संभावना है। हालांकि, कांग्रेस के अंदर मंत्री पद को लेकर नामों पर सहमति न बन पाने की वजह से मामला उलझा हुआ है।

कांग्रेस विधायकों में खींचतान

कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ विधायक जैसे रामेश्वर उरांव, श्वेता सिंह, और निशत आलम को छोड़कर अन्य नवनिर्वाचित विधायक मंत्री पद की दावेदारी को लेकर दिल्ली में आला नेताओं से मिल चुके हैं। विधायकों ने केसी वेणुगोपाल से मुलाकात कर अपनी पैरवी की थी। माना जा रहा है कि यह अंदरूनी खींचतान राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए चिंता का कारण बन रही है।

शपथ ग्रहण के दौरान भी यह तनाव दोनों नेताओं के चेहरे पर साफ झलकता रहा। हालांकि, कार्यक्रम खत्म होने तक इस बात का कोई ठोस कारण सामने नहीं आया, लेकिन झारखंड के राजनीतिक गलियारों में इस पर चर्चाएं तेज हो गई हैं।

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