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हेमलाल मुर्मू की अमर्यादित टिप्पणी पर बवाल, चंपाई सोरेन ने किया विरोध

झारखंड विधानसभा सत्र के चौथे दिन एक गंभीर घटना घटी, जब झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) विधायक हेमलाल मुर्मू ने बीजेपी विधायक चंपाई सोरेन पर अमर्यादित टिप्पणी की, जिससे सदन में हलचल मच गई। हेमलाल मुर्मू के इस बयान ने न केवल विधानसभा में हंगामा खड़ा किया, बल्कि राज्य की राजनीति में भी तूफान ला दिया। मामला उस समय गरमाया जब मुर्मू ने चंपाई सोरेन के बीजेपी में जाने को लेकर कुछ असंवैधानिक और अपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। इस पर विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने स्थिति को संभालते हुए टिप्पणी को रिकॉर्ड से हटाने का आदेश दिया।

क्या था पूरा मामला?

हेमलाल मुर्मू ने विधानसभा सत्र के दौरान चंपाई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने पर विवादास्पद टिप्पणी की। उन्होंने दावा किया कि वह खुद 10 साल बीजेपी में रहे थे, लेकिन वहां उन्हें वह सम्मान नहीं मिला, जो मिलना चाहिए था।

मुर्मू ने कहा, “मैं 10 साल बीजेपी में रहा, लेकिन वहां मुझे कभी वह सम्मान नहीं मिला, जो झामुमो में मिला।”

उन्होंने भविष्यवाणी की कि वह फिर से झामुमो में लौट आएंगे। इसके अलावा, मुर्मू ने यह भी कहा कि बीजेपी की पकड़ आदिवासी समाज में कमजोर हो गई है, और अब वह समुदाय बीजेपी से अलग हो रहा है।

हेमलाल मुर्मू ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी ने आदिवासी समाज की उपेक्षा की है और अब उनका आधार कमज़ोर हो गया है। मुर्मू की यह टिप्पणी विधानसभा में जबरदस्त बहस का कारण बनी।

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चंपाई सोरेन का विरोध

चंपाई सोरेन ने मुर्मू की टिप्पणी का कड़ा विरोध करते हुए इसे ‘नैतिक पतन‘ करार दिया। सोरेन ने कहा कि हेमलाल मुर्मू ने जो शब्द इस्तेमाल किए, वे विधानसभा की मर्यादा का उल्लंघन हैं। उन्होंने कहा कि यह बयान पूरी तरह से गलत था और इससे उनकी मानसिकता का पता चलता है। चंपाई सोरेन ने यह भी कहा कि वह राजनीति में आदर्श और नैतिकता के पक्षधर हैं, और इस तरह की टिप्पणी का जवाब देना जरूरी है।

हेमलाल मुर्मू का हिमंता विश्व सरमा पर तंज

हेमलाल मुर्मू ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि हिमंता सरमा ने “गोगो दीदी योजना” को पोटली में बांधकर गुवाहाटी ले गए हैं। इस टिप्पणी से स्पष्ट था कि मुर्मू ने असम सरकार के कामकाज और वहां की योजनाओं पर कटाक्ष किया।

इसके साथ ही, मुर्मू ने लिट्टीपाड़ा से विधायक कल्पना सोरेन की भी सराहना की, जिन्होंने बीजेपी के कमल फूल की पंखुड़ियां उड़ा दी। मुर्मू ने दावा किया कि बीजेपी का प्रभाव आदिवासी इलाकों में घट रहा है, और कल्पना सोरेन जैसे नेता इस बदलाव का हिस्सा बन रहे हैं।

बीजेपी ने जमकर विरोध किया

बीजेपी के नेताओं ने हेमलाल मुर्मू की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी विधायक सीपी सिंह और नीरा यादव ने मुर्मू के इस बयान को न केवल असंवैधानिक बल्कि असंसदीय भी बताया। सीपी सिंह ने कहा कि हेमलाल मुर्मू को माफी मांगनी चाहिए और यह सिद्ध करना चाहिए कि वह भारतीय राजनीति के लिए सम्मानजनक शब्दों का उपयोग करने के लिए तैयार हैं।

नीरा यादव ने मुर्मू की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हेमलाल मुर्मू जैसे वरिष्ठ नेताओं को सदन की मर्यादा बनाए रखते हुए बोलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी को अपमानित करने के प्रयास सफल नहीं होंगे, और वे इसे खामोशी से नहीं सहेंगे।

स्पीकर ने की कार्रवाई

विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने सदन की मर्यादा बनाए रखते हुए हेमलाल मुर्मू के शब्दों को रिकॉर्ड से हटा दिया और स्थिति को संभालने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि सदन में किसी भी सदस्य द्वारा असंसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा और जो कुछ भी कहा गया है, वह रिकार्ड से हटा दिया जाएगा। इसके बावजूद, यह टिप्पणी पूरे दिन विधानसभा में चर्चा का केंद्र रही।

हेमलाल मुर्मू की विवादास्पद टिप्पणी ने न केवल झारखंड विधानसभा को प्रभावित किया, बल्कि इससे राज्य की राजनीति में भी हलचल मच गई। इसने यह सवाल भी खड़ा किया कि क्या भारतीय राजनीति में अब भी शिष्टाचार और सम्मान की कोई जगह है, या यह सिर्फ व्यक्तिगत आक्षेपों और बयानबाजी का एक मैदान बन चुका है। हेमलाल मुर्मू द्वारा की गई टिप्पणी पर अभी भी राजनीतिक हलकों में बहस जारी है, और भविष्य में इसका असर और अधिक दिखाई दे सकता है।

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