
#झारखंड #नगरनिकायचुनाव : हाईकोर्ट ने चुनाव न कराने पर राज्य सरकार को चेताया और 10 सितंबर को अगली सुनवाई निर्धारित की
- झारखंड हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनाव में हो रही देरी पर मंगलवार को कड़ी टिप्पणी की और मुख्य सचिव अलका तिवारी को चेताया।
- अदालत ने कहा कि राज्य सरकार संविधान का पालन नहीं कर रही, जबकि हर पांच साल में नगर निकाय चुनाव अनिवार्य हैं।
- सुप्रीम कोर्ट के सुरेश महाजन केस में दिए आदेश का अनुपालन नहीं होने से अवमानना का मामला बन गया है।
- कोर्ट ने सरकार को ट्रिपल टेस्ट के बाद चुनाव कराने के आदेश की प्रति रिकॉर्ड पर लाने का निर्देश दिया और समय-सीमा तय करने को कहा।
- अगली सुनवाई 10 सितंबर 2025 को होगी, जिसमें मुख्य सचिव और नगर विकास सचिव सुनील कुमार को सशरीर उपस्थित होना होगा।
- चुनाव न होने से केंद्र सरकार ने राज्य के 13 नगर निकायों और 35 नगर पंचायतों के लिए 2000 करोड़ रुपए का फंड रोक दिया, जिससे विकास योजनाएं प्रभावित हुई हैं।
नगर निकाय चुनाव में देरी के कारण झारखंड के कई प्रमुख शहरों में विकास कार्य ठप हैं। हाईकोर्ट ने सरकार को चेतावनी दी है कि यह केवल लोकतंत्र का उल्लंघन नहीं बल्कि शहरों के बुनियादी ढांचे और आम जनता की भलाई पर भी असर डाल रहा है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को समय-सीमा तय करने और अगली सुनवाई में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस देरी के चलते मानगो, धनबाद और रांची जैसे शहरों में फंड और योजनाएं अटकी हैं, जिससे आम लोगों को प्रत्यक्ष नुकसान हो रहा है।
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी और सरकार की स्थिति
सुनवाई के दौरान जस्टिस आनंद सेन ने मुख्य सचिव से कहा कि संविधान और राज्य कानून के अनुसार हर पांच साल में नगर निकाय चुनाव कराना अनिवार्य है।
जस्टिस आनंद सेन ने कहा: “अगर समय-सीमा तय नहीं की गई, तो मुख्य सचिव पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार चुनाव टाल रही है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रही।”
मुख्य सचिव अलका तिवारी ने कोर्ट में कहा कि सरकार ने ट्रिपल टेस्ट के बाद ही चुनाव कराने का निर्णय लिया है। अदालत ने आदेश की प्रति रिकॉर्ड पर लाने का निर्देश दिया। नगर विकास सचिव सुनील कुमार भी सुनवाई में मौजूद रहे।
अधिवक्ता विनोद सिंह, जो पूर्व पार्षद रोशन खलखो और अन्य की ओर से याचिका दायर कर रहे हैं, ने कहा कि चुनाव न होने से जनता का काम प्रभावित हो रहा है और नगर निगमों में विकास कार्य ठप हैं।
शहरों में विकास योजनाओं पर गहरा असर
जमशेदपुर: मानगो नगर निगम का गठन 2017 में हुआ। गठन के बाद से चुनाव नहीं हुए। केंद्र ने विकास फंड रोक दिया, जिससे हर साल 250 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। सड़क, नाली और सीवरेज जैसी बुनियादी योजनाएं प्रभावित हुई हैं।
धनबाद: प्रदूषण कम करने के लिए केंद्र से क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत 120 करोड़ रुपए मिलने थे, जो नहीं मिले। इसके कारण लगभग 3 दर्जन सड़क और नाले का निर्माण रुका हुआ है।
रांची: वित्त वर्ष 2023-24 में 15वें वित्त आयोग से स्वीकृत 32 करोड़ रुपए की योजनाओं में पुल, तालाब, सड़क और नाली निर्माण कार्य अटका हुआ है। उदाहरण के लिए, अरगोड़ा तालाब का केवल 50% कार्य पूरा हुआ है। वीआईपी क्षेत्रों में स्ट्रीट लाइट लगी हैं, लेकिन कई आम इलाके अंधेरे में हैं। निगम ने लाइट की मेंटेनेंस कंपनी को भुगतान नहीं किया, जिससे काम बंद हुआ।
केंद्र ने 2000 करोड़ का फंड रोका: राज्य के 13 नगर निकायों का कार्यकाल 2020 में समाप्त हो गया और 35 नगर पंचायतों का कार्यकाल अप्रैल 2023 में समाप्त हुआ। चुनाव न होने से अफसरशाही हावी हो गई और विकास योजनाएं रुक गईं।
नागरिक और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
स्थानीय नागरिकों ने कहा कि चुनाव न होने से जनप्रतिनिधियों के अभाव में उनकी समस्याओं का समाधान कठिन हो गया है। सड़क, नाली, जल आपूर्ति और अन्य बुनियादी सुविधाओं में देरी और भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ गई है।
नगर विकास विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति लोकतंत्र के प्रति विश्वास और प्रशासनिक पारदर्शिता दोनों को प्रभावित करती है।
“हर पांच साल में चुनाव न कराना सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि शहर के विकास और आम जनता के हितों पर बड़ा असर डालता है।”
भविष्य की प्रक्रिया
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई 10 सितंबर 2025 को होगी। मुख्य सचिव को कोर्ट में सशरीर उपस्थित रहकर समय-सीमा तय करने और फंड एवं विकास योजनाओं की स्थिति की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
न्यूज़ देखो: चुनाव में देरी से विकास बाधित और नागरिकों का हित प्रभावित
यह मामला स्पष्ट करता है कि चुनाव में देरी केवल राजनीतिक मसला नहीं है, बल्कि इससे शहरों के बुनियादी ढांचे, विकास और आम नागरिकों के जीवन पर गंभीर असर पड़ रहा है। हाईकोर्ट की सख्त चेतावनी सरकार को जिम्मेदार बनने के लिए मजबूर कर रही है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सजग रहें, सक्रिय बनें
अपने शहर के विकास और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में सक्रिय भागीदारी करें। इस खबर को साझा करें, अपनी राय कमेंट में लिखें और समाज में जागरूकता फैलाएं।