रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना पर रोक लगाने की जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है। इस योजना का उद्देश्य राज्य की महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना है। चीफ जस्टिस की बेंच में हुई इस सुनवाई में अदालत ने योजना को चुनावी लाभ के लिए मानने से इंकार करते हुए इसे निरंतर जारी रखने का निर्देश दिया। इस फैसले से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है और इस योजना के लाभार्थियों में उत्साह का माहौल है।
याचिका में क्या कहा गया है?
मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका सिमडेगा के रहने वाले विष्णु साहू ने दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्य सरकार का इस प्रकार किसी व्यक्ति के खाते में सीधे राशि देना जनता के टैक्स का अनुचित उपयोग है। उनका कहना है कि सरकार को टैक्स से प्राप्त राशि का उपयोग केवल कल्याणकारी योजनाओं में करना चाहिए, न कि व्यक्तिगत रूप से किसी खास वर्ग को लाभ पहुंचाने में। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव से ठीक पहले इस योजना को लाकर सरकार मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रही है, जो निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया पर प्रभाव डाल सकता है।
सरकार का पक्ष
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने इस योजना का बचाव किया और अदालत को बताया कि यह योजना महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से बनाई गई है और इसका उद्देश्य केवल राजनीतिक लाभ नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि योजना के तहत प्रत्येक पात्र महिला को, बिना किसी भेदभाव के, आर्थिक सहयोग मिलेगा। इसका उद्देश्य समाज के उस वर्ग की आर्थिक स्थिति को सुधारना है, जिन्हें इसकी सबसे अधिक जरूरत है।
क्या है मंईयां सम्मान योजना?
मंईयां सम्मान योजना झारखंड सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसके तहत राज्य की पात्र महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये की राशि दी जाती है। दिसंबर से, यह राशि बढ़ाकर 2500 रुपये कर दी जाएगी। सरकार ने हाल ही में घोषणा पत्र में इसका जिक्र किया था और कैबिनेट से भी इसकी मंजूरी मिल चुकी है। योजना का उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें सामाजिक रूप से सशक्त बनाना है। इस बीच, भाजपा ने भी इसके समानांतर अपनी योजना गोगो दीदी योजना की घोषणा की है, जिसमें प्रत्येक महिला को 2100 रुपये प्रतिमाह देने का प्रावधान है।
कल्पना सोरेन की प्रतिक्रिया
हाईकोर्ट के फैसले के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की वरिष्ठ नेता कल्पना सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा, “आज झारखंड की सभी मंईयां की शानदार जीत हुई है। मंईयां सम्मान योजना के खिलाफ PIL करने वालों के मुंह पर करारा तमाचा लगा है। दिसंबर से अब आपके खाते में 2500 रुपए जाएंगे।” उनके इस बयान से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार इस योजना के प्रति प्रतिबद्ध है और इसे महिलाओं के सशक्तिकरण का एक अहम कदम मानती है।
अदालत का फैसला और इसका प्रभाव
हाईकोर्ट के इस फैसले से अब मंईयां सम्मान योजना के तहत धनराशि का वितरण जल्द शुरू होने की संभावना है। राज्य के कई वर्गों ने इस निर्णय का स्वागत किया है, जिससे यह साफ है कि योजना का क्रियान्वयन निर्बाध रूप से जारी रहेगा।
झारखंड हाईकोर्ट का यह फैसला झारखंड सरकार के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। यह योजना राज्य की महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए शुरू की गई है और इससे उनके जीवन में सुधार की उम्मीद है। योजना के भविष्य को लेकर हाईकोर्ट के इस निर्णय से लाभार्थी महिलाओं में एक सकारात्मक संदेश गया है, जो झारखंड के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।