
#बगोदर #कांवड़यात्रा : 51 लीटर गंगाजल लेकर 150 किमी पैदल यात्रा — भक्ति में लीन पांच शिवभक्त पहुंचे झारखंडीधाम के मार्ग पर
- बगोदर के पांच शिवभक्तों ने हरिहरधाम से 51 लीटर जल लेकर शुरू की पैदल कांवड़ यात्रा
- झारखंडीधाम में बाबा भोलेनाथ पर जलाभिषेक करेंगे ये श्रद्धालु
- इस यात्रा में शामिल हैं: अमित कुमार राणा, रंजित कुमार, सन्नी कुमार, विकास यादव और सन्नी माथुर
- यात्रा है संकल्प, श्रद्धा और सामूहिक भक्ति का अद्वितीय प्रतीक
- क्षेत्रीय लोग दे रहे हैं यात्रियों को पानी, फल व विश्राम की सेवा
हर कदम पर भक्ति: शिवभक्तों की अनोखी यात्रा शुरू
गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड से जुड़े पांच शिवभक्तों का एक दल हरिहरधाम से 51 लीटर जल लेकर पैदल झारखंडीधाम की ओर निकल पड़ा है। ये श्रद्धालु बाबा भोलेनाथ के प्रति गहरी आस्था रखते हैं और सावन माह में जलाभिषेक के लिए यह विशेष यात्रा कर रहे हैं। यह यात्रा सांस्कृतिक श्रद्धा और व्यक्तिगत संकल्प का उदाहरण बन गई है।
अमित कुमार राणा, जो इस यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं, ने कहा:
“हमने संकल्प लिया है कि जब तक झारखंडीधाम पहुंचकर बाबा को जल अर्पित नहीं कर लेंगे, तब तक चैन नहीं लेंगे। यह हमारी भक्ति की परीक्षा है।”
51 लीटर जल और सैकड़ों किलोमीटर की आस्था
हरिहरधाम से झारखंडीधाम की दूरी लगभग 150 किलोमीटर है। आमतौर पर कांवरिए 5-10 लीटर जल लेकर यात्रा करते हैं, लेकिन इन युवाओं ने 51 लीटर जल लेकर चलने का संकल्प लिया है, जो न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक दृढ़ता की भी परीक्षा है।
राह में सहयोग बना संबल
यात्रा के दौरान क्षेत्र के कई गांवों और कस्बों में स्थानीय लोग श्रद्धापूर्वक कांवरियों की सेवा कर रहे हैं। कई जगहों पर भोजन, जलपान और विश्राम स्थल की व्यवस्था की गई है, ताकि कांवरिये बिना किसी बाधा के अपनी यात्रा पूरी कर सकें।
स्थानीय लोगों का कहना है:
“ऐसी आस्था देखना सौभाग्य की बात है। हम सबका कर्तव्य है कि इन भक्तों का सम्मान करें और उनकी सेवा में सहभागी बनें।”
सावन का पवित्र महीना और कांवड़ परंपरा
सावन माह में शिवभक्त देशभर में कांवड़ यात्रा करते हैं। यह यात्रा धैर्य, संकल्प, सेवा और ईश्वर भक्ति का मिलाजुला स्वरूप है। गिरिडीह से निकले ये पांच युवा न केवल श्रद्धालु हैं बल्कि समाज को एकता और विश्वास का संदेश भी दे रहे हैं।

न्यूज़ देखो: आस्था के इस सफर में साथ है समाज और संस्कार
न्यूज़ देखो श्रद्धालुओं के इस कठिन और श्रद्धामयी प्रयास को नमन करता है। कांवड़ यात्रा हमारे समाज के धार्मिक मूल्यों, एकजुटता और सह-अस्तित्व की अनूठी पहचान है। ऐसे प्रयासों को देख हम गर्व से कह सकते हैं — झारखंड में आस्था अब भी जीवित है, सशक्त है और प्रेरणादायी है।
धर्म से जुड़िए, सेवा से जुड़िए
अगर आपके आसपास भी कोई कांवड़ यात्रा पर निकला हो, तो उनकी सेवा और सहयोग में सहभागी बनें। धर्म की यात्रा तभी पूर्ण होती है जब समाज उसे सहयोग और सम्मान दे। न्यूज़ देखो आपके क्षेत्र की हर आस्था-यात्रा की खबर आपके पास लाता रहेगा। जुड़े रहिए, जागरूक रहिए।