#रांची #कैबिनेट : डॉ. इरफान अंसारी और सुदिव्य सोनू ने रखा भावनात्मक प्रस्ताव
- गुरुजी शिबू सोरेन का मोराबादी आवास अब बनेगा स्मृति संग्रहालय।
- प्रस्ताव रखा स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी और नगर विकास मंत्री सुदिव्य सोनू ने।
- चिरुडीह में भव्य पार्क और स्टैचू बनाने का भी रखा प्रस्ताव।
- डॉ. अंसारी बोले: “गुरुजी का घर आंदोलन और हमारी भावनाओं का केंद्र है।”
- सुदिव्य सोनू का बयान: “गुरुजी की स्मृतियाँ अमर रहेंगी।”
झारखंड आंदोलन के प्रणेता, पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य के महानायक गुरुजी शिबू सोरेन की विरासत को सहेजने की दिशा में सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। आज हुई कैबिनेट बैठक में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया, जिसके तहत मोराबादी स्थित गुरुजी का सरकारी आवास “गुरुजी स्मृति संग्रहालय” में तब्दील होगा।
स्मृति संग्रहालय का भावनात्मक प्रस्ताव
बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी और नगर विकास मंत्री सुदिव्य सोनू ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के समक्ष यह प्रस्ताव रखा। डॉ. अंसारी ने भावुक होकर कहा –
डॉ. इरफान अंसारी: “गुरुजी का घर सिर्फ एक मकान नहीं, बल्कि झारखंड आंदोलन और हमारी भावनाओं का केंद्र है। उनके घर के हर कोने में उनकी उपस्थिति महसूस होती है। उनकी हर वस्तु हमें उनके संघर्ष की याद दिलाती है। इसीलिए इसे स्मृति संग्रहालय का रूप देना जरूरी है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उनकी विचारधारा और विरासत से प्रेरणा ले सकें।”
नगर विकास मंत्री सुदिव्य सोनू ने भी इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा –
सुदिव्य सोनू: “गुरुजी की स्मृतियाँ अमर रहेंगी। यह संग्रहालय झारखंड की अस्मिता और हमारी लड़ाई की गाथा को हमेशा जीवित रखेगा।”
चिरुडीह में बनेगा पार्क और विशाल प्रतिमा
दोनों मंत्रियों ने इस दौरान गुरुजी की जन्मभूमि चिरुडीह, जामताड़ा में एक भव्य पार्क और विशाल स्टैचू स्थापित करने का भी प्रस्ताव रखा। यह वही भूमि है, जहाँ से गुरुजी ने अपनी सामाजिक और राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की थी।
डॉ. अंसारी ने कहा कि आज वे मंत्री और विधायक हैं तो यह गुरुजी की ही देन है। उन्होंने हमेशा पुत्रवत स्नेह और मार्गदर्शन दिया। उनके नाम पर स्मारक बनना पूरे राज्य के लिए गर्व का विषय होगा।
न्यूज़ देखो: गुरुजी की विरासत को सहेजने की कोशिश
शिबू सोरेन के जीवन और संघर्ष को संग्रहालय और स्मारक के रूप में सहेजने का यह निर्णय न केवल भावनात्मक है, बल्कि झारखंड की आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा। आंदोलन से उपजे त्याग और संघर्ष की कहानियाँ अब ठोस रूप में संरक्षित होंगी।
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आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा
गुरुजी की स्मृतियाँ अब संग्रहालय और स्मारक के रूप में सदैव जीवित रहेंगी। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनकी विरासत से सीखें और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि अधिक से अधिक लोग इस पहल से जुड़ सकें।