#सिमडेगा #शैक्षणिकभ्रमण : पीएम श्री योजना अंतर्गत नवोदय विद्यालय के 77 नन्हें कदमों ने इतिहास और धरोहरों को करीब से जाना
- कोलेबिरा नवोदय विद्यालय के कक्षा 6 के 77 छात्र-छात्राओं का शैक्षणिक भ्रमण आयोजित।
- बच्चों ने रतनगढ़ किला और गोबर सिल्ली का अवलोकन किया।
- प्राचार्य संजय कुमार सिन्हा ने हरी झंडी दिखाकर जताया उत्साह।
- भ्रमण इंचार्ज आशुतोष कुमार पांडे ने सीखने पर दिया जोर।
- शिक्षकों ने बच्चों को इतिहास और संस्कृति से जुड़ने की प्रेरणा दी।
कोलेबिरा: पीएम श्री योजना के तहत नवोदय विद्यालय कोलेबिरा, सिमडेगा के कक्षा 6 के 77 विद्यार्थियों को आज एक विशेष शैक्षणिक भ्रमण पर ले जाया गया। नन्हें कदमों ने जब रतनगढ़ किला और गोबर सिल्ली जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों का अवलोकन किया, तो उनके चेहरों पर उत्साह और गर्व साफ झलक रहा था।
प्राचार्य का प्रेरक संदेश
विद्यालय के प्राचार्य संजय कुमार सिन्हा ने हरी झंडी दिखाकर बच्चों को रवाना किया। उन्होंने कहा:
“ऐतिहासिक स्थलों से परिचय बच्चों को अपने गौरवशाली अतीत से जोड़ता है और उनमें संस्कृति एवं धरोहरों के प्रति सम्मान की भावना उत्पन्न करता है।”
शिक्षकों का मार्गदर्शन और बच्चों का अनुभव
भ्रमण के इंचार्ज आशुतोष कुमार पांडे ने विद्यार्थियों को यात्रा की विशेषताओं और सीखने योग्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा दी। उन्होंने बच्चों से कहा कि हर स्थल का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें, जिज्ञासु प्रश्न पूछें और अपने अनुभवों को नोट्स के रूप में संजोएं।
इस दौरान ज्योति टूटी और सुशील कुमार शर्मा ने रतनगढ़ किला की ऐतिहासिक महत्ता और स्थापत्य विशेषताओं पर विस्तृत जानकारी दी। वहीं, गीता कुमारी ने बच्चों के साथ मिलकर उन्हें सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और महत्व पर समझाया।
संस्कृति और धरोहरों से आत्मीय जुड़ाव
सभी शिक्षकों ने मिलकर विद्यार्थियों को समझाया कि हमारी सांस्कृतिक धरोहरें केवल अतीत की यादें नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और पहचान हैं। भ्रमण ने बच्चों में इतिहास, स्थापत्य कला और संस्कृति के संरक्षण को लेकर नई सोच और उत्साह जगाया।
यह शैक्षणिक यात्रा विद्यार्थियों के लिए एक ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायी अनुभव साबित हुई। बच्चों ने न सिर्फ नई जानकारी हासिल की, बल्कि अपनी ऐतिहासिक धरोहरों से आत्मीय जुड़ाव और सांस्कृतिक गर्व भी महसूस किया।



न्यूज़ देखो: शिक्षा और संस्कृति का संगम
यह यात्रा दिखाती है कि किताबों से बाहर निकलकर बच्चों को जब वास्तविक अनुभव मिलते हैं, तो उनकी सोच और समझ और गहरी होती है। नवोदय विद्यालय की यह पहल न सिर्फ शिक्षा बल्कि संस्कृति और धरोहरों के संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
नन्हें कदम बड़े सपनों की ओर
इतिहास और संस्कृति से जुड़ने वाली ये यात्राएं बच्चों को आत्मविश्वास और गर्व से भर देती हैं। अब समय है कि हम सब भी धरोहरों के संरक्षण की जिम्मेदारी उठाएं। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि और लोग भी प्रेरित हों।