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कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालय बघिमा में एचआईवी/एड्स जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

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#पालकोट #स्वास्थ्य_जागरूकता : छात्राओं को एचआईवी/एड्स से बचाव, भ्रांतियों और कानूनी अधिकारों की दी गई विस्तृत जानकारी
  • कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालय बघिमा, पालकोट में एचआईवी/एड्स जागरूकता कार्यक्रम आयोजित।
  • कार्यक्रम नालसा नई दिल्ली, झालसा रांची और जिला विधिक सेवा प्राधिकार गुमला के निर्देशन में संपन्न।
  • पीएलवी राजू साहू और सीएचओ दीप्ति अनुपा कछलाप ने छात्राओं को लक्षण, कारण और बचाव के उपाय बताए।
  • छात्राओं को डालसा द्वारा निःशुल्क कानूनी सहायता की जानकारी भी दी गई।
  • कार्यक्रम का उद्देश्य—छात्राओं में स्वास्थ्य, सुरक्षा और कानूनी जागरूकता को बढ़ाना।
  • छात्राओं ने सत्र में सक्रिय भागीदारी की और कई महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे।

पालकोट, गुमला। कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालय, बघिमा में शनिवार को एचआईवी/एड्स जैसी संक्रामक बीमारी को लेकर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम नालसा नई दिल्ली और झालसा रांची के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) गुमला द्वारा संचालित किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्राधिकार के अध्यक्ष ध्रुव चंद्र मिश्रा और सचिव रामकुमार लाल गुप्ता के मार्गदर्शन में किया गया।

इस जागरूकता सत्र में विद्यालय की छात्राओं को एचआईवी/एड्स के कारण, संक्रमण के तरीके, शुरुआती लक्षण, रोकथाम के उपाय और इससे जुड़ी आम भ्रांतियों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। पीएलवी राजू साहू और सीएचओ दीप्ति अनुपा कछलाप ने सरल और समझने योग्य तरीकों से बताया कि एचआईवी/एड्स से बचाव पूरी तरह संभव है, बशर्ते समय रहते जानकारी और सावधानी बरती जाए। उन्होंने छात्राओं को सुरक्षित व्यवहार, स्वच्छता और स्वस्थ जीवनशैली के महत्व पर भी जोर दिया।

छात्राओं को दी गई कानूनी सहायता से जुड़ी अहम जानकारी

सत्र के दौरान यह भी बताया गया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार जरूरतमंदों को निःशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराता है। बालिकाओं को जागरूक किया गया कि किसी भी प्रकार की शारीरिक, मानसिक या सामाजिक समस्या होने पर वे डालसा से मदद ले सकती हैं। प्रशिक्षकों ने छात्राओं को उनके कानूनी अधिकार, सुरक्षा संबंधी प्रावधान, तथा महिला एवं बाल संरक्षण कानूनों के बारे में भी जानकारी दी।

छात्राओं ने दिखाई उत्साहपूर्ण भागीदारी

कार्यक्रम में छात्राओं ने खुलकर भाग लिया, कई सवाल पूछे और स्वास्थ्य एवं सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। प्रशिक्षकों ने उनके सभी प्रश्नों का विस्तार से समाधान किया और उन्हें भविष्य में भी जागरूक और सतर्क रहने की सलाह दी। विद्यालय प्रबंधन ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन लड़कियों के आत्मविश्वास और जागरूकता को बढ़ाने में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य और कानूनी जागरूकता का सशक्त मेल

स्कूल स्तर पर एचआईवी/एड्स जैसे विषयों पर जागरूकता अभियान जरूरी हैं, क्योंकि जानकारी ही सुरक्षा का सबसे बड़ा माध्यम है। कानूनी सहायता की जानकारी मिलने से छात्राएं और अधिक सशक्त बनती हैं, जो समाज में सकारात्मक बदलाव का आधार है। ऐसे कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिक्षा का मजबूत नेटवर्क तैयार करते हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

लड़कियों की सुरक्षा और जागरूकता—समाज की साझा जिम्मेदारी

स्कूलों में नियमित जागरूकता कार्यक्रम बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करते हैं।
बेटियों को स्वास्थ्य और कानून की सही जानकारी मिले, यही समाज की मजबूती है।
अपने क्षेत्र के स्कूलों में भी ऐसे कार्यक्रम होने चाहिए—आपकी क्या राय है?
कमेंट कर अपनी बात जरूर लिखें और इस खबर को साझा कर जागरूकता बढ़ाएं।

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