
#मेदिनीनगर #शिक्षकदिवस : हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने शिक्षकों को किया सम्मानित और कवियों की रचनाओं से गूंजा ठाकुर बाड़ी मंदिर प्रांगण
- ठाकुर बाड़ी मंदिर में शिक्षक सम्मान समारोह।
- मुख्य अतिथि डीआईजी नौशाद आलम और सुनील चौबे।
- अध्यक्षता जिला अध्यक्ष आशुतोष तिवारी ने की।
- कवि सत्येंद्र चौबे, रमेश कुमार सिंह, अनुज पाठक समेत कई की प्रस्तुति।
- शिक्षकों और कवियों को शॉल व रामायण पुस्तक देकर सम्मान।
- सैकड़ों ग्रामीण और कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी।
मेदिनीनगर के रेड़मा स्थित ठाकुर बाड़ी मंदिर प्रांगण में शिक्षक दिवस के अवसर पर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम पार्टी) की ओर से आयोजित कार्यक्रम में शिक्षा और साहित्य दोनों का संगम देखने को मिला। मुख्य अतिथि डीआईजी नौशाद आलम और झारखंड प्रदेश प्रभारी सुनील चौबे की मौजूदगी ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। इस अवसर पर कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं का मन मोह लिया, जबकि मंच से शिक्षकों की महत्ता को रेखांकित किया गया।
दीप प्रज्वलन और सम्मान से हुई शुरुआत
समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से किया गया। इसके बाद हम पार्टी के पदाधिकारियों ने मुख्य अतिथि का शॉल और मोमेंटो देकर स्वागत किया। साथ ही उपस्थित कवियों को शॉल और रामायण की पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया गया। इससे पूरे वातावरण में गुरुजनों और साहित्यकारों के प्रति आदर की भावना और गहरी हो गई।
कवियों की रचनाओं से गूंजा प्रांगण
कार्यक्रम में सत्येंद्र चौबे, रमेश कुमार सिंह, अनुज कुमार पाठक, उमेश पाठक रेणु, राकेश कुमार, धनंजय कुमार पाठक, राम प्रवेश पंडित, रीना दुबे, मनीष मिश्रा, प्रियरंजन पाठक जैसे कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका उत्साह बढ़ाया। कवि सम्मेलन ने समारोह को और अधिक जीवंत और यादगार बना दिया।
डीआईजी नौशाद आलम का शायराना अंदाज
मुख्य अतिथि नौशाद आलम (डीआईजी, पलामू रेंज) ने शिक्षक दिवस की महत्ता को याद दिलाते हुए कहा कि यह दिन भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर मनाया जाता है। उन्होंने अपने जीवन के संस्मरण साझा किए और गुरु के महत्व को विशेष रूप से रेखांकित किया।
नौशाद आलम ने कहा: “गुरु ही वह शक्ति हैं, जो इंसान के व्यक्तित्व को आकार देते हैं। गुरु का मार्गदर्शन जीवनभर साथ देता है।”
उन्होंने शायराना पंक्तियों से माहौल को खुशनुमा बना दिया और उपस्थित लोगों की तालियां बटोरीं।
शिक्षक समाज के निर्माता: सुनील चौबे और आशुतोष तिवारी
झारखंड प्रदेश प्रभारी सुनील चौबे ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षक समाज की नींव होते हैं। उनकी भूमिका केवल ज्ञान देने तक सीमित नहीं होती, बल्कि वे आने वाली पीढ़ी को संस्कार और मूल्य भी देते हैं।
जिला अध्यक्ष आशुतोष कुमार तिवारी ने कहा कि डॉ. राधाकृष्णन के योगदान को याद करना हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। शिक्षक ही असल में समाज के निर्माता हैं जो अपने विद्यार्थियों को महान बनाते हैं और राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं।
जनभागीदारी से बढ़ी गरिमा
इस अवसर पर हम पार्टी के कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सैकड़ों ग्रामीणों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लेकर शिक्षक समुदाय के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा और सम्मान प्रकट किया। ग्रामीणों की भागीदारी से यह आयोजन और भी खास बन गया।
न्यूज़ देखो: शिक्षा और संस्कृति का संगम बना समारोह
यह आयोजन केवल शिक्षक दिवस मनाने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि शिक्षा और साहित्य दोनों का एक सुंदर संगम भी बना। कवियों की रचनाओं ने जहां समाज को नए विचार दिए, वहीं शिक्षकों के सम्मान ने उनके योगदान को फिर से रेखांकित किया। ऐसे समारोह समाज को जोड़ते हैं और नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनते हैं।
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गुरुजनों का सम्मान करें और शिक्षा का मान बढ़ाएं
शिक्षक केवल ज्ञान के दीपक ही नहीं, बल्कि समाज की दिशा तय करने वाले पथप्रदर्शक भी हैं। हमें चाहिए कि हम गुरुजनों के प्रति सदैव आदर की भावना रखें और शिक्षा के प्रसार में सहयोग करें। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और शिक्षा और संस्कार की इस भावना को आगे बढ़ाएं।