#चंदवा #लातेहार : सांसद आदर्श ग्राम चटुआग में सड़क अभाव बना दर्दनाक उदाहरण
- चंदवा प्रखंड के चटुआग गांव में सड़क की बदहाली से हुआ मानवीय संकट।
- रिम्स से एम्बुलेंस शव लेकर गांव तक पहुंची, पर सड़क नहीं होने से आगे नहीं जा सकी।
- परिजनों ने कंधे पर शव उठाकर आधा किलोमीटर तक पैदल चलकर पहुंचाया घर।
- मृतक रौशन मुंडा (18 वर्ष) की मौत सड़क हादसे में हुई थी।
- मामला सांसद आदर्श ग्राम चटुआग का, जहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव स्पष्ट दिखा।
लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड के कामता पंचायत स्थित सांसद आदर्श ग्राम चटुआग के टोला पहना पानी में इंसानियत को झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई। यहां रौशन मुंडा (उम्र 18 वर्ष) का शव गांव के रास्ते के अभाव में एम्बुलेंस से घर नहीं पहुंच सका। मजबूर परिजनों को शव को कंधे पर उठाकर आधा किलोमीटर पैदल चलकर घर तक लाना पड़ा।
सड़क के अभाव ने बढ़ाया दुख
जानकारी के अनुसार, रौशन मुंडा की मृत्यु 6 अक्टूबर 2025 को रिम्स, रांची में इलाज के दौरान हुई। दो दिन पूर्व यानी 4 अक्टूबर को वह अपने दो साथियों सुनील टोपनो और बबुआ गंझु के साथ मोटरसाइकिल से बरहमनी बाजार से लौटते समय सांसग के समीप एक पेड़ से टकरा गया था। हादसे में तीनों घायल हुए, जिनमें रौशन की हालत गंभीर थी। उसे पहले सदर अस्पताल लातेहार और फिर रिम्स रांची रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
पिता बोने मुंडा ने रिम्स में बयान दिया: “मेरा बेटा अपने दो साथियों के साथ घर लौटते समय दुर्घटनाग्रस्त हुआ। हमने इलाज की पूरी कोशिश की, लेकिन वह बच नहीं सका।”
एम्बुलेंस सड़क के अभाव में बीच रास्ते रुकी
जब शव रिम्स से एम्बुलेंस द्वारा चटुआग लाया गया, तो वाहन केवल परहैया टोला तक ही जा सका। आगे की सड़क इतनी खराब थी कि एम्बुलेंस वहां पहुंचना संभव नहीं था। इसके बाद ग्रामीणों और परिजनों ने मिलकर शव को कंधे पर उठाया और कच्चे, ऊबड़-खाबड़ रास्ते से गुजरते हुए आधा किलोमीटर पैदल चलकर शव को घर तक पहुंचाया।
आदर्श ग्राम की हकीकत
विडंबना यह है कि यह गांव सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत आता है, जहां विकास कार्यों की प्राथमिकता तय होनी चाहिए थी। परंतु वास्तविकता में सड़क जैसी बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि सालों से सड़क निर्माण की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
ग्रामीणों का कहना है कि “जब सांसद आदर्श ग्राम की यह हालत है, तो बाकी इलाकों का हाल समझा जा सकता है।” उन्होंने सरकार और प्रशासन से गांव में पक्की सड़क, एम्बुलेंस सुविधा और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की मांग की है।
मानवता के आगे झुकी व्यवस्था
यह घटना न केवल एक परिवार के दुख की कहानी है बल्कि व्यवस्था की विफलता का आईना भी है। रौशन मुंडा का शव कंधे पर लेकर पैदल चलने की तस्वीरें और वीडियो अब सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहे हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि “क्या आदर्श ग्राम योजना सिर्फ कागजों पर ही सीमित है?”

न्यूज़ देखो: विकास के दावे और जमीनी सच्चाई में फर्क
चंदवा का यह मामला बताता है कि योजनाओं की चमकदार रिपोर्टों के बीच गांवों की असली स्थिति कितनी दयनीय है। अगर आदर्श ग्राम में भी सड़क और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं नहीं हैं, तो ग्रामीण विकास की अवधारणा अधूरी ही रह जाएगी।
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अब वक्त है जिम्मेदारी के साथ बदलाव का
अब समय है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधि ऐसे गांवों की वास्तविक समस्याओं पर ध्यान दें। सड़क केवल सुविधा नहीं, बल्कि जीवन की डोर है। जब तक ग्रामीण इलाकों को सड़क, बिजली और स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं से नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक विकास अधूरा रहेगा। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि यह आवाज हर स्तर तक पहुंचे।