
#बानो #सामाजिक_संगठन : जिला कमेटी के निर्देश पर आयोजित बैठक में संगठन विस्तार, सामाजिक सुरक्षा और अधिकारों को लेकर अहम निर्णय लिए गए
- हुरदा थाना के समीप मैदान में आदिवासी लोहरा समाज की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित।
- बैठक की अध्यक्षता योगेन्द्र तिर्की ने की, जिला इकाई सिमडेगा के दिशा-निर्देश पर आयोजन।
- रायकेरा, जामतई और गेनमेर पंचायत में समाज का सर्वसम्मति से पुनर्गठन।
- पुनर्गठन में अध्यक्ष योगेन्द्र तिर्की, उपाध्यक्ष राममोहन लोहरा, सचिव दिलीप लोहरा चयनित।
- धर्मांतरण, सामाजिक-सांस्कृतिक सुरक्षा और जाति प्रमाण पत्र की जटिल प्रक्रिया पर गहन चर्चा।
- बैठक में जिला व प्रखंड स्तर के पदाधिकारी और बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित।
बानो प्रखंड क्षेत्र के हुरदा थाना के समीप स्थित मैदान में आदिवासी लोहरा समाज की एक अहम बैठक आयोजित की गई, जिसमें संगठनात्मक विस्तार और समाज से जुड़ी मूलभूत समस्याओं पर गंभीर विचार-विमर्श हुआ। यह बैठक जिला इकाई सिमडेगा की जिला कमेटी के दिशा-निर्देश पर आयोजित की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य जिले के विभिन्न पंचायतों में समाज की मजबूती और एकजुटता को और अधिक सशक्त बनाना रहा। बैठक में बानो प्रखंड के तीन पंचायतों—रायकेरा, जामतई एवं गेनमेर—में आदिवासी लोहरा समाज का पुनर्गठन सर्वसम्मति से किया गया।
जिला कमेटी के निर्देश पर संगठन विस्तार की पहल
बैठक की अध्यक्षता योगेन्द्र तिर्की ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आदिवासी लोहरा समाज को वर्तमान समय में संगठित और जागरूक रहने की आवश्यकता है। जिला कमेटी सिमडेगा द्वारा यह स्पष्ट दिशा-निर्देश दिया गया है कि समाज की इकाइयों को पंचायत स्तर तक मजबूत किया जाए, ताकि सामाजिक, सांस्कृतिक और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा प्रभावी ढंग से हो सके। इसी क्रम में बानो प्रखंड की तीन पंचायतों में संगठनात्मक पुनर्गठन की प्रक्रिया पूरी की गई।
तीन पंचायतों में सर्वसम्मति से पदाधिकारियों का चयन
बैठक के दौरान रायकेरा, जामतई और गेनमेर पंचायत के लिए आदिवासी लोहरा समाज की नई इकाइयों का गठन किया गया। सर्वसम्मति से जिन पदाधिकारियों का चयन हुआ, वे इस प्रकार हैं—
- अध्यक्ष: योगेन्द्र तिर्की
- उपाध्यक्ष: राममोहन लोहरा
- सचिव: दिलीप लोहरा
- उपसचिव: तिलेश्वर लोहरा
- कोषाध्यक्ष: सोमरा लोहरा
नव-निर्वाचित पदाधिकारियों ने समाज के हित में ईमानदारी और निष्ठा के साथ कार्य करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि पंचायत स्तर पर संगठन मजबूत होने से समाज की आवाज प्रशासन और सरकार तक प्रभावी रूप से पहुंचेगी।
धर्मांतरण को बताया गया गंभीर सामाजिक चुनौती
बैठक में समाज से जुड़े तीन प्रमुख मुद्दों पर विशेष रूप से चर्चा की गई। पहला और सबसे अहम मुद्दा धर्मांतरण का रहा। वक्ताओं ने इसे आदिवासी समाज के लिए एक गंभीर सामाजिक समस्या बताया। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण के कारण आदिवासी समाज की पारंपरिक संस्कृति, रीति-रिवाज, मान्यताएं और पहचान धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही हैं।
योगेन्द्र तिर्की ने कहा: “हमारी संस्कृति और परंपरा ही हमारी पहचान है। यदि इसे बचाने के लिए आज संगठित प्रयास नहीं किए गए, तो आने वाली पीढ़ियां अपनी जड़ों से कट जाएंगी।”
समाज के सदस्यों ने निर्णय लिया कि धर्मांतरण के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया जाएगा और समाज के भीतर संवाद और एकता को मजबूत किया जाएगा।
सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक सुरक्षा पर जोर
दूसरे प्रमुख बिंदु के रूप में समाज की सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक सुरक्षा को जल्द से जल्द सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। वक्ताओं ने कहा कि आदिवासी लोहरा समाज को अपने संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक होना होगा। इसके लिए शिक्षा, संगठन और राजनीतिक सहभागिता को बढ़ावा देना जरूरी है।
बैठक में यह भी कहा गया कि पंचायत और प्रखंड स्तर पर समाज की मजबूत इकाई होने से स्थानीय मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाया जा सकेगा और समाज के साथ हो रहे अन्याय का सामूहिक रूप से विरोध किया जा सकेगा।
जाति प्रमाण पत्र की जटिल प्रक्रिया पर चिंता
तीसरा अहम मुद्दा जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने की जटिल प्रक्रिया को लेकर रहा। वक्ताओं ने बताया कि पारंपरिक आदिवासी लोहरा समाज के लोगों को जाति प्रमाण पत्र बनवाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। प्रक्रिया को अत्यधिक जटिल बताते हुए इसे सरल और पारदर्शी बनाने की मांग की गई।
समाज के सदस्यों ने कहा: “जाति प्रमाण पत्र के अभाव में हमारे बच्चे शिक्षा, रोजगार और सरकारी योजनाओं से वंचित रह जाते हैं। यह समस्या तत्काल समाधान की मांग करती है।”
बड़ी संख्या में समाजजन रहे उपस्थित
इस अवसर पर आदिवासी लोहरा समाज के कई प्रमुख पदाधिकारी और शुभचिंतक उपस्थित रहे। इनमें सुखन तिर्की (समाज के शुभचिंतक), सुनील बरवा (जिला उपाध्यक्ष), कांति देवी (प्रखंड कमेटी सचिव), बहुरन लोहरा (बांकी पंचायत अध्यक्ष), हेमंत लोहरा (सचिव), बंधन लोहरा (सहुबेड़ा पंचायत अध्यक्ष) सहित तीनों पंचायतों के बड़ी संख्या में समाज के सदस्य शामिल थे। सभी ने संगठन की मजबूती और समाजहित में एकजुट होकर कार्य करने का संकल्प दोहराया।
न्यूज़ देखो: संगठन की मजबूती से ही बचेगी आदिवासी पहचान
हुरदा में आयोजित यह बैठक आदिवासी लोहरा समाज के संगठनात्मक विस्तार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पंचायत स्तर पर पुनर्गठन से समाज की जड़ें मजबूत होंगी और जमीनी समस्याएं सामने आएंगी। धर्मांतरण, सामाजिक सुरक्षा और जाति प्रमाण पत्र जैसे मुद्दों पर खुलकर चर्चा होना इस बात का संकेत है कि समाज अब अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हो रहा है। प्रशासन और सरकार को भी चाहिए कि इन मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान दे और समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
एकजुट समाज ही सुरक्षित भविष्य की नींव
जब समाज संगठित होता है, तभी उसकी आवाज मजबूत बनती है। आदिवासी लोहरा समाज की यह पहल आने वाली पीढ़ियों के अधिकार और पहचान की रक्षा की दिशा में अहम है। अपनी संस्कृति, परंपरा और अधिकारों को बचाने के लिए जागरूकता और सहभागिता जरूरी है।





