Garhwa

क्षत्रिय इतिहास मिटा तो भारत की आत्मा अधूरी रह जाएगी: गढ़वा में गूंजा क्षत्रिय गौरव एकता का हुंकार

#गढ़वा #क्षत्रिय_गौरव : टाउन हॉल मैदान में महामिलन समारोह, क्षत्रिय इतिहास, धर्म और सामाजिक एकता पर ओजस्वी विचार
  • गढ़वा जिला मुख्यालय के टाउन हॉल मैदान में क्षत्रिय गौरव एकता महामिलन समारोह का आयोजन।
  • बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन ने क्षत्रिय इतिहास और राजनीति पर रखे बेबाक विचार।
  • चतरा के पूर्व सांसद सुनील कुमार सिंह ने कहा—राजपूत इतिहास के बिना भारत का इतिहास अधूरा।
  • दीपक प्रताप देव ने युवाओं को क्षत्रिय इतिहास से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
  • झारखंड में स्वर्ण बोर्ड गठन की जोरदार मांग।
  • समाज की एकता, संस्कृति और जिम्मेदारी पर कई वक्ताओं ने रखे विचार।

गढ़वा जिला मुख्यालय के टाउन हॉल मैदान में आयोजित क्षत्रिय गौरव एकता महामिलन समारोह में क्षत्रिय समाज के इतिहास, धर्म, संस्कृति और सामाजिक एकता को लेकर प्रखर और ओजस्वी विचार सामने आए। समारोह में बड़ी संख्या में क्षत्रिय समाज के लोग जुटे और अपने गौरवशाली अतीत को सहेजने तथा संगठित रहने का संकल्प लिया। वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि यदि क्षत्रिय इतिहास को मिटाने का प्रयास हुआ तो भारत की आत्मा अधूरी रह जाएगी।

इतिहास गढ़ने वाला समाज है क्षत्रिय : आनंद मोहन

समारोह के मुख्य अतिथि बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन ने अपने संबोधन में कहा,

“हम इतिहास पढ़ते या लिखते नहीं, बल्कि इतिहास गढ़ते हैं। क्षत्रिय समाज का इतिहास पराक्रम, त्याग और राष्ट्र रक्षा का इतिहास है।”

उन्होंने कहा कि राजपूत एक राष्ट्रीय समुदाय है, जो पूरे भारत में फैला हुआ है। यदि राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराई जाए तो राजपूत समाज की वास्तविक संख्या, शक्ति और भूमिका स्वतः सामने आ जाएगी। आनंद मोहन ने बताया कि बिहार में स्वर्ण आयोग का गठन उनके प्रयासों का परिणाम है।

वर्तमान राजनीति पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा,

“हिंदुत्व तो बचा, लेकिन क्षत्रिय राजनीति से कटते चले गए, यह हम सभी के लिए गंभीर चिंतन का विषय है।”

छत्रिय धर्म अत्याचार नहीं, संरक्षण का प्रतीक

क्षत्रिय समाज को अत्याचारी और शोषक बताए जाने के आरोपों पर कड़ा विरोध जताते हुए आनंद मोहन ने कहा,

“यदि क्षत्रिय अत्याचारी होते तो भगवान श्रीराम केवट, रीछ, भालू और वानरों को साथ लेकर अधर्म के विरुद्ध खड़े नहीं होते। राम का संघर्ष सत्ता के लिए नहीं, बल्कि धर्म और पीड़ित समाज की रक्षा के लिए था—यही छत्रिय धर्म का मूल है।”

उन्होंने कहा कि क्षत्रिय धर्म का सार सेवा, संरक्षण और न्याय है, न कि दमन।

राजपूत इतिहास के बिना भारत अधूरा : सुनील कुमार सिंह

चतरा के पूर्व सांसद सुनील कुमार सिंह ने कहा कि राजपूतों का इतिहास गौरव, संघर्ष और बलिदान से भरा रहा है।

“राजपूतों ने संघर्ष किया, कटे-मरे, तभी धर्म, संस्कृति और राष्ट्र सुरक्षित रह पाया। यदि राजपूतों का इतिहास हटा दिया जाए तो भारत का इतिहास अधूरा रह जाएगा।”

उन्होंने झारखंड में भी स्वर्ण बोर्ड के गठन की मांग उठाई और कहा कि,

“हमारा इतिहास कलम से नहीं, बल्कि तलवार और रक्त से लिखा गया है।”

साथ ही उन्होंने समाज को संदेश दिया कि एकता का प्रदर्शन केवल मंचों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसकी शुरुआत घर से होनी चाहिए।

युवा पीढ़ी को इतिहास से जुड़ने की जरूरत : दीपक प्रताप देव

बंशीधर–भोजपुर गढ़ के दीपक प्रताप देव ने कहा,

“क्षत्रिय धर्म केवल युद्ध का नाम नहीं है, बल्कि सत्य, न्याय और समाज की रक्षा का संकल्प है।”

उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने गौरवशाली इतिहास को जानें, उससे प्रेरणा लें और संगठित होकर समाज व राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि क्षत्रिय समाज की एकता ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति है।

कई दिग्गज वक्ताओं ने रखे विचार

समारोह में पूर्व मंत्री गिरिनाथ सिंह, बाबू दिनेश सिंह विश्वविद्यालय के कुलाधिपति दिनेश सिंह, पूर्व विधायक राज राजेंद्र प्रताप देव, अखिल भारतीय छत्रिय महासभा ट्रस्ट के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह, नवीनगर के पूर्व विधायक विजय कुमार सिंह उर्फ डब्ल्यू सिंह, 20 सूत्री के पूर्व उपाध्यक्ष नीतेश सिंह, इंदल सिंह, बंटू सिंह, रुपेश सिंह, गौरव प्रताप देव, समाजसेवी बबलू सिंह, अमरेंद्र सिंह, सिया सिंह, मंशा देवी, मुस्कान कुमारी, कृपाल सिंह सहित कई वक्ताओं ने छत्रिय संस्कृति, परंपरा और सामाजिक जिम्मेदारियों पर अपने विचार रखे।

अध्यक्षीय उद्बोधन और सम्मान समारोह

कार्यक्रम की अध्यक्षता शारदा महेश प्रताप देव ने की। उन्होंने स्वागत भाषण में कहा कि ऐसे आयोजन राजपूती एकता को मजबूती देते हैं और समाज को नई दिशा प्रदान करते हैं। मंचासीन सभी अतिथियों को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन आशुतोष शरण सिंह ने किया। उन्होंने कहा,

“छत्रिय धर्म सत्ता का नहीं, सेवा और संरक्षण का प्रतीक है। जब तक समाज संगठित रहेगा, तब तक हमारी पहचान और सम्मान सुरक्षित रहेगा।”

मेधावी बच्चों का सम्मान, सांस्कृतिक प्रस्तुति

इस अवसर पर राजपूत समाज के मेधावी बच्चों रिया सिंह, रोहित कुमार सिंह तथा राहुल सिंह के पिता विजय सिंह को सम्मानित किया गया। वहीं लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव ने वीरता और संस्कृति से जुड़े गीतों की प्रस्तुति देकर पूरे समारोह में जोश और उत्साह भर दिया।

न्यूज़ देखो: एकता से ही सुरक्षित रहेगा गौरव

गढ़वा में आयोजित यह महामिलन समारोह क्षत्रिय समाज की एकजुटता और आत्मचिंतन का प्रतीक बनकर उभरा। वक्ताओं के विचारों ने यह स्पष्ट कर दिया कि इतिहास, संस्कृति और एकता ही समाज की असली पूंजी है। ऐसे आयोजनों से नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जुड़ने की प्रेरणा मिलती है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

आने वाली पीढ़ियों के लिए जिम्मेदारी

इतिहास केवल याद करने की चीज नहीं, उसे सहेजना भी उतना ही जरूरी है।
क्षत्रिय गौरव, एकता और सेवा की भावना को आगे बढ़ाएं।
अपने समाज, संस्कृति और मूल्यों की रक्षा के लिए संगठित रहें।
इस खबर को साझा करें, अपनी राय रखें और समाज को मजबूत बनाने में योगदान दें।

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Rajkumar Singh (Raju)

विशुनपुरा, गढ़वा

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