
#नवडीहा #इफकोफसलसंगोष्ठी
सियाटांड में इफको की वृहद संगोष्ठी, 400 से अधिक किसानों ने लिया हिस्सा
- जिला परिषद अध्यक्ष मुनिया देवी ने की नैनो उर्वरकों की सराहना
- सियाटांड के बिशनपुरा में हुआ जागरूकता कार्यक्रम
- धान और मक्का की खेती पर वैज्ञानिक जानकारी दी गई
- नैनो उर्वरकों से उपज में 8-10% वृद्धि और रोगों में कमी
- इफको अधिकारी बोले— 50% तक घटेगा पारंपरिक खादों का उपयोग
- कार्यक्रम को सफल बनाने में स्थानीय युवाओं की रही अहम भूमिका
किसानों के बीच तकनीकी नवाचारों की नई चेतना
नवडीहा प्रखंड के सियाटांड बिशनपुरा में मंगलवार को इफको द्वारा आयोजित फसल विचार संगोष्ठी में किसानों को खेती में तकनीकी बदलाव की दिशा में जागरूक किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिला परिषद अध्यक्ष मुनिया देवी और विशिष्ट अतिथि मुखिया महेंद्र प्रसाद वर्मा उपस्थित रहे। संगोष्ठी में 400 से अधिक किसान शामिल हुए।
मुनिया देवी ने बताया नैनो उर्वरकों का लाभ
किसानों को संबोधित करते हुए मुनिया देवी ने कहा:
“अब इफको की मदद से किसानों को भारी बोरे ढोने की जरूरत नहीं, क्योंकि सौ ग्राम के लिक्विड में वही क्षमता है। नैनो यूरिया और डीएपी से फसलें बेहतर होंगी, उपज बढ़ेगी और रोगों से भी रक्षा मिलेगी।”
उन्होंने कहा कि सरकार और इफको के सहयोग से तकनीक आधारित खेती को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे किसानों का आर्थिक सशक्तिकरण सुनिश्चित होगा।
खेती को वैज्ञानिक बनाने की सलाह
सियाटांड के मुखिया महेंद्र वर्मा ने किसानों को पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़ते हुए वैज्ञानिक विधियों से खेती करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि इससे खर्च घटेगा और उत्पादन बढ़ेगा।
इफको अधिकारियों ने बताए उन्नत तरीके
इफको के क्षेत्रीय अधिकारी देव कुमार और चंदन कुमार ने धान और मक्का की खेती में आधुनिक तकनीक अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने किसानों से कहा कि बुवाई से पहले बीजों का नैनो डीएपी से शोधन करें, जिससे जड़ों का विकास बेहतर होगा और पौधे स्वस्थ और मजबूत बनेंगे।
“नैनो उर्वरकों के छिड़काव से फसलें हरित बनी रहती हैं, उपज में 8-10 प्रतिशत तक बढ़ोतरी होती है और रोगों का प्रभाव घटता है,” — चंदन कुमार, इफको क्षेत्रीय अधिकारी
उन्होंने यह भी बताया कि खैरा बीमारी से बचाव के लिए जिंक युक्त उर्वरकों का इस्तेमाल आवश्यक है और नैनो खादों से पारंपरिक उर्वरकों की आवश्यकता 50% तक घट जाती है।
स्थानीय सहयोग से कार्यक्रम रहा सफल
कार्यक्रम के सफल संचालन में सुधीर वर्मा (वर्मा बीज भंडार, सियाटांड) की प्रमुख भूमिका रही। साथ ही नीतेश कुमार, नवीन कुमार और संदीप कुमार ने भी आयोजन को व्यवस्थित और सफल बनाने में अहम योगदान दिया।
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