Garhwa

समय, मौसम और मजबूरी को दरकिनार कर—टीम दौलत के जुझारू साथियों ने फिर निभाई मानवता की जिम्मेदारी

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#गढ़वा #रक्तदान : टीम दौलत की तत्परता से एक मरीज को समय पर मिला जीवनदान — रात में बारिश, अगली सुबह दुकान बंद कर फिर किया रक्तदान
  • 24 घंटे के भीतर एक ही मरीज के लिए दो बार किया गया रक्तदान।
  • तेज बारिश और अंधेरे में भी दीनदयाल पासवान अस्पताल पहुंच कर रक्तदान किए।
  • संतोष सोनी ने दुकान बंद कर बिना देरी दूसरे दिन रक्तदान किया।
  • नीरज कुमार ने पहली बार AB+ रक्त देकर सेवा की शुरुआत की।
  • सुभाष गोंड ने O+ रक्तदान कर टीम की श्रृंखला को आगे बढ़ाया।
  • कन्हाई दास, सुनील, विशाल, विष्णु, उपेन्द्र ने पर्दे के पीछे निभाई अहम भूमिका।

जरूरतमंद को जीवनदान देने की श्रृंखला का पहला पड़ाव

बी+ रक्त की तत्काल आवश्यकता की सूचना मिलते ही टीम दिल का दौलत हरकत में आई। यह कोई औपचारिक सेवा नहीं थी—यह था एक इंसानी जुड़ाव, जिसमें जान बचाना प्राथमिकता था। मरीज कन्हाई दास के परिजन थे, इसलिए मामला व्यक्तिगत से भी बढ़कर सामाजिक हो गया। रात के 8 बजे, जब दीनदयाल पासवान अपने सेल्समैन के काम से वापसी पर भारी बारिश में तिलदाग में फंसे थे, तब टीम दौलत के सदस्य वाहन लेकर पहुंचे और उन्हें गढ़वा सदर अस्पताल के ब्लड बैंक लाया गया। दीनदयाल ने वक्त रहते रक्तदान कर जान बचाने में बड़ी भूमिका निभाई।

जब सुबह फिर आई जरूरत, तो संतोष सोनी ने दिखाया साहस

अगले दिन मरीज को दोबारा रक्त की ज़रूरत हुई। इस बार टीम दौलत के सक्रिय सदस्य संतोष सोनी ने बिना समय गंवाए अपनी दुकान बंद की और सीधा ब्लड बैंक पहुंचे। उनका यह कदम यह दर्शाता है कि सामाजिक चेतना और इंसानियत की पुकार के सामने व्यक्तिगत दायित्व भी पीछे रह जाते हैं।

संतोष सोनी ने कहा: “जब कोई ज़रूरतमंद सामने हो, तो दुकान भी बाद में खुल जाएगी, लेकिन जान अगर गई तो वापस नहीं आएगी।”

पहली बार रक्तदान कर बने प्रेरणा स्रोत

टंडवा निवासी नीरज कुमार के लिए यह अवसर पहला रक्तदान था। उन्होंने AB+ रक्त देकर अपने समाजसेवी जीवन की शुरुआत की। वह कहते हैं कि टीम दौलत की कार्यशैली देखकर उन्हें लगा कि अब वह भी सेवा की इस श्रृंखला का हिस्सा बनें। यह उदाहरण यह साबित करता है कि टीम दौलत न सिर्फ रक्तदान करती है, बल्कि नए रक्तदाताओं को भी प्रेरित करती है।

टीम दौलत की श्रृंखला बढ़ाते हुए सुभाष गोंड ने किया योगदान

टीम के सदस्य सुभाष गोंड ने भी O+ रक्तदान कर इस मानवीय प्रयास को और मजबूत किया। उनका यह कार्य यह दिखाता है कि टीम दौलत का संदेश जिले के हर कोने में पहुंच रहा है और लोगों को मानवीय कर्तव्यों की याद दिला रहा है।

पर्दे के पीछे भी निभाई गई अहम जिम्मेदारियां

इन तमाम प्रयासों के पीछे कन्हाई दास, सुनील कुमार, विशाल कुमार, विष्णु मेहता, उपेन्द्र कुशवाहा सहित टीम दौलत के दर्जनों साथी सक्रिय थे। उन्होंने न सिर्फ ब्लड बैंक से समन्वय किया, बल्कि समय पर वाहन, जरूरत की जानकारी और मानसिक समर्थन भी उपलब्ध कराया।

दौलत सोनी, संयोजक – टीम दौलत ने कहा: “हमारी कोशिश हमेशा यही रहती है कि कोई भी व्यक्ति रक्त की कमी से जान न गंवाए। यह कार्य द्रव्य नहीं, भावना का है, और हमारे साथी हर बार इसे सिद्ध करते हैं।”

न्यूज़ देखो: गढ़वा में सेवा का नया सामाजिक आंदोलन

टीम दौलत की ये गतिविधि केवल रक्तदान तक सीमित नहीं—यह एक जागरूक समाज के निर्माण की नींव है। गढ़वा जैसे इलाके में, जहां दूरियां और संसाधनों की कमी अक्सर बाधा बनती हैं, वहां टीम दौलत हर परिस्थिति में तत्परता के साथ मानवता का झंडा बुलंद कर रही है। यह दिखाता है कि जब नागरिक जागरूक होते हैं, तो सरकारी सीमाएं भी बाधा नहीं बनतीं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सकारात्मक सोच से ही बनेगा सशक्त समाज

गढ़वा के इन प्रयासों से यह साफ है कि सेवा का जज़्बा किसी मौसम, समय या स्थिति का मोहताज नहीं होता। अगर आपने भी यह खबर पढ़ी और प्रेरित हुए हैं, तो कृपया कॉमेंट करें, शेयर करें और ऐसे प्रयासों को अपने परिचितों तक पहुंचाएं। क्योंकि एक दिन आपकी भी मदद की ज़रूरत पड़ सकती है—और तब यही समाज आपके साथ खड़ा होगा।

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