
#महुआडांड़ #अवैध_खनन : बिना एनओसी और लाइसेंस चल रहे बांग्ला ईंट भट्ठे—पर्यावरण, स्वास्थ्य और राजस्व सभी पर बढ़ रहा खतरा
- महुआडांड़ प्रखंड में धड़ल्ले से चल रहे अवैध बांग्ला ईंट भट्ठे।
- सरकार के नियम अनुसार केवल घरेलू उपयोग की अनुमति, पर हो रहा व्यावसायिक उत्पादन।
- अधिकांश भट्ठे बिना एनओसी, बिना लाइसेंस, पूरी तरह अवैध संचालन।
- मिट्टी का अवैध उत्खनन, जंगलों का दोहन और राजस्व को करोड़ों की हानि।
- मजदूरों के लिए सुरक्षा इंतजाम नहीं, अत्यधिक प्रदूषण से स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा।
महुआडांड़ प्रखंड में अवैध बांग्ला ईंट भट्ठों का कारोबार इस कदर फल-फूल रहा है कि सरकार द्वारा अवैध खनन पर नियंत्रण को लेकर बनाई गई टास्क फोर्स भी इस धंधे को रोकने में नाकाम दिखाई दे रही है। जिन भट्ठों को केवल घरेलू उपयोग के लिए अनुमति मिली है, वे बड़े पैमाने पर व्यावसायिक उत्पादन कर रहे हैं। मिट्टी का अनियंत्रित उत्खनन, वन क्षेत्र का दोहन और बिना किसी पर्यावरणीय मानक के ईंट निर्माण से स्थानीय पर्यावरण और राजस्व दोनों को भारी नुकसान हो रहा है। प्रखंड के कई गांवों में संचालित लगभग सभी भट्ठों के पास न तो आवश्यक एनओसी है और न ही वैध संचालन का लाइसेंस, फिर भी इनका संचालन बेखौफ जारी है।
घरेलू उपयोग के नाम पर बड़े पैमाने पर व्यावसायिक खेल
स्थानीय जानकार बताते हैं कि बांग्ला ईंट भट्ठे नियमों के अनुसार सिर्फ व्यक्तिगत और घरेलू उपयोग के लिए लगाए जा सकते हैं, लेकिन अधिकांश संचालक निजी उपयोग की आड़ में अवैध रूप से हजारों की संख्या में ईंट बनाकर बाजार में बेच रहे हैं। इससे न केवल सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि वैध ईंट उद्योग करने वाले संचालक भी प्रभावित हो रहे हैं।
बिना एनओसी, बिना लाइसेंस: पूरी तरह अवैध संचालन
अधिकारियों की अनदेखी का फायदा उठाकर यह धंधा लगातार जारी है। भट्ठों के पास पर्यावरण विभाग की कोई स्वीकृति नहीं है, न ही ईंट निर्माण का लाइसेंस। इसके बावजूद बड़े पैमाने पर मिट्टी का उत्खनन जारी है। इस अवैध उत्खनन से खेतों की उर्वरता घट रही है और स्थानीय जलधाराओं पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। ईंट निर्माण के दौरान निकलने वाले धुएं और गैसों ने आसपास के गांवों के लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर डालना शुरू कर दिया है।
मजदूरों की सुरक्षा की अनदेखी
इन भट्ठों में काम करने वाले मजदूर बिल्कुल असुरक्षित वातावरण में काम करते हैं। न उनके लिए मास्क, ग्लव्स, सुरक्षा जूते उपलब्ध कराए जाते हैं और न ही गर्मी तथा धुएं से बचाव के लिए कोई व्यवस्था मौजूद है। भट्ठे की भट्ठियों के पास अत्यधिक गर्मी और जहरीली गैसें उनके स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन रही हैं। मजदूरों की सुरक्षा पर यह खुला खिलवाड़ किसी भी हादसे को जन्म दे सकता है।
पर्यावरण और राजस्व के लिए बढ़ता खतरा
लगातार अवैध उत्खनन और ईंट निर्माण से स्थानीय पर्यावरण पर दबाव बढ़ रहा है। मिट्टी हटने से भूमि कटाव बढ़ा है और कई क्षेत्रों में हरियाली प्रभावित हुई है। यदि जल्द ही कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले वर्षों में यह अवैध गतिविधि स्थानीय पर्यावरण, स्वास्थ्य और सरकारी राजस्व तीनों के लिए बड़ा संकट साबित होगी।

न्यूज़ देखो: अवैध भट्ठों पर कब होगी कड़ी कार्रवाई?
महुआडांड़ में अवैध बांग्ला ईंट भट्ठों का विस्तार शासन-प्रशासन की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। क्या टास्क फोर्स और स्थानीय प्रशासन मिलकर इन भट्ठों को नियंत्रित कर पाएंगे? राजस्व की चोरी और पर्यावरण के नुकसान पर कठोर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी अब अनिवार्य हो गई है।
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पर्यावरण की रक्षा, जनहित की सुरक्षा
स्थानीय संसाधनों का संरक्षण केवल सरकारी दायित्व नहीं बल्कि सामूहिक ज़िम्मेदारी भी है। जब अवैध उत्खनन रुकेंगे और नियम सख्ती से लागू होंगे, तभी आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित धरती छोड़ी जा सकेगी।
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