
#लातेहार #अवैध_कटाई : लाधुप पंचायत के पीरदाग जंगल में लगातार लकड़ी तस्करी, विभागीय कार्रवाई के अभाव से बढ़ी नाराज़गी।
- पीरदाग जंगल में 18 नवंबर 2025 को अवैध लकड़ी कटाई का मामला उजागर हुआ।
- ग्रामीणों के अनुसार तस्कर लकड़ी को सुंदरू मार्ग से लोहरदगा की ओर ले जाते हैं।
- दो वर्षों से अमझरिया, जमुआरी और लाधुप क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर कटाई जारी।
- वन विभाग से 10 दिनों बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं, ग्रामीणों में रोष।
- कटाई से पर्यावरणीय असंतुलन, मिट्टी कटाव और वन्यजीवों पर खतरा बढ़ा।
- ग्रामीणों ने निगरानी बढ़ाने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।।
लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड अंतर्गत लाधुप पंचायत के पीरदाग जंगल में अवैध कटाई का गंभीर मुद्दा फिर सुर्खियों में आया है। 18 नवंबर 2025 को बड़े पैमाने पर लकड़ी काटे जाने की सूचना के बाद भी वन विभाग द्वारा कार्रवाई न करने से ग्रामीण और वन संरक्षण कार्यकर्ता बेहद नाराज़ हैं। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि कटाई का यह सिलसिला नया नहीं है, बल्कि पिछले दो वर्षों से लगातार चल रहा है। तस्कर रात के अंधेरे में जंगल से लकड़ी काटकर सुंदरू मार्ग से लोहरदगा की दिशा में पिकअप वाहनों से भेजते हैं। विभागीय निष्क्रियता ने पूरे मामले को और संदिग्ध बना दिया है।
दो वर्षों से जारी है अवैध कटाई, लेकिन विभाग मौन
स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि अमझरिया, जमुआरी और लाधुप के जंगलों में लगातार पेड़ों की कटाई हो रही है। हर बार शिकायत की जाती है, लेकिन कोई ठोस कदम सामने नहीं आता। लोगों का आरोप है कि विभाग की उदासीनता के कारण लकड़ी माफिया बेखौफ होकर जंगल का दोहन कर रहे हैं।
जंगलों में लकड़ी कटाई की आवाजें अक्सर रात को सुनाई देती हैं और सुबह होते ही पिकअप वाहनों की हलचल बढ़ जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि कुछ स्थानीय मुखबिर तस्करों को सहायता पहुँचाते हैं, जिससे पूरा नेटवर्क सक्रिय रहता है।
मीडिया पूछताछ पर भी चुप्पी, सवालों के घेरे में विभाग
मीडिया कर्मियों द्वारा कार्रवाई स्थिति पूछने के बाद भी वन विभाग ने दस दिनों तक कोई जवाब नहीं दिया। इससे विभाग की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इतनी बड़ी गतिविधि विभाग की जानकारी के बिना संभव नहीं, लेकिन कार्रवाई न होना वन संरक्षण के प्रति लापरवाही का संकेत देता है।
स्थानीय लोगों ने बताया—
“जंगल की कटाई लगातार हो रही है। यदि विभाग चाहे तो 24 घंटे में तस्करी पर रोक लग सकती है, लेकिन कार्रवाई की जगह चुप्पी बनी हुई है, जिससे तस्करों के हौसले और बढ़ गए हैं।”
पर्यावरण और वन्यजीवों पर गंभीर प्रभाव
लगातार कटाई के कारण जंगल का संतुलन बिगड़ रहा है।
- बारिश में मिट्टी कटाव बढ़ रहा है।
- जलस्रोत सूखने का खतरा है।
- कई वन्यजीव अपने प्राकृतिक आवास से पलायन कर रहे हैं।
ग्रामीणों के अनुसार, जंगल के अस्तित्व पर संकट गहरा गया है और आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र बंजर होने का खतरा है।
ग्रामीणों की सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों और वन प्रेमियों ने अवैध लकड़ी तस्करी पर तुरंत रोक लगाने, जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने और जंगलों में नियमित पेट्रोलिंग शुरू करने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि अभी कदम नहीं उठाया गया तो पीरदाग जंगल का नामोनिशान मिटने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।

न्यूज़ देखो: जंगल बचाने की चुनौती और विभाग की जिम्मेदारी
अवैध लकड़ी कटाई का यह मामला सिर्फ विभागीय लापरवाही का उदाहरण नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की पर्यावरणीय सुरक्षा से जुड़ा गंभीर सवाल है। लगातार शिकायतों के बाद भी कार्रवाई नहीं होना विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है। यदि जंगल नहीं बचेंगे, तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था, जल स्रोत और वन्यजीवों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।
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जंगल है तो जीवन है — जनता की आवाज़ आपका हथियार
पेड़ों की कटाई रोकना सिर्फ विभाग की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। यदि आप अपने क्षेत्र में अवैध कटाई देखें, तो तुरंत प्रशासन को सूचित करें और सोशल प्लेटफॉर्म पर जनचेतना फैलाएं।
जंगल बचेंगे तभी आने वाली पीढ़ियाँ सुरक्षित रहेंगी।
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