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डुमरी प्रखंड में सरकारी आदेशों की अवहेलना, अवैध बालू खनन जोरों पर जारी

#डुमरी #अवैधखनन : सरकारी रोक के बावजूद खुलेआम चल रहा बालू का खेल — माफिया लूट रहे लाभ, जनता हो रही परेशान

डुमरी प्रखंड (गुमला) में अवैध बालू खनन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सरकार और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद यहां प्रतिदिन धड़ल्ले से बालू की तस्करी की जा रही है। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक गंभीरता पर सवाल उठाती है, बल्कि आम जनता के लिए भी भारी आर्थिक बोझ लेकर आ रही है। आकांक्षी जिला होने के बावजूद डुमरी प्रखंड में शासन की पकड़ ढीली नजर आ रही है, जिससे बालू माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।

प्रतिबंध के बावजूद खुलेआम खनन

डुमरी प्रखंड के बासा और कटारी घाटों से रोजाना दर्जनों ट्रैक्टर बालू लेकर निकल रहे हैं। सुबह से शाम तक घाटों पर ट्रैक्टरों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं। अधिकतर ट्रैक्टर बिना नंबर प्लेट के चलते हैं ताकि उन्हें चिन्हित न किया जा सके। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह बालू लदे वाहन प्रखंड कार्यालय और थाना के सामने से खुलेआम गुजरते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन को इसकी जानकारी है, लेकिन कार्रवाई नहीं की जा रही।

प्रशासनिक निष्क्रियता या मिलीभगत?

जब प्रतिबंधित खनन इतने खुले तरीके से हो रहा हो, तो यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या यह प्रशासन की लापरवाही है या फिर माफियाओं से मिलीभगत? कई ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने शिकायत की, लेकिन अब तक न कोई छापेमारी हुई और न ही कोई वाहन जब्त किया गया। इससे स्पष्ट है कि या तो शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा, या फिर खनन माफियाओं को अंदरूनी संरक्षण प्राप्त है।

डीसी और एसपी के निर्देशों की अवहेलना

गुमला उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित और पुलिस अधीक्षक हारिश बिन जमां द्वारा पहले ही स्पष्ट आदेश दिया गया है कि एनजीटी के अगले आदेश तक जिले में बालू खनन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित रहेगा। इसके बावजूद डुमरी प्रखंड में यह अवैध गतिविधि बदस्तूर जारी है। यह स्थिति अधिकारियों के आदेशों की अवमानना और प्रशासनिक व्यवस्था की कमजोरी को उजागर करती है।

माफियाओं का फायदा, जनता पर बोझ

अवैध रूप से निकाले जा रहे बालू को माफिया बाजार में दोगुने दाम पर बेच रहे हैं। पहले जहां एक ट्रैक्टर बालू की कीमत 400–500 रुपये होती थी, अब वही बालू 800–900 रुपये में बेचा जा रहा है। इसका सीधा असर ग्रामीणों और निम्न आय वर्ग पर पड़ रहा है, जिन्हें निर्माण कार्य या मरम्मत के लिए बालू खरीदना मुश्किल हो रहा है।

पर्यावरण पर खतरा

इस अवैध खनन से नदियों का पारिस्थितिक तंत्र भी प्रभावित हो रहा है। लगातार बालू निकालने से नदियों की गहराई बढ़ रही है, जिससे बरसात के समय बाढ़ और कटाव की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही जलस्तर में गिरावट और मछलियों के प्रजनन पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है।

न्यूज़ देखो: प्रशासनिक अनदेखी से पनपता अवैध कारोबार

डुमरी में चल रहा यह अवैध खनन सिर्फ कानून की धज्जियां उड़ाने का मामला नहीं है, बल्कि यह प्रशासन की सुस्ती और माफियाओं के मनोबल का भी प्रमाण है। इस गतिविधि से जहां सरकार के राजस्व को नुकसान हो रहा है, वहीं आम लोगों को भी आर्थिक और पर्यावरणीय संकट झेलना पड़ रहा है। यह समय है कि प्रशासन सख्ती से कार्रवाई करे और जवाबदेही तय की जाए। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब समय है कार्रवाई की मांग का

समाज को चाहिए कि ऐसे मुद्दों पर आवाज उठाए और प्रशासन से जवाबदेही की मांग करे। बालू जैसे जरूरी संसाधन का अवैध दोहन न केवल अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है, बल्कि सामाजिक असमानता को भी बढ़ाता है। **अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि अधिक लोग जागरूक हो सकें और दबाव बन सके कि कार्रवाई हो।

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