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मोहम्मद रफी की पुण्यतिथि पर गढ़वा में गूंजे अमर नगमे – संगीत कला महाविद्यालय में हुआ संगीतमयी श्रद्धांजलि समारोह

#Garhwa #SangeetMahotsav : मोहम्मद रफी के अमर गीतों को गढ़वा ने दी अनमोल श्रद्धांजलि

गढ़वा में भारतीय सिने-संगीत के अमर गायक स्वर्गीय मोहम्मद रफी साहब की 45वीं पुण्यतिथि पर आयोजित संगीतमयी श्रद्धांजलि कार्यक्रम ने सभी संगीत प्रेमियों को भावुक कर दिया। कार्यक्रम का आयोजन संगीत कला महाविद्यालय और मेलोडी लवर्स ने संयुक्त रूप से किया। दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन अनुमंडल पदाधिकारी संजय पांडे, पूर्व नगर पंचायत अध्यक्षा अनीता दत, संध्या सोनी, दौलत सोनी, भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष उमेश कश्यप, ज्ञान निकेतन निदेशक मदन केशरी, बीएसकेडी डायरेक्टर संजय सोनी, राम नारायण सोनी, दया शंकर गुप्ता, प्रमोद सोनी और दैनिक भास्कर के चीफ ब्यूरो सियाराम शरण वर्मा ने संयुक्त रूप से किया।

कार्यक्रम में गूंजे रफी साहब के अमर नगमे

इस संगीतमयी शाम में रफी साहब के एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुतियां दी गईं। गोपाल कश्यप ने ‘तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे’, पूर्णिमा कुमारी ने ‘रिमझिम के गीत सावन गाए’, रंजीत किशोर ने ‘ना जा कहीं अब ना जा’ जैसे गीतों से कार्यक्रम को भावनाओं से भर दिया। इसके अलावा ‘मधुबन में राधिका नाचे रे’, ‘दिल के सिवा’, ‘बेखुदी में सनम’, ‘ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं’, ‘बड़े बेवफा हैं’, ‘लिखे जो खत तुझे’, ‘तुझको पुकारे मेरा प्यार’ जैसे अनगिनत नगमे गाए गए, जिन पर दर्शक झूम उठे।

अतिथियों ने दी भावनात्मक श्रद्धांजलि

इस अवसर पर अनुमंडल पदाधिकारी संजय पांडे ने कहा कि “भारतीय सिने-संगीत के अमर गायक रफी साहब की आवाज भले ही भौतिक रूप से खामोश हो गई हो, लेकिन उनकी रूहानी आवाज आज भी हर दिल में गूंजती है।”

अनुमंडल पदाधिकारी संजय पांडे ने कहा: “सीमित संसाधनों में भी इस तरह का कार्यक्रम आयोजित करना संगीत कला महाविद्यालय के लिए सराहनीय है।”

उमेश कश्यप ने कहा कि “रफी साहब की आवाज भारत ही नहीं, पूरे राष्ट्र की पहचान है। कोई भी राष्ट्रीय पर्व उनके गीतों के बिना अधूरा है।”
अनीता दत ने रफी साहब की बहुमुखी प्रतिभा की चर्चा करते हुए कहा कि “चाहे प्रेम गीत हो या भजन, नात हो या क़व्वाली, रफी साहब ने हर विधा में अमिट छाप छोड़ी।”
संध्या सोनी ने कहा कि “रफी साहब के बारे में कुछ कहना सूरज को दीपक दिखाने जैसा है।”

आयोजन में दिखी गढ़वा की सांस्कृतिक ताकत

इस संगीतमयी शाम ने न सिर्फ रफी साहब को श्रद्धांजलि दी, बल्कि गढ़वा की सांस्कृतिक धरोहर को भी उजागर किया। संगीत कला महाविद्यालय के निदेशक प्रमोद सोनी और उनकी टीम के प्रयासों की सभी ने सराहना की। कार्यक्रम के सफल संचालन का श्रेय ज्योति मालाकार को गया, जबकि निर्देशन की जिम्मेदारी निलेश सोनी ने संभाली। मौके पर बड़ी संख्या में गणमान्य लोग, संगीत प्रेमी और स्थानीय कलाकार मौजूद थे।

न्यूज़ देखो: गढ़वा में सुरों की महफिल ने जगाई उम्मीद

इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि संगीत समाज को जोड़ता है और संस्कृति की पहचान को जीवित रखता है। मोहम्मद रफी के गीतों की अमर गूंज गढ़वा की फिज़ा में आज भी ताज़गी भर गई। ऐसे प्रयास बतलाते हैं कि हमारी सांस्कृतिक जड़ें अब भी मजबूत हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

संस्कृति को जिंदा रखने का संकल्प

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