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खबर का असर: असहाय सिमोन बृजिया की मदद को आगे आईं फुलमनी तेलरा, ठंड से बचाव के लिए पहुंचाई राहत सामग्री

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#महुआडांड़ #सामाजिक_मदद : खबर प्रकाशित होने के बाद आईटीआई प्रशिक्षक फुलमनी तेलरा ने बंदूवा गांव जाकर असहाय सिमोन बृजिया को ठंड से बचाव की सामग्री प्रदान की
  • बंदूवा गांव के सिमोन बृजिया की पीड़ा पर प्रकाशित खबर का असर।
  • फुलमनी तेलरा निजी स्तर पर मदद लेकर पहुंचीं।
  • सिमोन को कंबल, जूते, मोजे, स्वेटर व ऊनी टोपी भेंट की गई।
  • सिमोन बिना माता-पिता, बिना घर—दूसरों पर आश्रित होकर जीवन गुजार रहा है।
  • समाज के संवेदनशील लोगों में मदद को लेकर सकारात्मक माहौल।

महुआडांड़ प्रखंड के बंदूवा गांव निवासी सिमोन बृजिया की दयनीय जिंदगी पर न्यूज़ देखो में प्रकाशित खबर का प्रभाव अब साफ तौर पर दिखने लगा है। खबर के बाद समाज के संवेदनशील लोग उसकी सहायता के लिए आगे आने लगे हैं। इन्हीं में से एक नाम है फुलमनी तेलरा, जो आईटीआई कुजरा, लोहरदगा में इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिक ट्रेड की प्रशिक्षण पदाधिकारी हैं। उन्होंने मानवता का परिचय देते हुए सिमोन के लिए ठंड से बचाव की सामग्री उपलब्ध कराई। उनकी पहल से यह साबित हुआ कि सही समय पर उठाया गया कदम किस तरह किसी जरूरतमंद के लिए उम्मीद की किरण बन सकता है।

खबर के बाद शुरू हुई मदद की पहल

खबर पढ़ने के बाद फुलमनी तेलरा भावुक हो उठीं। उन्होंने बताया कि सिमोन का संघर्ष देखकर उन्हें अपना बीता हुआ कठिन समय याद आ गया। उन्होंने तुरंत बंदूवा गांव जाने का फैसला लिया और अधे गांव निवासी सुनेश्वर बृजिया के साथ वहां पहुंचीं।
ग्रामीणों ने बताया कि सिमोन का पुराना घर पूरी तरह गिर चुका है, और वह पिछले कई वर्षों से दूसरों के सहारे रह रहा है। उस समय वह बैल चराने गया था, जहां फुलमनी तेलरा ने जाकर उससे मुलाकात की।

सिमोन की बचपन से संघर्ष की कहानी

सिमोन का जीवन बेहद कठिन रहा है। उसके पिता का निधन तब हुआ जब वह केवल 5 वर्ष का था। कुछ वर्षों बाद उसकी मां दूसरे व्यक्ति से विवाह कर उसे छोड़कर चली गई। भाई-बहनों का आज तक कोई पता नहीं चला।
पिछले 5 वर्षों से वह एक अन्य परिवार के सहारे किसी तरह जीवन बिता रहा है। न घर, न सुरक्षा—सिमोन का पूरा जीवन संघर्ष और आश्रितता में बीत रहा है।

फुलमनी तेलरा ने पहुंचाई राहत

सिमोन की स्थिति देखकर फुलमनी तेलरा ने उसे ठंड से बचाव हेतु 1 कंबल, 1 जोड़ी जूता, 2 जोड़ी मोजा, 1 स्वेटर और 1 ऊनी टोपी प्रदान की।
उन्होंने भावुक होकर कहा:

“यह कोई बड़ा काम नहीं है, लेकिन अगर किसी बेसहारा व्यक्ति के दुख में थोड़ी भी राहत पहुंच जाए, तो वही सबसे बड़ी इंसानियत है।”

फुलमनी की इस मदद से सिमोन के चेहरे पर राहत स्पष्ट दिखाई दी। जिस तरह ठंड बढ़ रही है, ऐसे समय पर यह सहयोग उसके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुआ।

समाज में जागा उम्मीद का भाव

यह घटना दर्शाती है कि संवेदनशीलता आज भी जीवित है। लोग दूसरों का दर्द समझते हैं और समय आने पर मदद के लिए आगे आते हैं। सिमोन के लिए यह मदद केवल ठंड से बचाव नहीं, बल्कि एक नई उम्मीद है कि समाज उसे अकेला नहीं छोड़ेगा।

अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उसे पक्का मकान, आवास योजना का लाभ, और अन्य सरकारी सुविधाएं जल्द उपलब्ध करवाएगा या नहीं।
गांव के लोग भी प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

न्यूज़ देखो : दर्द को आवाज़ देने का असर

जब समाज किसी की पीड़ा को पहचानता है, तभी परिवर्तन की शुरुआत होती है। सिमोन का मामला दिखाता है कि पत्रकारिता की ताकत से जरूरतमंदों तक मदद पहुंच सकती है। अब जिम्मेदारी प्रशासन की है कि वह स्थायी समाधान दे।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

एक कदम दया का, जीवन भर की राहत

किसी की पीड़ा देखकर चुप न रहें—एक छोटा सहयोग भी किसी के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है।
अपने गांव-मोहल्ले में ऐसे लोगों की पहचान करें जो सहायता के पात्र हैं।
इस खबर को साझा करें और दूसरों को भी प्रेरित करें कि इंसानियत को जिंदा रखें।
आपकी एक शेयर किसी असहाय व्यक्ति तक मदद पहुंचा सकती है।

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Ramprawesh Gupta

महुवाडांड, लातेहार

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