
#पलामू #सड़क_मरम्मत : सात दिन में टूटी सड़क बनी सुगम, मुखिया की पहल से गांव में लौटी राहत और उम्मीद
- दरुआ से बाहर जाने वाला मुख्य रास्ता अब हुआ दुरुस्त।
- खबर प्रकाशित होने के सिर्फ 7 दिन में मिला ठोस समाधान।
- मुखिया पूनम देवी ने निजी खर्च से उठाया जिम्मा।
- जेसीबी मशीन से भरवाए गए सड़क के गड्ढे।
- जल्द ही होगा पक्की सड़क का निर्माण।
दरुआ से बाहर जाने वाला मुख्य मार्ग, जो लंबे समय से जर्जर होकर ग्रामीणों के लिए रोजाना की परेशानी का कारण बना हुआ था, आखिरकार राहत का रास्ता बन गया है। हाल ही में इस मुद्दे पर ‘न्यूज़ देखो’ में खबर प्रकाशित हुई थी, जिसने सीधे प्रशासन और जनप्रतिनिधियों तक ग्रामीणों की आवाज पहुंचा दी। नतीजा—महज सात दिन के भीतर समस्या का समाधान हो गया।
मुखिया की निःस्वार्थ पहल से बदली तस्वीर
तीसीबार पंचायत की मुखिया पूनम देवी ने सरकारी फंड का इंतजार न करते हुए अपनी जेब से पैसा खर्च कर जेसीबी मशीन मंगाई और सड़क की मरम्मत करवाई। सड़क पर मिट्टी डालकर गड्ढे भर दिए गए, जिससे ग्रामीणों का आवागमन सुरक्षित और आसान हो गया।
मुखिया पूनम देवी ने कहा: “यह अस्थायी समाधान है, लेकिन जनता को कष्ट में नहीं छोड़ सकते। जैसे ही फंड मिलेगा, इस सड़क को पक्का और टिकाऊ बनवाया जाएगा।”
ग्रामीणों की आंखों में आभार और विश्वास
स्थानीय लोगों ने मुखिया के इस कदम को “सच्चे जनसेवक” की पहचान बताते हुए कहा कि जब जनप्रतिनिधि दिल से काम करें, तो बदलाव में वक्त नहीं लगता। ग्रामीणों का कहना है कि यह कदम सिर्फ सड़क मरम्मत नहीं, बल्कि जनता के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता का जमीनी सबूत है।
‘न्यूज़ देखो’ की रिपोर्टिंग का असर
यह मामला इस बात का उदाहरण है कि मीडिया की सार्थक रिपोर्टिंग किस तरह जनता की समस्याओं को आवाज देकर तत्काल समाधान तक पहुंचा सकती है। ‘न्यूज़ देखो’ की खबर ने न केवल प्रशासन को सचेत किया बल्कि जनप्रतिनिधियों में भी जवाबदेही का भाव जगाया। कई ग्रामीणों ने बताया कि अगर यह मुद्दा खबर के रूप में सामने न आता तो शायद महीनों तक यह रास्ता जर्जर ही रहता।
न्यूज़ देखो: जिम्मेदारी और बदलाव का पुल
‘न्यूज़ देखो’ का उद्देश्य हमेशा से जमीनी मुद्दों को आवाज देना और जिम्मेदार कार्रवाई सुनिश्चित करवाना रहा है। इस मामले में भी, खबर का असर सिर्फ मरम्मत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने एक सकारात्मक उदाहरण पेश किया कि इच्छाशक्ति, संवेदनशीलता और मीडिया की ताकत मिलकर कितनी जल्दी बदलाव ला सकती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सजग नेतृत्व, सशक्त गांव
गांव की असली ताकत उसके नेतृत्व और जनता के बीच के भरोसे में होती है। आइए, हम ऐसे जिम्मेदार और संवेदनशील जनप्रतिनिधियों का हौसला बढ़ाएं, इस खबर को साझा करें, और अपने आसपास भी बदलाव की चिंगारी जगाएं।