
#राजखाड़ #प्रशासनिक_सक्रियता : गर्भवती महिला को खाट पर बिठाकर नदी पार कराने वाली घटना के बाद प्रशासन मौके पर पहुँचा और ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि पुल और सड़क निर्माण अब प्राथमिकता होगी
- गर्भवती महिला चम्पा कुमारी को खाट पर बिठाकर धुरिया नदी पार कराया गया।
- सुधीर चंद्रवंशी ने न्यूज़ देखो के माध्यम से मामले को तुरंत उपायुक्त समीरा एस के संज्ञान में पहुँचाया।
- 16 सितंबर 2025 को अंचल पदाधिकारी, जेई, अमीन और प्रशासनिक टीम मौके पर पहुँचे।
- अधिकारियों ने ग्रामीणों से बातचीत कर स्थिति का प्रत्यक्ष जायजा लिया और भरोसा दिया कि पुल और सड़क निर्माण प्राथमिकता से किया जाएगा।
- ममता वाहन सेवा और स्वास्थ्य केंद्र की अव्यवस्था उजागर हुई, लगभग 70–80 प्रतिशत मामलों में मरीजों से पैसे वसूले जाते हैं।
राजखाड़ अंबेडकर नगर की घटना, जिसमें प्रसव पीड़ा से जूझती महिला को खाट पर बिठाकर नदी पार करना पड़ा, अब प्रशासन और जनता दोनों के लिए बदलाव की ठोस वजह बन चुकी है। न्यूज़ देखो की विस्तृत कवरेज और सुधीर चंद्रवंशी के लगातार प्रयासों ने प्रशासन को तुरंत सक्रिय कर दिया। 16 सितंबर 2025 को सुबह 11 बजे विश्रामपुर अंचल पदाधिकारी, जेई, अमीन और प्रशासनिक टीम गाँव पहुँचे। उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत की, स्थिति का प्रत्यक्ष जायजा लिया और भरोसा दिया कि लंबे समय से लंबित पुल और सड़क निर्माण की मांग अब प्राथमिकता के साथ पूरी की जाएगी।
वर्षों से उपेक्षा और ग्रामीणों की हिम्मत
सुधीर चंद्रवंशी ने News देखो से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान रिपोर्टर तीर्थराज दूबे को बताया कि यह इलाका स्वतंत्रता के बाद से ही उपेक्षित रहा है। लगभग 10–15 दिन पहले भी इसी गाँव में एक महिला को ग्रामीणों ने खाट पर बिठाकर नदी पार कराना पड़ा था। उन्होंने कहा:
“उस दिन लगा था कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। महिलाएँ रो रही थीं, छोटे बच्चे असहाय खड़े थे। इतने वर्षों में किसी ने सुध नहीं ली। लेकिन आज महागठबंधन की सरकार है, उम्मीद की जा सकती है। मैंने इस मुद्दे को माननीय नरेश सिंह जी तक भी पहुँचाने का आग्रह किया है ताकि किसी भी हाल में यहाँ पुल और सड़क बने।”
गाँव चारों ओर से नदी से घिरा है और झारखंड के गिने-चुने इलाकों में से एक है जहाँ पुल निर्माण सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। बड़े नेता आते हैं, आश्वासन देकर चले जाते हैं, लेकिन गरीब और वंचित लोगों की आवाज़ दबा दी जाती थी। अब ग्रामीण जाग चुके हैं और आने वाले समय में उग्र आंदोलन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
उपायुक्त और प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया
सुधीर चंद्रवंशी ने बताया कि उपायुक्त ने अपनी चीर परिचित कार्यपरायणता का उदाहरण दिखाते हुए तुरंत आवश्यक कदम उठाए और 13 सितंबर को ही जेई को नापी के लिए भेजा। गर्भवती महिला को खाट पर बिठाकर नदी पार करना पड़ा और यदि आधा घंटा भी देर होती तो उसकी जान जोखिम में पड़ सकती थी। इसने प्रशासन को गंभीरता से सोचने पर मजबूर किया। उपायुक्त के निर्देश पर सीओ खुद गाँव पहुँचे और स्पष्ट कहा कि इस समस्या का समाधान अब प्राथमिकता के साथ किया जाएगा।
स्वास्थ्य सेवा की पोल
इस घटना ने ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविक स्थिति से रूबरू कराया। महिला को अस्पताल पहुँचाने के लिए सरकारी व्यवस्था का सहयोग उपलब्ध नहीं था। “ममता वाहन” सेवा में लगभग 70–80 प्रतिशत मामलों में मरीजों से 500 से 1000 रुपये तक जबरन वसूली होती है। इस कवरेज से प्रशासन को भी स्थिति की गंभीरता का अंदाजा हुआ और सुधार के निर्देश दिए गए।
सुधीर चंद्रवंशी ने कहा:
“मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री झारखंड की जनता को पूरी सुविधा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। संसाधनों की कोई कमी नहीं है। लेकिन कुछ पदाधिकारियों का रवैया सरकार की छवि खराब कर रहा है। ऐसे पदाधिकारियों को तुरंत हटाया जाना चाहिए।”
उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से आश्वासन दिया कि भ्रष्टाचार और लापरवाही पर लगातार निगाह रखी जाएगी। ग्रामीणों ने भी कहा कि अब वे अपनी माँग से पीछे हटने वाले नहीं हैं।
मीडिया कवरेज का असर
न्यूज़ देखो की जिम्मेदार कवरेज ने यह साबित किया कि मीडिया का सटीक और तथ्यपरक प्रकाशन प्रशासन को सक्रिय कर सकता है। राजखाड़ अंबेडकर नगर की आवाज़ अब झारखंड के उच्च अधिकारियों तक पहुँच चुकी है। उपायुक्त की तत्परता और ग्रामीणों की सामूहिक सक्रियता से यह उम्मीद बन चुकी है कि जल्द ही गाँव में पुल और सड़क की सुविधा मिलेगी और कोई भी गर्भवती महिला फिर कभी खाट पर बिठाकर नदी पार करने को मजबूर नहीं होगी।



न्यूज़ देखो: मीडिया ने प्रशासन को झकझोर दिया
यह घटना और न्यूज़ देखो की विस्तृत कवरेज दिखाती है कि जब जनप्रतिनिधि, मीडिया और नागरिक एकजुट होते हैं तो प्रशासन में सक्रियता आती है और लंबित समस्याओं का समाधान संभव होता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सामूहिक प्रयास से बदलाव संभव
अब समय है कि ग्रामीण, मीडिया और प्रशासन मिलकर अपने अधिकारों की रक्षा करें। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और यह सुनिश्चित करें कि जीवन की बुनियादी सुविधाएँ हर गाँव तक पहुँचें।