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डुमरी के मिरचाईपाठ गांव में जंगली सूअरों के आतंक से किसानों की फसल बर्बाद, ग्रामीणों में भारी चिंता

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#गुमला #कृषि_सुरक्षा : डुमरी प्रखंड के मिरचाईपाठ गांव में जंगली सूअरों की दहशत से किसान आर्थिक संकट में, प्रशासन से समाधान की अपील
  • मिरचाईपाठ गांव के खेतों में शाम ढलते ही जंगली सूअर घुस आते हैं।
  • सबसे अधिक नुकसान मकई की फसल को हुआ है।
  • ग्रामीण रातभर तिरपाल झोपड़ियों में रुककर फसल की निगरानी कर रहे हैं।
  • वन विभाग ने किसानों को टॉर्च दिया और मुआवजे के लिए आवेदन करने को कहा।
  • किसान मांग कर रहे हैं प्रशासन की सक्रिय पहल और उचित मुआवजा
  • कृषि विशेषज्ञों ने मजबूत बाड़ और निगरानी तंत्र लगाने की सलाह दी।

डुमरी प्रखंड के मिरचाईपाठ गांव के किसान इन दिनों जंगली सूअरों के आतंक से परेशान हैं। शाम होते ही दर्जनों की संख्या में सूअर खेतों में धावा बोलते हैं और रातभर फसलों को रौंदकर बर्बाद कर देते हैं। सबसे ज्यादा नुकसान मकई की फसल को हुआ है, जिससे किसान गहरे आर्थिक संकट में हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जून से अब तक जब भी फसल पकने की अवस्था में पहुंचती है, जंगली सूअर झुंड बनाकर खेतों में घुस आते हैं और सारी मेहनत पर पानी फेर देते हैं।

किसानों की मेहनत और परेशानियां

किसान मुन्ना यादव ने बताया:

“हमने महीनों मेहनत की थी, लेकिन अब सब कुछ सूअरों के पेट में चला गया। हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।”

ग्रामीणों ने मजबूरी में खेतों के किनारे तिरपाल लगाकर अस्थायी झोपड़ियां बना ली हैं और रातभर वहीं रुककर फसलों की निगरानी कर रहे हैं। लेकिन जंगली सूअरों की संख्या इतनी अधिक है कि यह उपाय भी कारगर साबित नहीं हो पा रहा।

प्रशासन की उदासीनता और मांगें

ग्रामीणों ने कई बार वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को समस्या की जानकारी दी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। बसंत यादव ने कहा:

“वन विभाग ने हमें सिर्फ एक टॉर्च थमा दिया और कहा कि मुआवजे के लिए आवेदन कीजिए। लेकिन अगर समय रहते कदम नहीं उठाया गया, तो पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी।”

अशोक यादव ने बताया कि पिछले 10 दिनों से अंधेरे में सूअर लगातार खेतों में आ रहे हैं और भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि मौके पर आकर स्थिति का जायजा लें और किसानों को उचित मुआवजा दिलाएं।

विशेषज्ञों का सुझाव

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, जंगली सूअरों से बचाव के लिए खेतों के चारों ओर मजबूत बाड़ लगाना, गांव के पास निगरानी तंत्र विकसित करना और प्राकृतिक शिकारियों का संरक्षण करना आवश्यक है। यह उपाय लंबी अवधि में किसानों को राहत दे सकते हैं।

न्यूज़ देखो: जंगली सूअरों का आतंक और प्रशासन की भूमिका

मिरचाईपाठ में जंगली सूअरों की समस्या दर्शाती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में वन्यजीव और कृषि गतिविधियों के बीच संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है। प्रशासनिक कदम और समय पर मुआवजा सुनिश्चित करना किसानों के जीवन और आर्थिक सुरक्षा के लिए अहम है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

किसानों की सुरक्षा और फसल की रक्षा में सहयोग दें

ग्रामीणों और किसानों को चाहिए कि वे प्रशासन और वन विभाग के संपर्क में रहें और अपने खेतों की सुरक्षा के उपाय अपनाएं। अपने समुदाय को भी जागरूक करें और फसलों की सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभाएं। इस खबर को शेयर करें, अपनी राय दें और सामूहिक प्रयासों से कृषि सुरक्षा सुनिश्चित करें।

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Aditya Kumar

डुमरी, गुमला

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