
#गढ़वा #श्रद्धांजलि : झामुमो जिला समिति की शोकसभा में उमड़ा जनसैलाब
- झामुमो जिला समिति ने कल्याणपुर स्थित आवास पर शोकसभा आयोजित की।
- पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर की मौजूदगी में श्रद्धांजलि दी गई।
- स्व. रामदास सोरेन तीन बार विधायक और दो बार मंत्री रहे।
- आंदोलनकारी नेता के रूप में राज्य निर्माण में निभाई अहम भूमिका।
- शोकसभा में कार्यकर्ताओं ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
गढ़वा में सोमवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा जिला समिति की ओर से आयोजित शोकसभा में शिक्षा मंत्री स्वर्गीय रामदास सोरेन को श्रद्धांजलि दी गई। यह कार्यक्रम पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर के गढ़वा स्थित कल्याणपुर आवास पर आयोजित हुआ, जिसमें पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने भारी संख्या में हिस्सा लिया।
आंदोलन से राजनीति तक का लंबा सफर
रामदास सोरेन का राजनीतिक जीवन संघर्ष और जनसेवा का प्रतीक रहा। वे झारखंड आंदोलन के दौरान सक्रिय रूप से जुड़े रहे और राज्य निर्माण की लड़ाई में उन्होंने अहम योगदान दिया। तीन बार विधायक और दो बार मंत्री रहते हुए उन्होंने जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास किया। उनका राजनीतिक अनुभव और नेतृत्व क्षमता विपक्षी नेताओं द्वारा भी स्वीकार की जाती थी।
कार्यकर्ताओं की यादों में जीवित रहेंगे सोरेन
कार्यक्रम के दौरान झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य मनोज ठाकुर ने कहा कि रामदास सोरेन शांत स्वभाव और सरल व्यक्तित्व के धनी थे। वे पूर्वी सिंहभूम के कई बार जिला अध्यक्ष भी रहे। ठाकुर ने भावुक होकर कहा कि,
मनोज ठाकुर: “हमने उनके साथ सैकड़ों बैठकों में भाग लिया है। राज्य निर्माण में उनका योगदान अमूल्य है और उनका जाना पार्टी के लिए गहरी क्षति है।”
श्रद्धांजलि सभा में भारी उपस्थिति
शोकसभा में जिला अध्यक्ष शंभु राम, जिला सचिव शरीफ अंसारी सहित कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे। सभी ने दो मिनट का मौन रखकर स्व. सोरेन की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। सभा के दौरान वातावरण गमगीन था और कार्यकर्ताओं ने उन्हें सच्चा जननेता बताते हुए उनके अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया।
न्यूज़ देखो: आंदोलनकारी नेता की कमी पूरी करना मुश्किल
रामदास सोरेन का जाना झारखंड के राजनीतिक और सामाजिक जीवन के लिए गहरी क्षति है। उनका संघर्ष, सरलता और जनता से गहरा जुड़ाव उन्हें विशेष बनाता था। पार्टी और राज्य, दोनों के लिए यह अपूरणीय क्षति है जिसकी भरपाई निकट भविष्य में संभव नहीं है।
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अब हमारी जिम्मेदारी है उनके सपनों को आगे बढ़ाना
रामदास सोरेन जैसे आंदोलनकारी नेताओं की विरासत हमें प्रेरणा देती है कि हम समाज और राज्यहित में निष्ठा और समर्पण के साथ काम करें। अब समय है कि हम सब मिलकर उनके अधूरे कार्यों को आगे बढ़ाएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि उनका संदेश और योगदान अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे।