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गिरिडीह में वन विभाग ने गरीब आदिवासी का अबुआ आवास तोड़ा, विधायक जयराम महतो ने किया दौरा और दिया पुनर्निर्माण का निर्देश

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#गिरिडीह #वनविभागकार्रवाई : गरीब आदिवासी परिवार का अबुआ आवास तोड़े जाने के बाद विधायक जयराम महतो ने तुरंत कार्रवाई कर पुनर्निर्माण का निर्देश दिया
  • डुमरी प्रखंड अंतर्गत जीतकुंडी पंचायत के ओहदार गांव में लुपसी टुडू का अबुआ आवास वन विभाग द्वारा तोड़ा गया।
  • पीड़ित परिवार अत्यंत गरीब आदिवासी है और अब उनके रहने की समस्या उत्पन्न हो गई।
  • डुमरी विधायक जयराम कुमार महतो तुरंत मौके पर पहुंचे और परिवार से मुलाकात कर घटना का जायजा लिया।
  • विधायक ने डीएफओ, रेंजर और प्रखंड विकास पदाधिकारी से दूरभाष पर बात कर पुनर्निर्माण का आदेश दिया और गरीब के साथ अन्याय न करने का निर्देश दिया।
  • विधायक ने कहा कि हजारों एकड़ वन जमीन माफिया और पूंजीपतियों द्वारा कब्जा किए गए हैं, उन पर कार्रवाई करने का साहस वन विभाग को दिखाना चाहिए।
  • गरीबों को अधिकार और सुरक्षा देने के लिए संविधान के सिद्धांतों का पालन सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया।

डुमरी प्रखंड के ओहदार गांव में लुपसी टुडू का अबुआ आवास वन विभाग की कार्रवाई में क्षतिग्रस्त हो गया। यह परिवार पिछले कई वर्षों से अपने सीमित संसाधनों से अपने घर का निर्माण कर रहा था। घटना की सूचना मिलने के तुरंत बाद डुमरी विधायक जयराम कुमार महतो घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवार से मिलकर उनकी समस्या समझी और वन विभाग की कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताई।

विधायक का निर्देश और वन विभाग को संदेश

विधायक ने डीएफओ, रेंजर और प्रखंड विकास पदाधिकारी से दूरभाष पर बात कर स्पष्ट निर्देश दिया:

जयराम महतो ने कहा: “गरीब आदिवासी परिवार के साथ गलत व्यवहार और अत्याचार बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। तोड़े गए अबुआ आवास की दीवार को पुनः जोड़ने का कार्य तुरंत कराया जाए और भविष्य में गरीब के साथ किसी प्रकार की अव्यवस्था या बाधा न डाली जाए।”

विधायक ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार और वन विभाग को गरीब और कमजोर वर्ग के हितों की रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जंगल की हज़ारों एकड़ जमीन माफिया और पूंजीपतियों ने कब्जा कर ली है, लेकिन गरीब आदिवासी के अधिकारों पर अंकुश नहीं होना चाहिए।

संविधान और गरीबों के अधिकार

विधायक ने जोर देकर कहा कि संविधान केवल अमीरों या शक्तिशाली लोगों के लिए नहीं है बल्कि गरीबों और कमजोर वर्ग को समान अधिकार और सुरक्षा प्रदान करने के लिए है। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष जारी रहेगा और गरीबों के हक की लड़ाई में कोई समझौता नहीं होगा।

न्यूज़ देखो: गरीब आदिवासी के अधिकार और सरकारी जिम्मेदारी

यह घटना दर्शाती है कि ग्रामीण और गरीब समुदाय अभी भी अपनी मूलभूत आवश्यकताओं और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। विधायक का तत्काल हस्तक्षेप और वन विभाग को निर्देश देना यह साबित करता है कि राजनीतिक नेतृत्व ही ऐसे मामलों में न्याय सुनिश्चित कर सकता है। प्रशासन और वन विभाग के लिए यह चेतावनी है कि गरीबों के अधिकारों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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सामाजिक न्याय और सक्रिय नागरिकता का संदेश

हमारे समाज में कमजोर और गरीब वर्ग की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है। ऐसे मामलों में आवाज उठाना और सरकार तथा प्रशासन को जवाबदेह बनाना अत्यंत आवश्यक है। अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहें। अपनी राय कमेंट में साझा करें, खबर को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएँ और समाज में समानता और न्याय के लिए सक्रिय योगदान दें। गरीबों के हक की रक्षा हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

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Surendra Verma

डुमरी, गिरिडीह

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