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गिरिडीह में श्रमिक संगठनों ने केंद्र सरकार के चार श्रम संहिता लागू होने का विरोध किया

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#गिरिडीह #श्रम_सुरक्षा : एलआईसी गिरिडीह कार्यालय के सामने अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ और अन्य श्रमिक संगठनों ने नए श्रम संहिता के विरोध में द्वार प्रदर्शन किया
  • गिरिडीह में एलआईसी कार्यालय के सामने श्रमिकों ने द्वार प्रदर्शन किया।
  • विरोध का कारण केंद्र सरकार द्वारा 21 नवंबर 2025 को अधिसूचित चार श्रम संहिता।
  • प्रमुख संगठनों में अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ और बीएसएसआरयू शामिल।
  • प्रदर्शन में श्रमिक नेता धर्म प्रकाश, मृदुल कांति, संजय शर्मा, विजय कुमार, राजेश कुमार उपाध्याय, उमानाथ झा, स्वेता, विनय कुमार, देवनाथ दास, प्रीतम कुमार आदि शामिल।
  • नए कोड्स में EPF योगदान घटाना, हड़ताल के अधिकार सीमित करना, कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड रोजगार बढ़ाना जैसी बातें शामिल।

गिरिडीह में एलआईसी कार्यालय के सामने बुधवार को श्रमिक संगठनों द्वारा केंद्र सरकार के अधिसूचित चार श्रम संहिता के विरोध में प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ के साथ कई अन्य श्रमिक संगठन भी शामिल हुए। बीमा कर्मचारी संघ के सचिव धर्म प्रकाश ने बताया कि ये चार कोड—वेज कोड 2019, इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड 2020, सोशल सेक्रूटी कोड 2020 और व्यावासिक सुरक्षा एवं कार्य परिस्थिति कोड 2020—मजदूरों के बजाय कॉरपोरेट हित में हैं। उनका कहना था कि इन कोड्स से नौकरी की गारंटी समाप्त हो सकती है, मालिक फैक्टरी बंद कर सकेंगे, मजदूर संगठन बनाना मुश्किल होगा, और स्थायी नौकरी की जगह कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड रोजगार बढ़ेगा।

विरोधियों का मुख्य आरोप

धर्म प्रकाश ने कहा: “नए श्रम संहिता मजदूरों के अधिकारों और वेतन सुरक्षा को खतरे में डालते हैं और स्थायी रोजगार की जगह अस्थायी रोजगार बढ़ाते हैं।”

बीएसएसआरयू के सचिव मृदुल कांति ने कहा कि सरकार बिहार विधानसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद उत्साहित होकर ये कोड लागू कर रही है। उन्होंने बताया कि ईपीएफ में नियोक्ता का योगदान 12% से घटाकर 10% कर दिया गया है और हड़ताल का अधिकार समाप्त किया जा रहा है। उनका यह भी कहना था कि सरकार मजदूर, किसान और आम जनता विरोधी तथा कॉरपोरेट समर्थक रवैया अपनाए हुए है।

प्रदर्शन में उपस्थित श्रमिक नेता और कर्मचारी

इस विरोध प्रदर्शन में कई श्रमिक नेता और कर्मचारी मौजूद रहे। इनमें प्रमुख रूप से शामिल थे संजय शर्मा, विजय कुमार, राजेश कुमार उपाध्याय, उमानाथ झा, स्वेता, विनय कुमार, देवनाथ दास, प्रीतम कुमार। उन्होंने सरकार से मजदूर हितों की रक्षा करने और श्रम कोड में बदलाव लाने की मांग की। ग्रामीण और शहरी मजदूर इस कदम को अपने अधिकारों के खिलाफ मानते हुए चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

न्यूज़ देखो: गिरिडीह में मजदूर हितों की रक्षा के लिए संगठित आंदोलन

इस घटना ने स्पष्ट किया कि मजदूर संगठन सरकार के नीतिगत फैसलों के प्रति सजग हैं और अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर आवाज उठाते हैं। नया श्रम संहिता लागू होने पर मजदूरों की नौकरी, सामाजिक सुरक्षा और हड़ताल के अधिकार पर असर पड़ सकता है। ऐसे प्रदर्शन यह सुनिश्चित करते हैं कि मजदूरों के हितों की अनदेखी न हो और प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़े। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

श्रमिक अधिकारों की सुरक्षा में सहभागी बनें

अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना और संगठनों के माध्यम से सामूहिक आवाज उठाना समाज के लिए जरूरी है। हम सभी को चाहिए कि मजदूर हितों की रक्षा में सक्रिय रहें, अपने विचार साझा करें और इस खबर को दूसरों तक पहुंचाकर मजदूरों के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाएँ। अपने कमेंट में राय दें, शेयर करें और सामाजिक बदलाव का हिस्सा बनें।

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Surendra Verma

डुमरी, गिरिडीह

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