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गिरिडीह के फतेहपुर गांव में ग्रामीणों ने खुद की मेहनत से सड़क की मरम्मत कर दिखाई आत्मनिर्भरता की मिसाल

#गिरिडीह #सामाजिक_सुरक्षा : अहिल्यापुर पंचायत के फतेहपुर गांव में ग्रामीणों ने जर्जर सड़क को खुद सुधारकर गांव की सुविधा सुनिश्चित की

गिरिडीह जिले के गांडेय प्रखंड अंतर्गत अहिल्यापुर पंचायत के फतेहपुर गाँव में ग्रामीणों ने एक अनोखी मिसाल पेश की है। लंबे समय से जर्जर सड़क की वजह से पैदल और वाहनों के लिए यह मार्ग कठिनाईपूर्ण हो गया था। स्कूल, स्वास्थ्य सेवाओं और दैनिक कार्यों के लिए गांववाले अहिल्यापुर पर निर्भर हैं, लेकिन टूटी सड़क उनके लिए बड़ी बाधा बन गई थी।

स्थानीय लोगों ने चंदा इकट्ठा कर, श्रमदान किया और सड़क पर पत्थर और मोरम डालकर इसे चलने योग्य बनाया। ग्रामीणों ने बताया कि पहले जनप्रतिनिधियों द्वारा मार्ग को पास और स्वीकृति दे दी गई थी, लेकिन टेंडर प्रक्रिया शुरू न होने के कारण सड़क अब तक नहीं बनी। ऐसे में खुद आगे आकर ग्रामीणों ने सामूहिक प्रयास से समाधान निकाला।

ग्रामीणों की पहल

छोटूलाल किस्कू, बिनोद हांसदा, सूरज किस्कू, कीनू मरांडी, देवन टूड्डू और सुनील हेमब्रम सहित अन्य ग्रामीणों ने श्रमदान कर सड़क पर पत्थर और मोरम बिछाया। उन्होंने बताया कि जब तक सरकार सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं करती, यह अस्थायी मरम्मत उन्हें दैनिक जीवन में राहत देगी।

छोटे ग्रामीण नेता सूरज किस्कू ने कहा: “हमने देखा कि स्कूल, स्वास्थ्य सेवाएं और रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने में सड़क की खराब स्थिति लोगों के लिए परेशानी बन रही थी, इसलिए हमने एकजुट होकर खुद ही कदम उठाया।”

सामाजिक और प्रेरणादायक पहल

यह कदम स्थानीय स्तर पर सामूहिक एकता और आत्मनिर्भरता की प्रेरणादायक मिसाल है। ग्रामीणों ने दिखा दिया कि सरकारी इंतजार के बजाय समुदाय स्वयं मिलकर समस्याओं का समाधान कर सकता है। उनके इस प्रयास से पूरे क्षेत्र में सामाजिक सहयोग और जनता की सक्रिय भागीदारी का संदेश गया।

न्यूज़ देखो: ग्रामीणों की मेहनत से सड़क बनी, आत्मनिर्भरता और सामूहिक सहयोग का संदेश

फतेहपुर गांव की यह पहल यह स्पष्ट करती है कि जब जनता अपनी समस्याओं के प्रति सजग और सक्रिय होती है, तो छोटी-छोटी चुनौतियों का समाधान संभव है। सामूहिक प्रयास और एकता से समाज के लिए प्रेरक उदाहरण सामने आता है।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

ग्रामीण शक्ति और सामूहिक प्रयास से बदलाव

स्थानीय समुदायों को अपने अधिकारों और जरूरतों के प्रति सजग रहना चाहिए। खुद आगे आकर समस्याओं का समाधान करें, दूसरों को भी प्रेरित करें और सामूहिक सहयोग के माध्यम से सकारात्मक बदलाव लाएं। अपनी राय साझा करें और इस कहानी को दोस्तों व ग्रामीणों के बीच शेयर कर जागरूकता बढ़ाएं।

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