
#लातेहार #डायन_हिंसा : साल्वे गांव में 75 वर्षीय बुजुर्ग पर चली गोली — भतीजे ने डायन बताकर की जानलेवा हमला
- साल्वे गांव में बुजुर्ग वासुदेव भगत को मारी गई गोली।
- भतीजे सुनेश्वर उरॉव पर डायन का आरोप लगाकर हमला करने का आरोप।
- घायल को सदर अस्पताल लातेहार में कराया गया भर्ती।
- घटना में इस्तेमाल भरठुआ बंदूक पुलिस ने बरामद किया।
- पुलिस ने 24 घंटे में आरोपी को किया गिरफ्तार।
गोलीबारी से दहला लातेहार का साल्वे गांव
19 जुलाई 2025 को लातेहार जिले के गारू थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले साल्वे गांव में 75 वर्षीय वासुदेव भगत को उनके भतीजे सुनेश्वर उरॉव ने डायन बताकर भरठुआ बंदूक से गोली मार दी। गोली लगने से बुजुर्ग गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें परिजनों और ग्रामीणों के सहयोग से सदर अस्पताल, लातेहार पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।
डायन प्रथा के नाम पर हमला, प्राथमिकी दर्ज
घटना की सूचना मिलते ही गारू थाना पुलिस ने तत्काल वरीय अधिकारियों को जानकारी दी। सनित भगत, जो घायल वासुदेव भगत के पुत्र हैं, के आवेदन पर गारू थाना कांड संख्या 30/25, दिनांक 20.07.2025, धारा 109 BNS, 3/4 डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम तथा 27 आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।
आरोपी की गिरफ्तारी और हथियार की बरामदगी
वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए छापेमारी दल का गठन किया और मात्र कुछ घंटों में अभियुक्त सुनेश्वर उरॉव (35 वर्ष) को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी की निशानदेही पर घटना में प्रयुक्त भरठुआ बंदूक भी बरामद कर जप्ती सूची तैयार की गई।
गिरफ्तार अभियुक्त का विवरण:
- नाम: सुनेश्वर उरॉव
- उम्र: 35 वर्ष
- पिता: स्वर्गीय खरीदन उरॉव
- निवासी: साल्वे, थाना गारू, जिला लातेहार
बरामद सामान:
- एक भरठुआ बंदूक
छापामारी दल में शामिल पुलिसकर्मी:
- पु०अ०नि० प्रभात कुमार दास (थाना प्रभारी, बारेसाढ़)
- पु०अ०नि० राजीव रंजन, विजय कुमार, इन्द्रदेव राम
- स०अ०नि० मिश्रा मांझी, सुशोभन राय
- आ०/338 मनिष कुमार राम
- अ०नि० (स०) धारवा खाखा, हव० जयकांत मिर्धा
- आ०/584 नवनीत कुमार महतो, आ०/176 प्रीतम उरॉव
साल्वे में सामाजिक सद्भाव को ठेस
डायन प्रथा के नाम पर हो रही हिंसा आज भी झारखंड के दूरदराज़ इलाकों में सामाजिक कुरीति के रूप में मौजूद है। साल्वे गांव की यह घटना न केवल क़ानूनी बल्कि सामाजिक चेतना की भी परीक्षा है। एक बुजुर्ग पर जानलेवा हमला होना समाज के कमजोर हिस्सों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न उठाता है।
न्यूज़ देखो: अंधविश्वास से लड़ने की ज़िम्मेदारी हमारी भी
इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि डायन प्रथा जैसी कुप्रथाएं समाज में अब भी जीवित हैं। पुलिस की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन केवल क़ानून से नहीं, सामाजिक चेतना और शिक्षा से ही बदलाव संभव है। न्यूज़ देखो का मानना है कि ऐसे मामलों में स्थानीय प्रशासन और समाज को मिलकर काम करना होगा, ताकि बुजुर्ग, महिलाएं और कमजोर वर्ग सुरक्षित महसूस करें।
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सामाजिक बदलाव की सोच ही सच्ची शक्ति
समाज को अंधविश्वास और हिंसा से मुक्त कराने के लिए हर नागरिक की भागीदारी जरूरी है। एक जिम्मेदार समाज वही है जो कमज़ोर की आवाज़ बने, और ऐसे अपराधों के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाए। आइए, आप भी इस खबर को शेयर करें, कमेंट करें और अपनों को भी जागरूक करें — ताकि आगे किसी बुजुर्ग को ऐसी पीड़ा न झेलनी पड़े।