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राजखाड़ अंबेडकर नगर में गर्भवती महिला को खाट पर बिठाकर नदी पार कराया गया: प्रशासन की लापरवाही उजागर

#राजखाड़ #स्वास्थ्य_संकट : प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला को ग्रामीणों ने कंधे तक पानी में उतरकर सुरक्षित अस्पताल पहुँचाया—सरकारी दावों की पोल खुली

राजखाड़ अंबेडकर नगर की यह घटना सरकारी व्यवस्था की संवेदनहीनता का दर्दनाक उदाहरण है। सोमवार की देर शाम प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती महिला चम्पा कुमारी को नदी पार कराना ग्रामीणों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया। पुल और सड़क के अभाव में गाँववालों ने उसे खाट पर लिटाया और कंधे तक पानी में उतरकर नदी पार कराया। इस मानवीय जद्दोजहद ने न केवल ग्रामीणों की हिम्मत दिखाई बल्कि प्रशासनिक दावों की सच्चाई भी उजागर कर दी।

स्वास्थ्य केंद्र की लापरवाही और ग्रामीणों की पीड़ा

परिजनों ने आपातकालीन सेवा के लिए बिश्रामपुर स्वास्थ्य केंद्र से बार-बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन प्रभारी चिकित्सक ने फोन उठाना तक जरूरी नहीं समझा। यह लापरवाही मौत को दावत देने जैसी थी। अंततः ग्रामीणों और परिजनों ने निजी गाड़ी की व्यवस्था की और टूटी-फूटी सड़क व नदी पार कर महिला को अस्पताल पहुँचाया। डॉक्टरों ने देर रात प्रसव कराया और सौभाग्य से माँ-बच्चा दोनों सुरक्षित हैं, लेकिन डॉक्टरों ने चेताया कि यदि थोड़ी और देर होती तो जान पर खतरा मंडरा सकता था।

सुधीर चंद्रवंशी का कड़ा रुख

घटना की जानकारी मिलते ही बिश्रामपुर विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी सुधीर कुमार चंद्रवंशी ने प्रशासन पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि दलित बहुल राजखाड़ अंबेडकर नगर गाँव आज भी सड़क और पुल जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। वर्षों से केवल आश्वासन मिलते रहे हैं, लेकिन जमीनी बदलाव नहीं हुआ। उन्होंने साफ कहा:

सुधीर चंद्रवंशी ने कहा: “यदि पुल और सड़क निर्माण का काम शीघ्र शुरू नहीं किया गया तो जनता आंदोलन का रास्ता अपनाने को बाध्य होगी।”

ममता वाहन सेवा और जननी योजना की हकीकत

ग्रामीणों ने बताया कि ममता वाहन सेवा समय पर उपलब्ध नहीं होती। सहिया दीदी और डालटनगंज कॉल सेंटर की लापरवाही के कारण घंटों इंतजार करना पड़ता है। कई बार वाहन कर्मी मरीजों से जबरन पैसे वसूलते हैं। वहीं, जननी सुरक्षा योजना के तहत मिलने वाले 1400 रुपये का लाभ भी अधिकांश महिलाओं को नहीं मिल पाता। चंद्रवंशी ने सरकार से इस पर तत्काल कार्रवाई की माँग की है।

स्वास्थ्य केंद्र की वास्तविक स्थिति

बिश्रामपुर स्वास्थ्य केंद्र की हालत बेहद खराब है। यहाँ केवल तीन जांचें—हीमोग्लोबिन, मलेरिया और प्रेग्नेंसी टेस्ट—ही हो पाती हैं। अन्य जरूरी जांच की सुविधा नहीं है। लैब भी सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक ही चलता है, जबकि नियम के अनुसार तीनों शिफ्ट में सेवाएँ मिलनी चाहिए। यह स्थिति स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली को उजागर करती है।

ग्रामीणों की सामूहिक हिम्मत

इस घटना में गाँव के लोग पूरी ताकत और हिम्मत के साथ खड़े हुए। अकलू राम, अवधेश राम, सुनील राम, ब्रह्मदेव राम, राम कवल राम, रामकुमार राम, शंकर प्रताप राम, पप्पू कुमार, ऋषि कुमार, सुनीता देवी और दाई धनेश्वरी देवी ने मिलकर यह सुनिश्चित किया कि चम्पा कुमारी को समय पर अस्पताल पहुँचाया जा सके। यह सहयोग इंसानियत की मिसाल तो है लेकिन साथ ही प्रशासन की नाकामी पर करारा तमाचा भी।

समस्या की पुनरावृत्ति

गौरतलब है कि यह समस्या नई नहीं है। पिछले महीने भी इसी गाँव में एक मरीज को खाट पर नदी पार कर अस्पताल ले जाया गया था। तब उपायुक्त समीरा एस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जेई को नापी के लिए भेजा था। ग्रामीणों को उम्मीद है कि इस बार भी उपायुक्त सक्रियता दिखाएँगी और स्थायी समाधान निकलेगा।

राजखाड़ अंबेडकर नगर: गर्भवती महिला की खाट पर नदी पार, सुधीर चंद्रवंशी ने उठाई आवाज़

न्यूज़ देखो: संवेदनहीन तंत्र का आईना

यह घटना दिखाती है कि झारखंड में बुनियादी सुविधाओं की कमी अब भी गंभीर समस्या है। ग्रामीणों को आज़ादी के सात दशक बाद भी खाट पर बैठाकर नदी पार कराना सरकार की नाकामी को उजागर करता है। यदि प्रशासन ने तुरंत कदम नहीं उठाए तो जनता का आक्रोश आंदोलन में बदल सकता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जागरूकता और जिम्मेदारी ज़रूरी

अब समय है कि सरकार संवेदनशील बने और नागरिक भी अपनी आवाज़ बुलंद करें। जब तक जनता संगठित होकर मूलभूत अधिकारों की माँग नहीं करेगी, तब तक ऐसी घटनाएँ दोहराई जाती रहेंगी। आइए, हम सब मिलकर बदलाव की पहल करें—अपनी राय कमेंट में दें और इस खबर को साझा करें ताकि जागरूकता फैले।

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