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सड़क के अभाव में खाट बनी एम्बुलेंस, प्रसव पीड़ा में गर्भवती महिला को ढोया गया डेढ़ किलोमीटर

#सिमडेगा #खाट_एम्बुलेंस : डालियामरचा गांव में सड़क नहीं होने से एंबुलेंस नहीं पहुंची — ग्रामीणों ने गर्भवती महिला को खाट पर लिटाकर किया डेढ़ किलोमीटर पैदल सफर

सड़क नहीं, खाट बना सहारा

सिमडेगा। झारखंड के सिमडेगा जिले में डालियामरचा गांव की एक तस्वीर ने सरकारी विकास योजनाओं की असलियत उजागर कर दी है। गांव में सड़क नहीं होने के कारण एक गर्भवती महिला हना गुड़िया को खाट पर लिटाकर डेढ़ किलोमीटर पैदल ले जाना पड़ा। प्रसव पीड़ा के दौरान परिजनों ने ममता वाहन बुलाया था, लेकिन खराब रास्तों की वजह से एंबुलेंस गांव में नहीं पहुंच सकी।

ऊबड़-खाबड़ रास्ते से सड़क तक पहुंचाया

गांव वालों ने बताया कि महिला को खाट पर लिटाकर ऊबड़-खाबड़ पगडंडी से मुख्य सड़क तक लाया गया, जहां ममता वाहन इंतजार कर रहा था। यह दृश्य न केवल दर्दनाक था, बल्कि विकास की विफलता का प्रतीक भी बन गया।

बानो के डुमरिया गांव में भी आई थी ऐसी ही घटना

महज दो दिन पहले सिमडेगा के ही बानो प्रखंड के डुमरिया मारिकेल गांव में भी एक गर्भवती महिला को खाट पर अस्पताल पहुंचाने की तस्वीर सामने आई थी। इन दो घटनाओं ने प्रशासनिक दावों को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

विधायक ने जताई नाराजगी, पंचायत व्यवस्था पर सवाल

कोलेबिरा विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी ने इस घटना को शर्मनाक बताया और कहा कि:

नमन विक्सल कोंगाड़ी ने कहा: “त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था इसलिए बनाई गई है ताकि योजनाएं गांव तक पहुंचें। अगर स्थानीय सरकारें ईमानदारी से काम करें, तो ऐसे हालात नहीं बनेंगे।”

उन्होंने कहा कि बुनियादी सुविधा जैसे सड़क का अभाव पूरे क्षेत्र की समस्या बन गई है। जब तक स्थानीय सरकारें जवाबदेह नहीं होंगी और जनता अधिकार के लिए संघर्ष नहीं करेगी, तब तक बदलाव संभव नहीं।

विकास योजनाओं की असल तस्वीर

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि झारखंड के कई गांव आज भी सड़क जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित हैं। योजनाओं का लाभ तभी मिल सकता है जब जमीनी स्तर पर ईमानदारी से क्रियान्वयन हो। वरना ग्रामीणों को ऐसे संकटों से बार-बार गुजरना पड़ेगा।

न्यूज़ देखो: विकास योजनाओं की हकीकत से रूबरू

जब योजनाएं सिर्फ कागज़ों तक सीमित रह जाएं और गांव की सच्चाई खाट पर लेटी गर्भवती महिला के रूप में सामने आए, तो यह सिर्फ एक प्रशासनिक चूक नहीं, पूरे सिस्टम की नाकामी होती है। डालियामरचा गांव की यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या आज भी हमारी प्राथमिकताएं सही दिशा में हैं? न्यूज़ देखो इस पीड़ा को केवल खबर नहीं, एक जनहित की चेतावनी मानता है और मांग करता है कि प्रशासन सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं पर फौरन ध्यान दे।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

बदलाव की शुरुआत जागरूकता से

हर नागरिक को अपने अधिकार के प्रति सजग होना होगा। जब तक ग्रामीण आवाज़ नहीं उठाएंगे, प्रशासनिक उदासीनता बनी रहेगी। आइए, मिलकर एक ऐसी व्यवस्था बनाएं जहां किसी को इलाज के लिए खाट पर ले जाने की नौबत ना आए।
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