
#लातेहार #मनरेगासमीक्षा : बरवाडीह में बीडीओ ने तय की प्राथमिकताएं और समयसीमा
- बरवाडीह में मनरेगा योजनाओं की समीक्षा बैठक आयोजित।
- प्रखंड विकास पदाधिकारी रेशमा रेखा मिंज ने बैठक की अध्यक्षता की।
- 31 जुलाई तक पीडी जेनरेशन शत प्रतिशत पूरा करने का निर्देश।
- 326 एकड़ जमीन पर बागवानी गड्ढा खुदाई कार्य जल्द पूरा करने का लक्ष्य।
- सभी सरकारी भवनों में रैन वाटर हार्वेस्टिंग और पोषण वाटिका पर जोर।
बरवाडीह प्रखंड के सभागार में शुक्रवार को आयोजित समीक्षा बैठक में मनरेगा योजनाओं की प्रगति पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक की अध्यक्षता प्रखंड विकास पदाधिकारी रेशमा रेखा मिंज ने की। इस मौके पर प्रभारी बीपीओ कमलेश कुमार सिंह, कनीय अभियंता, सहायक अभियंता और सभी पंचायतों के रोजगार सेवक मौजूद रहे। बैठक का उद्देश्य मनरेगा कार्यों की गति तेज करना और तय समयसीमा के भीतर लक्ष्य पूरा करना था।
31 जुलाई तक पीडी जेनरेशन पूरा करने का निर्देश
बैठक में बीडीओ ने स्पष्ट किया कि पीडी जेनरेशन कार्य आगामी 31 जुलाई तक हर हाल में शत प्रतिशत पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि समय पर पीडी जेनरेशन होने से मजदूरों को समय पर रोजगार और भुगतान सुनिश्चित किया जा सकेगा।
मजदूरों को सौ दिन का काम उपलब्ध कराने की अपील
मनरेगा का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराना है। इस पर जोर देते हुए बीडीओ ने निर्देश दिया कि अधिक से अधिक मजदूरों को सौ दिन का काम दिया जाए, ताकि ग्रामीणों की आजीविका सुरक्षित रह सके।
बीडीओ रेशमा रेखा मिंज ने कहा: “मनरेगा योजनाओं का सही क्रियान्वयन हमारी प्राथमिकता है। प्रत्येक मजदूर को समय पर काम और भुगतान मिलना चाहिए।”
बागवानी और रैन वाटर हार्वेस्टिंग पर विशेष ध्यान
बैठक में बताया गया कि लगभग 326 एकड़ जमीन पर बागवानी गड्ढों की खुदाई का कार्य तेजी से पूरा किया जाए। इसके अलावा, सभी सरकारी भवनों, स्कूलों और आंगनबाड़ियों में रैन वाटर हार्वेस्टिंग योजना के तहत पोषण वाटिका विकसित की जाए। इन योजनाओं का उद्देश्य न केवल जल संरक्षण है बल्कि पोषण और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देना है।
जिम्मेदार अधिकारियों को दी गई चेतावनी
बैठक के दौरान यह भी कहा गया कि योजनाओं में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी रोजगार सेवकों और तकनीकी सहायकों को समयबद्ध तरीके से कार्य पूरा करने की जिम्मेदारी दी गई है।
न्यूज़ देखो: विकास योजनाओं में पारदर्शिता की कसौटी
बरवाडीह में हुई यह बैठक केवल योजनाओं की समीक्षा नहीं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही का संकेत है। मनरेगा जैसी योजनाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, और इनका समय पर क्रियान्वयन जरूरी है। अब देखना यह है कि तय समयसीमा में लक्ष्य हासिल होता है या नहीं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जिम्मेदारी और भागीदारी से बदलेगा ग्रामीण भारत
मनरेगा जैसी योजनाएं तभी सफल होंगी जब प्रशासन और जनता मिलकर पारदर्शिता और भागीदारी सुनिश्चित करें। आइए सजग नागरिक बनें, अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि बदलाव की यह पहल सभी तक पहुंचे।