
#गुमला #अस्पतालसड़कसमस्या — जारी प्रखंड में अस्पताल तक नहीं बनी पक्की सड़क, मरीजों को बरसात में झेलनी पड़ती है भारी परेशानी
- जारी प्रखंड के अस्पताल तक पहुंचने वाली सड़क अब तक कच्ची
- बरसात में कीचड़ से भर जाती है सड़क, मरीजों को गिरते-पड़ते पहुंचना पड़ता है अस्पताल
- गांववालों की वर्षों से मांग के बावजूद सड़क निर्माण अधूरा
- जीप सदस्य दिलीप बड़ाइक और पूर्व डीसी भी उठा चुके हैं मुद्दा
- प्रशासन से जल्द पक्की सड़क निर्माण की मांग तेज
अस्पताल है, पर रास्ता नहीं
गुमला जिले के जारी प्रखंड, जो कि परमवीर चक्र विजेता अल्बर्ट एक्का का गृह क्षेत्र है, आज भी आधारभूत सुविधा की कमी से जूझ रहा है। यहां एक अस्पताल तो बन गया, लेकिन उस तक जाने के लिए पक्की सड़क का अभाव अब भी बना हुआ है। बरसात के मौसम में यह समस्या और विकराल रूप ले लेती है, जब सड़क कीचड़ से लथपथ होकर चलने लायक भी नहीं रह जाती।
कीचड़ में तब्दील हो जाती है सड़क
स्थानीय ग्रामीण जितेंद्र सिंह, आदित्य गिरी, मैनेजर भारती, नंद किशोर नंद, पांडु यादव, बीरेंद्र दास, आलम खान और राजू बेक ने बताया कि बरसात के समय सड़क का हाल ऐसा हो जाता है जैसे कोई खेत हो। दो पहिया वाहन चलाना तो दूर, पैदल चलना भी दूभर हो जाता है। सड़क पर जलजमाव और कीचड़ से मरीजों को गिरते-पड़ते अस्पताल पहुंचना पड़ता है।
स्थानीय ग्रामीणों ने कहा: “हमने वर्षों से अस्पताल तक पक्की सड़क की मांग की है, लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही मिला है। बरसात में यह रास्ता जानलेवा हो जाता है।”
पूर्व डीसी और जनप्रतिनिधि भी अवगत
यह कोई नई समस्या नहीं है। अस्पताल के उद्घाटन के समय गुमला के पूर्व उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने भी इस सड़क की बदहाली का अवलोकन किया था। जीप सदस्य दिलीप बड़ाइक ने भी कई बार जिला प्रशासन से पक्की सड़क निर्माण की मांग की, लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हो सका है।
मांगें तेज, समाधान का इंतजार
प्रखंडवासियों की अब एकमात्र मांग है कि इस अस्पताल तक एक पक्की सड़क का निर्माण जल्द से जल्द कराया जाए, जिससे खासकर बरसात के मौसम में मरीजों को अस्पताल पहुंचने में परेशानी न हो। ग्रामीणों का कहना है कि अगर यह स्थिति यूं ही बनी रही तो अस्पताल बनने के बावजूद मरीजों को इलाज नहीं मिल पाएगा।

न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य की राह में कीचड़ से भरी बाधाएं
परमवीर चक्र विजेता के गांव में बने अस्पताल तक पहुंचने के लिए जब लोगों को कीचड़ से लड़ना पड़े, तो यह सिर्फ एक बुनियादी ढांचे की कमी नहीं बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल है। स्वास्थ्य सुविधाएं तभी सार्थक होती हैं जब उन तक आम लोगों की पहुँच आसान हो। ‘न्यूज़ देखो’ इस स्थानीय समस्या को आवाज देता है और प्रशासन से जल्द समाधान की मांग करता है।
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