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मंडल कारा गढ़वा में स्वतंत्रता दिवस समारोह, कैदियों और कर्मचारियों ने मिलकर रचा देशभक्ति का माहौल

#गढ़वा #स्वतंत्रतादिवस : कैदियों की कला और कर्मचारियों की सजावट से सजा मंडल कारा परिसर

गढ़वा के मंडल कारा में इस वर्ष का स्वतंत्रता दिवस आयोजन परंपरा और नई ऊर्जा का संगम साबित हुआ। कारा परिसर की सजावट में कैदियों और कर्मचारियों की संयुक्त मेहनत दिखाई दी। बंदियों ने कई दिन पहले से तैयारियां शुरू कीं, अपने हाथों से रंग-बिरंगी झंडियां बनाईं, रंगीन कलाकृतियां तैयार कीं और घड़ों व सजावटी वस्तुओं से जेल के अंदरूनी हिस्से को सजा दिया। मुख्य द्वार को सजाने की जिम्मेदारी कारा कर्मियों और सुरक्षाकर्मियों ने निभाई। परिणामस्वरूप पूरा परिसर राष्ट्रीय उत्सव के रंग में सराबोर नजर आया।

तीन स्थानों पर ध्वजारोहण और महिला बंदियों की भागीदारी

समारोह के दौरान तीन अलग-अलग स्थानों पर ध्वजारोहण हुआ—सुबह 9:30 बजे मुख्य द्वार पर, 9:40 बजे जेल के अंदरूनी प्रांगण में और 9:50 बजे महिला वार्ड में। महिला बंदियों ने भी पूरे उत्साह और गर्व के साथ तिरंगे को सलामी दी। इस मौके पर सभी कैदियों ने सामूहिक रूप से राष्ट्रगान गाया, जिससे वातावरण देशभक्ति के जज़्बे से भर गया।

जेल अधीक्षक का संदेश और प्रेरणा

जेल अधीक्षक संजय कुमार ने ध्वजारोहण के बाद कहा,

संजय कुमार: “स्वतंत्रता दिवस केवल उत्सव का दिन नहीं है, बल्कि यह हमें राष्ट्रहित में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को याद दिलाने का अवसर भी देता है। मैं सभी कारा कर्मियों और बंदियों से अपेक्षा करता हूँ कि वे अनुशासन और सकारात्मक सोच के साथ समाज और राष्ट्र के निर्माण में रचनात्मक योगदान दें।”

स्वास्थ्य, सेवा और उत्सव

कार्यक्रम के बाद जिला अदालत का आयोजन किया गया, जिसमें कैदियों की समस्याओं पर चर्चा हुई। साथ ही स्वास्थ्य जांच शिविर लगाया गया और कैदियों के लिए विशेष पकवान की व्यवस्था की गई। यह आयोजन केवल एक राष्ट्रीय पर्व का उत्सव नहीं, बल्कि मानवता और सामाजिक जिम्मेदारी का संदेश भी लेकर आया।

न्यूज़ देखो: सुधारगृह में स्वतंत्रता का अर्थ

मंडल कारा का यह आयोजन यह दर्शाता है कि स्वतंत्रता केवल आज़ादी का प्रतीक नहीं, बल्कि अनुशासन, जिम्मेदारी और समाज सुधार का मार्ग भी है। बंदियों का सक्रिय योगदान यह संदेश देता है कि सकारात्मक सोच और रचनात्मकता हर परिस्थिति में संभव है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

बदलाव की शुरुआत भीतर से

यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि सुधार की शुरुआत व्यक्ति के भीतर से होती है। जब बंदी भी राष्ट्रध्वज के सम्मान में खड़े होकर उसकी शान बढ़ा सकते हैं, तो समाज का हर नागरिक देशहित में योगदान दे सकता है। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि यह प्रेरक संदेश औरों तक पहुंचे।

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