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जिला स्तरीय खरीफ कर्मशाला 2025 में किसानों को वैज्ञानिक खेती और सरकारी योजनाओं की दी गई जानकारी

#सिमडेगा #कृषिकर्मशाला : उपायुक्त कंचन सिंह और अधिकारियों ने किसानों को योजनाओं की जानकारी दी और आधुनिक तकनीक अपनाने का आह्वान किया

सिमडेगा जिला कृषि कार्यालय में आयोजित खरीफ कर्मशाला 2025 किसानों के लिए विशेष सीख और अवसर लेकर आई। इस अवसर पर उपायुक्त श्रीमती कंचन सिंह, उप विकास आयुक्त श्री दीपांकर चौधरी और जिला परिषद अध्यक्ष रोस प्रतिमा सोरेंग समेत कई अधिकारी उपस्थित रहे। किसानों को सरकार की योजनाओं, आधुनिक खेती की तकनीकों और बाजार की संभावनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।

कर्मशाला का शुभारंभ और स्वागत

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस दौरान जिला कृषि पदाधिकारी माधुरी टोप्पो ने सभी अतिथियों का पौधा भेंट कर स्वागत किया। उन्होंने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि राज्य और केंद्र सरकार द्वारा किसानों के कल्याण के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। सभी अधिकारियों को इन योजनाओं की जानकारी अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचानी होगी ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान लाभ उठा सकें।

योजनाओं की विस्तृत जानकारी

जिला कृषि पदाधिकारी ने मिलेट मिशन योजना की विस्तार से जानकारी दी और बताया कि किसानों को मोती अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस योजना का लाभ लेने के लिए 31 अगस्त तक किसानों को रजिस्ट्रेशन करना आवश्यक है। साथ ही उन्होंने टपक सिंचाई योजना का भी जिक्र किया, जो अनुदान पर उपलब्ध है और किसानों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने में सहायक है।

जिला कृषि पदाधिकारी माधुरी टोप्पो ने कहा: “किसानों को वैज्ञानिक पद्धति अपनाकर खेती करनी चाहिए, इससे उत्पादन और आय दोनों बढ़ेंगे।”

उपायुक्त का संबोधन

कार्यक्रम में उपायुक्त कंचन सिंह ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि खरीफ कर्मशाला का मुख्य उद्देश्य किसानों को वैज्ञानिक तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने फसलों की बुआई, देखरेख और रोगों से बचाव पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने किसानों को आधुनिक तकनीकों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया और बताया कि आज मोबाइल एप्लीकेशन और इंटरनेट के माध्यम से पौधों की बीमारियों की पहचान और इलाज आसानी से संभव है।

उपायुक्त कंचन सिंह ने कहा: “पारंपरिक खेती हमारी ताकत है, लेकिन वैज्ञानिक पद्धति अपनाकर हम उत्पादन और आय में और अधिक वृद्धि कर सकते हैं।”

उन्होंने सिमडेगा जिले के जीराफूल चावल और उरद दाल जैसे उत्पादों की प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन कर जिले की पहचान बनाने पर जोर दिया। साथ ही किसानों को वन उत्पादों के संग्रहण और प्रोसेसिंग से अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करने की दिशा में प्रेरित किया।

उप विकास आयुक्त का दृष्टिकोण

इस अवसर पर उप विकास आयुक्त दीपांकर चौधरी ने कहा कि सिमडेगा जिले की जीवन रेखा कृषि है क्योंकि यहां न तो बड़े उद्योग हैं और न ही माइनिंग। उन्होंने पदाधिकारियों को बड़े कृषि फार्म बढ़ावा देने और किसानों को नई तकनीकों से जोड़ने का निर्देश दिया।

उन्होंने कहा कि जिले की जमीन छोटे-छोटे खंडों में बंटी हुई है और यहां के अधिकांश किसान ऑर्गेनिक खेती करते हैं। किसानों में अधिक उत्पादन की क्षमता है जिसे तकनीकी जानकारी और पूंजी उपलब्ध करा कर बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने एपीओ गठन, किसानों को प्रशिक्षण देने और आधुनिक तकनीक अपनाने पर जोर दिया।

उप विकास आयुक्त दीपांकर चौधरी ने कहा: “किसानों को संगठित कर और तकनीकी सहयोग देकर सिमडेगा को कृषि के क्षेत्र में नई पहचान दिलाई जा सकती है।”

जनप्रतिनिधियों का सुझाव

जिला परिषद अध्यक्ष रोस प्रतिमा सोरेंग और जिला परिषद सदस्य शांति बाला केरकेट्टा ने किसानों को सही समय पर खेती की बुवाई और रोपाई करने की जानकारी देने की बात कही। इस दौरान जिला मत्स्य पदाधिकारी सीमा टोप्पो, सदर प्रखंड विकास पदाधिकारी समीर रनियर खलखो, भूमि संरक्षण पदाधिकारी और एलडीएम पदाधिकारी भी मौजूद रहे।

किसानों की सक्रिय भागीदारी

कर्मशाला में जिले के विभिन्न प्रखंडों से आए एटीएम, बीटीएम और किसान उपस्थित रहे। सभी ने योजनाओं और तकनीकों को समझा और खेती को आधुनिक बनाने के लिए अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने का संकल्प लिया।

न्यूज़ देखो: किसानों के लिए दिशा दिखाती पहल

सिमडेगा में खरीफ कर्मशाला का आयोजन सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि किसानों के लिए नई दिशा का संकेत है। सरकार और प्रशासन की योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए ऐसी कार्यशालाएं बेहद आवश्यक हैं। यह पहल किसानों को न सिर्फ वैज्ञानिक पद्धति से जोड़ रही है बल्कि उनके लिए बाजार की संभावनाएं भी खोल रही है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

किसान जागरूकता ही समृद्धि की कुंजी

सिमडेगा के किसानों के सामने चुनौतियां हैं लेकिन अवसर भी कम नहीं। अब समय है कि किसान योजनाओं का लाभ उठाएं और नई तकनीकों को अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ाएं। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को अपने किसान भाइयों और दोस्तों के साथ साझा करें ताकि अधिक से अधिक लोग जागरूक हो सकें।

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