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गिरिडीह से बाल अधिकारों की ओर जन-जागृति की पहल, बाल मित्र ग्राम कारवां को समाहरणालय से दिखी हरी झंडी

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बाल अधिकार, सामाजिक चेतना और बदलाव की मशाल लिए गांव-गांव पहुंचेगा संदेश

अधिकारों के प्रति सजगता और सहभागिता की मुहिम

गिरिडीह। बाल अधिकारों और सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध करुणामय बाल मित्र ग्राम कारवां का शुभारंभ शनिवार को जिला समाहरणालय परिसर से किया गया, जिसे उपायुक्त रामनिवास यादव, पुलिस अधीक्षक डॉ. विमल कुमार, उप विकास आयुक्त स्मृता कुमारी, समाज कल्याण पदाधिकारी स्नेहा कश्यप और अन्य अधिकारियों ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

यह अभियान कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रंस फाउंडेशन की ओर से संचालित हो रहा है, जिसका उद्देश्य बाल मजदूरी, बाल विवाह, नशा, घरेलू हिंसा और बाल दुर्व्यापार जैसी समस्याओं के प्रति ग्रामीण क्षेत्रों में जन-जागरूकता फैलाना है।
महाराष्ट्र से चला यह कारवां, गिरिडीह जिले के तीन प्रखंडोंदेवरी, तिसरी और गांवा—के 60 से अधिक गांवों में एक महीने तक सक्रिय रहेगा।

गांव-गांव पहुंचेगा जागरूकता का संदेश

कार्यक्रम में नाटकशाला की टीम द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक ने शुरुआत से ही लोगों को झकझोर दिया।
कैलाश सत्यार्थी जी के नेतृत्व में चल रहे इस राष्ट्रीय अभियान का मकसद है एक करुणामय और बाल-अनुकूल समाज का निर्माण।

“समाज में सकारात्मक परिवर्तन तभी संभव है जब बच्चे स्वयं अपनी समस्याओं को पहचानें, बोलें और समाधान की दिशा में पहल करें।”
रामनिवास यादव, उपायुक्त गिरिडीह

इस अभियान के तहत बाल चौपाल, जन संवाद, दीवार लेखन, ग्रामसभा आधारित संवाद जैसे आयोजन किए जाएंगे, जिसमें स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि, महिला मंडल, युवा मंडल और स्कूली बच्चे भी भाग लेंगे।

बच्चों की भागीदारी से सशक्त होगी सामाजिक चेतना

इस पहल में बाल पंचायतों की भूमिका विशेष रूप से प्रभावी रहेगी, जो गांवों में बच्चों की आवाज बनकर सामाजिक बदलाव की नई धारा प्रवाहित करेंगी।
फाउंडेशन के प्रतिनिधि सुरेंद्र पंडित, संदीप नयन, उदय राय, राजू सिंह, सहित बाल कल्याण समिति की सचिव पूजा सिन्हा, बाल संरक्षण पदाधिकारी जीतू कुमार, और जिला परिवहन पदाधिकारी शैलेश प्रियदर्शी समेत कई प्रतिनिधि मौजूद रहे।

न्यूज़ देखो: जागरूकता से ही आएगा बदलाव

न्यूज़ देखो मानता है कि जागरूकता ही सामाजिक बदलाव की सबसे बड़ी कुंजी है।
बाल मित्र ग्राम कारवां जैसी पहलें हमें यह सिखाती हैं कि असली विकास तब होगा जब समाज के सबसे नन्हें हिस्से—हमारे बच्चे—सुरक्षित, शिक्षित और सशक्त हों।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

बच्चों का अधिकार, समाज की जिम्मेदारी

बाल अधिकारों की रक्षा सिर्फ कानूनी नहीं, नैतिक जिम्मेदारी भी है।
इस जागरूकता अभियान के ज़रिए गांव-गांव में जब बच्चों की आवाज गूंजेगी, तभी एक नया, न्यायपूर्ण और करुणामय भारत बनेगा।

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