
#जमशेदपुर #हरित_क्रांति – झारखंड में पहली बार आसमान से हरियाली बिखेरने की योजना, पांच लाख फलदार पौधों का लक्ष्य
- हेलीकॉप्टर और ड्रोन से पौधारोपण की झारखंड में पहली अनूठी पहल
- जमशेदपुर वन विभाग ने मानसून में 5 लाख फलदार पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया
- डी-बॉल्स तकनीक से बीज पहुंचाए जाएंगे दुर्गम पहाड़ी इलाकों में
- कम लागत और कठिन इलाकों तक आसान पहुंच इस तकनीक की बड़ी खासियत
- प्रस्ताव सरकार को भेजा गया, अनुमति मिलते ही शुरू होगा क्रियान्वयन
- वन्यजीवों व ग्रामीणों को मिलेगा फलों से पोषण और पर्यावरण को मिलेगा संतुलन
तकनीक से हरियाली की नई उड़ान
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जमशेदपुर वन विभाग ने एक अनूठी और अभिनव योजना बनाई है, जिसके तहत ड्रोन और हेलीकॉप्टर की मदद से दुर्गम क्षेत्रों में पौधारोपण किया जाएगा। झारखंड में यह अपनी तरह का पहला प्रयास होगा। विभाग ने इस मानसून सीजन में पांच लाख से अधिक फलदार पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
इस नई पद्धति में डी-बॉल्स तकनीक का उपयोग किया जाएगा। ये गेंदें मिट्टी से बनी होती हैं जिनमें बीज होते हैं। इन्हें हेलीकॉप्टर और ड्रोन के माध्यम से सीधे जंगल के उन क्षेत्रों में गिराया जाएगा, जहां सामान्य तौर पर पहुंचना मुश्किल होता है।
दुर्गम इलाकों में भी हरियाली की किरण
यह योजना खास तौर पर पहाड़ों, ढलानों और दुर्गम इलाकों के लिए तैयार की गई है। वहां जहां पैदल पहुंच पाना भी मुश्किल है, ड्रोन और हेलीकॉप्टर बड़ी संख्या में बीज गिराकर व्यापक पौधारोपण कर सकेंगे। ड्रोन से पौधारोपण की प्रक्रिया तेज, सटीक और कम लागत वाली होगी, जिससे पर्यावरण संरक्षण का कार्य कहीं अधिक प्रभावी रूप में किया जा सकेगा।
“इस पहल से हम जंगलों की हरियाली को फिर से संजीवनी दे सकते हैं। ड्रोन और हेलीकॉप्टर आधुनिक तकनीक हैं, जिनका सही इस्तेमाल हमारे वन क्षेत्र की स्थिति को बदल सकता है,”
– सबा आलम अंसारी, डीएफओ, जमशेदपुर
सरकार से मिली हरी झंडी का इंतजार
जमशेदपुर डीएफओ सबा आलम अंसारी ने बताया कि उन्होंने इस योजना को लेकर क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक स्मिता पंकज से बातचीत की और सर्वसम्मति बनने के बाद एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा है। मंजूरी मिलते ही विभाग सबसे पहले ड्रोन खरीदेगा, फिर हेलीकॉप्टर के माध्यम से भी बीज वितरण की योजना को धरातल पर उतारा जाएगा।
वन्यजीवों के लिए भोजन, ग्रामीणों के लिए सहारा
इस योजना का उद्देश्य केवल पौधारोपण ही नहीं, बल्कि वन्यजीवों को फलदार पेड़ उपलब्ध कराना भी है, ताकि उन्हें पोषण आसानी से मिल सके। साथ ही, जंगल के किनारे रहने वाले लोगों को भी आर्थिक व पोषण संबंधी लाभ मिलेगा। इससे पर्यावरण संतुलन के साथ-साथ सामाजिक विकास का लक्ष्य भी पूरा होगा।
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