झारखंड के सरकारी स्कूलों में गणित और विज्ञान को रोचक और प्रभावी बनाने के लिए राज्य के शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए आइराइज (इंस्पायरिंग इंडिया इन रिसर्च इनोवेशन इन एसटीईएम एजुकेशन) कार्यक्रम के तहत राज्य के विज्ञान और गणित शिक्षकों को आधुनिक तकनीकों और नवीनतम शैक्षणिक उपकरणों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
क्या है आइराइज कार्यक्रम?
आइराइज कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) के प्रति रुचि जगाना है।
- यह कार्यक्रम विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (भारत सरकार), रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री, ब्रिटिश काउंसिल, टाटा ट्रस्ट, और टाटा टेक्नोलॉजीज द्वारा संचालित है।
- झारखंड, महाराष्ट्र, बिहार और उत्तराखंड के बाद आइराइज लागू करने वाला देश का चौथा राज्य बन गया है।
तीन चरणों में होगा प्रशिक्षण
- पहला चरण:
- राज्य के 74 चयनित शिक्षकों को तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण दिया गया।
- उनकी कक्षाओं में गतिविधियों के आधार पर कुछ शिक्षकों को अगले चरण के लिए चुना गया।
- दूसरा चरण:
- चयनित शिक्षक भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (IISER), पुणे में 10 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।
- प्रशिक्षण पूरा करने के बाद इन्हें “इनोवेशन चैंपियन” का खिताब दिया जाएगा।
- तीसरा चरण:
- इन इनोवेशन चैंपियंस द्वारा अपने जिलों में कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।
- सभी स्कूलों को एक विशेष किट दी जाएगी, जो शैक्षणिक गतिविधियों में सहायक होगी।
पाँच जिलों के शिक्षक शामिल
गढ़वा, लातेहार, पलामू, गिरिडीह और हजारीबाग के 74 शिक्षकों को इस कार्यक्रम के लिए चुना गया है।
कार्यक्रम की अहमियत
- यह पहल झारखंड के बच्चों में नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देगी।
- बच्चों को एसटीईएम से संबंधित उपकरणों और तकनीकों के साथ प्रयोग करने का अवसर मिलेगा।
- झारखंड के शिक्षकों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा पद्धतियों से जोड़ा जाएगा।
पहले किन राज्यों में लागू हुआ?
यह कार्यक्रम पहले महाराष्ट्र, बिहार, और उत्तराखंड में सफलतापूर्वक संचालित किया गया है। अब झारखंड इसका हिस्सा बन गया है।
आइराइज कार्यक्रम न केवल झारखंड में शिक्षा के स्तर को बढ़ाएगा, बल्कि बच्चों के भविष्य को नई दिशा देने में भी सहायक साबित होगा।