
#चंदवा #मुआवजा_विलंब : दो मासूम बच्चों की मौत के 35 दिन बाद भी परिजनों को सहायता नहीं मिलने पर भाजपा प्रवक्ता ने सरकार पर सवाल उठाए
- रक्सी गांव में तालाब में डूबने से दो मासूमों की मौत, दादी को बचाने के दौरान हादसा।
- प्रतुल शाहदेव ने कहा—35 दिन बाद भी परिवार को मुआवजा राशि नहीं।
- पीड़ित परिवार की आर्थिक हालत बेहद खराब, अब भी राहत का इंतजार।
- फाइल चंदवा अंचल कार्यालय में ही लंबे समय तक अटकी रही।
- भाजपा ने कहा—मुआवजा नहीं मिला तो मुद्दा सड़क से सदन तक उठेगा।
रक्सी गांव में हुई उस दर्दनाक घटना को लेकर अब राजनीतिक और प्रशासनिक सवाल तेज होने लगे हैं, जिसमें धर्मराज प्रजापति के दो मासूम बच्चे अपनी ही दादी को बचाने की कोशिश में तालाब में डूबकर जान गंवा बैठे थे। यह त्रासदी साहस और बलिदान की एक मार्मिक मिसाल बनकर सामने आई थी। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने बताया कि वे 30 अक्टूबर को गांव जाकर पीड़ित परिवार से मिले थे और उसी समय यह बात सामने आई थी कि सरकार की ओर से एक रूपए की भी सहायता उस परिवार तक नहीं पहुंची।
35 दिन बाद भी सहायता का इंतजार
प्रतुल शाहदेव ने कहा कि घटना को आज 35 दिन बीत चुके हैं, लेकिन परिवार अभी तक सरकारी मुआवजे का इंतजार कर रहा है। उनका कहना है कि परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, रोजमर्रा के खर्च तक मुश्किल से पूरे हो पा रहे हैं। उन्होंने इसे प्रशासनिक लापरवाही बताते हुए कहा कि इतनी बड़ी दुर्घटना के बाद भी संबंधित विभागों की कार्यशैली संवेदनहीनता का परिचय देती है।
चंदवा अंचल कार्यालय पर गंभीर आरोप
भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि सहायता की फाइल चंदवा अंचल कार्यालय में लंबे समय तक पड़ी रही और समय पर आगे नहीं बढ़ाई गई। प्रतुल का कहना है कि “जहां कमीशन नहीं मिलता, वहां सरकारी मशीनरी अक्सर सुस्त पड़ जाती है।” उन्होंने बताया कि उन्होंने इस मामले में वरीय पदाधिकारियों से बात की थी, लेकिन कोई ठोस प्रगति सामने नहीं आई। जनहित के मुद्दों पर भी ध्यान नहीं देने के रवैये पर उन्होंने अंचल अधिकारी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।
दादी को बचाने में जान गंवाने वाले दो मासूम
यह घटना पूरे क्षेत्र को झकझोर देने वाली थी, जिसमें दो छोटे बच्चे अपनी दादी को बचाने के लिए तालाब में उतरे और तीनों डूबने लगे। हालांकि ग्रामीणों ने दादी को बचा लिया, लेकिन दोनों बच्चों को नहीं बचाया जा सका। इस बहादुरी और बलिदान की चर्चा आज भी गांव में होती है। परिवार इस घटना के सदमे से उबर नहीं पाया है और आर्थिक सहायता की प्रतीक्षा में है।
प्रतुल शाहदेव ने सरकार पर उठाए तीखे सवाल
प्रतुल ने कहा कि सरकार और प्रशासन को गरीब परिवारों के अधिकारों को लंबित रखना बंद करना चाहिए। ऐसी घटनाओं में तुरंत राहत मिलना चाहिए, लेकिन यहां 35 दिन बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मुआवजा जल्द उपलब्ध नहीं कराया गया, तो भाजपा इस मुद्दे को सड़क से सदन तक जोरदार तरीके से उठाएगी।
न्यूज़ देखो: संवेदना और सिस्टम के बीच फंसा एक परिवार
यह मामला केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि उस सिस्टम का आईना है जो आपदा के बाद भी समय पर नहीं जागता। दो मासूम बच्चों का बलिदान आज भी गांव के लोगों को विचलित करता है, लेकिन सहायता का इंतजार उनके परिवार को और तोड़ रहा है। प्रशासनिक सुस्ती ऐसे मामलों की पीड़ा को और गहरा कर देती है।
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जनसंवेदना के मुद्दों पर एकजुट होने की जरूरत
ऐसी घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि शासन–प्रशासन की दक्षता आम लोगों की जिंदगी से सीधे जुड़ी होती है। जरूरत है कि हम ऐसे परिवारों की आवाज बनें और न्याय दिलाने में सहयोग करें।
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