
#लातेहार #जगन्नाथमहोत्सव — जोरजा नृत्य, लोकगीत और नाटक से सजी सांस्कृतिक शाम, आदिवासी विरासत की झलक
- 6 जुलाई को महुआडांड़ में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन
- “अबुआ संस्कृति अबुआ अखरा” थीम पर आधारित जोरजा नृत्य की प्रस्तुति
- किसान समाज दल लोध महुआडांड़ ने दी रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
- कार्यक्रम में आदिवासी नृत्य, लोक गीत, नाटक, आरती और भजन शामिल
- सांस्कृतिक कार्य निदेशालय एवं पर्यटन विभाग ने किया आयोजन
आदिवासी विरासत और सांस्कृतिक चेतना की अद्भुत अभिव्यक्ति
6 जुलाई 2025 को जगन्नाथ महोत्सव के अवसर पर लातेहार के महुआडांड़ प्रखंड में “अबुआ संस्कृति अबुआ अखरा” थीम पर एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में किसान समाज दल लोध, महुआडांड़ की नृत्य मंडली ने पारंपरिक जोरजा नृत्य के माध्यम से सांस्कृतिक चेतना और आदिवासी समाज की गहराई को प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर पारंपरिक आदिवासी नृत्य, लोकगीत, नाटक और आरती जैसे कार्यक्रमों ने महोत्सव को जीवंत बना दिया। बच्चों, युवाओं और स्थानीय कलाकारों की भागीदारी से पूरे आयोजन में उत्साह और ऊर्जा की झलक साफ दिखाई दी।
आयोजन का उद्देश्य और सामाजिक संदेश
इस कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी संस्कृति की पहचान को संरक्षित करना, सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना, और नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ना रहा। आयोजकों ने बताया कि ऐसे प्रयासों से न केवल सांस्कृतिक धरोहर सशक्त होती है, बल्कि समाज में सांस्कृतिक एकता और सहभागिता की भावना भी पनपती है।
नृत्य मंडली प्रतिनिधि ने कहा: “हमारा प्रयास है कि अगली पीढ़ी को भी हमारी परंपराएं, गीत, नृत्य और लोकसंस्कृति पूरी गहराई के साथ सिखाई जाए। हम भविष्य में भी इस प्रकार के आयोजनों को जारी रखेंगे।”
प्रशासनिक सहभागिता और विभागीय सहयोग
इस कार्यक्रम का आयोजन सांस्कृतिक कार्य निदेशालय, पर्यटन, कला-संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के सहयोग से किया गया। यह पहल राज्य सरकार की उस नीति को आगे बढ़ाने का हिस्सा है जिसमें स्थानीय संस्कृति को सशक्त मंच दिया जा रहा है।
कार्यक्रम के दौरान स्थानीय ग्राम प्रधान, पंचायत प्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित रहे और उन्होंने आयोजन की सराहना की।
न्यूज़ देखो: संस्कृति के रंगों में रचा-बसा लातेहार
लातेहार का जगन्नाथ महोत्सव इस बार सिर्फ धार्मिक नहीं, सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक भी बना। “अबुआ संस्कृति अबुआ अखरा” जैसी थीम ने यह संदेश दिया कि हमारी स्थानीय संस्कृति, हमारी असली पहचान है।
न्यूज़ देखो जमीनी स्तर पर ऐसे आयोजनों की महत्ता को सामने लाता रहेगा और समाज को प्रेरित करता रहेगा कि संस्कृति और परंपरा के बीजों को नई पीढ़ी में बोया जाए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अपनी संस्कृति से जुड़ें, समाज को सशक्त बनाएं
हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि अपने क्षेत्र की सांस्कृतिक परंपराओं को जाने, पहचाने और उसमें सहभागी बनें। सांस्कृतिक एकता ही सामाजिक स्थायित्व की नींव है। इस खबर को पढ़ें, प्रतिक्रिया दें और इसे उन तक साझा करें, जो अपने समाज की जड़ों से फिर से जुड़ना चाहते हैं।