#रांची #विजयादशमी : 2 अक्टूबर को देशभर में रामलीला रावण दहन और दुर्गा विसर्जन के साथ पर्व का उत्सव
- 2 अक्टूबर को देशभर में विजयादशमी (दशहरा) का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा।
- रामलीला के मंचन, रावण दहन और दुर्गा पूजा विसर्जन से सजेगा उत्सव का माहौल।
- उत्तर भारत में आतिशबाज़ी और रावण दहन, पूर्वी भारत में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन।
- महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में शस्त्र पूजन, शोभायात्राएँ और डांडिया-गरबा के साथ पर्व का समापन।
- प्रशासन ने सुरक्षा, ट्रैफिक और शांति व्यवस्था के लिए विशेष इंतजाम किए हैं।
आने वाला गुरुवार, 2 अक्टूबर का दिन देशभर में उमंग और उल्लास का संदेश लेकर आएगा। हिंदू धर्म के सबसे बड़े पर्वों में से एक विजयादशमी पर उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक अलग-अलग परंपराओं के साथ जश्न मनाया जाएगा। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है।
अच्छाई की जीत का पर्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर माता सीता को मुक्त कराया था। दूसरी ओर मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार कर धरती को राक्षसों से मुक्त किया। यही कारण है कि विजयादशमी को सत्य और धर्म की विजय का पर्व माना जाता है।
क्षेत्रीय रंग और परंपराएँ
देशभर में इस पर्व को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।
- उत्तर भारत में रामलीला के मंचन के बाद रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशाल पुतले जलाए जाएंगे और आतिशबाज़ी से आकाश गूंजेगा।
- पूर्वी भारत — विशेषकर पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा में दुर्गा पूजा का समापन होगा। सिंदूर खेला के बाद मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन होगा और भक्त अगले साल के आगमन की प्रार्थना करेंगे।
- महाराष्ट्र और कर्नाटक में शस्त्र पूजन की परंपरा निभाई जाएगी और लोग सोना पत्ती (आपन-पत्ती) बांटेंगे।
- गुजरात में नौ दिन चले डांडिया और गरबा महोत्सव का समापन शोभायात्राओं और विशेष पूजन से होगा।
पर्व का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
रामलीला, दुर्गा पूजा और अन्य आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं हैं, बल्कि यह समरसता और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक भी हैं। यह पर्व हर वर्ष यह संदेश देता है कि चाहे कितनी भी बड़ी बुराई सामने आए, अंततः जीत हमेशा अच्छाई की ही होती है।
सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारियाँ
त्योहार के दौरान भीड़भाड़ वाले पंडालों, रामलीला मैदानों और विसर्जन स्थलों पर सुरक्षा की विशेष व्यवस्था की गई है। पुलिस बल की तैनाती बढ़ाई गई है और ट्रैफिक रूट भी बदले गए हैं ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो। प्रशासन ने लोगों से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है।
न्यूज़ देखो: त्योहार में एकता और व्यवस्था की मिसाल
विजयादशमी का पर्व केवल परंपराओं तक सीमित नहीं है, यह हमारी संस्कृति में धर्म, साहस और एकता का प्रतीक है। प्रशासन और समाज दोनों की जिम्मेदारी है कि इस अवसर पर शांति व्यवस्था बनी रहे और हर व्यक्ति सुरक्षित माहौल में त्योहार का आनंद ले सके।
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अच्छाई की राह पर चलें, समाज को मजबूत बनाएं
विजयादशमी हमें सिखाती है कि बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अंत में विजय सत्य और धर्म की ही होती है। इस पर्व पर हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि अपने जीवन में अच्छाई, न्याय और भाईचारे को अपनाएंगे। आइए हम सब मिलकर इस पर्व को और भी खास बनाएं — अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें ताकि अच्छाई और एकता का संदेश हर दिल तक पहुंचे।