राजभवन घेरेंगे जयराम महतो: 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति के लिए 5 जून को गरजेंगे

#खतियानी_पदयात्रा_2024 #जेएलकेएम_आंदोलन – झारखंड के हक-हकूक की लड़ाई ने पकड़ी रफ्तार, रांची में सरकार को दी जाएगी चुनौती

पदयात्रा ने पकड़ी रफ्तार, गिरिडीह में हुआ भव्य स्वागत

झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) द्वारा 1932 के खतियान को आधार मानकर स्थानीय नीति लागू करने की मांग को लेकर निकाली जा रही खतियानी पदयात्रा रविवार को देर शाम गिरिडीह पहुंची। पदयात्रा की शुरुआत 15 मई को दुमका से हुई थी और सोमवार को यह यात्रा रांची की ओर रवाना हो गई।

अधिकारों की लड़ाई के लिए कदम बढ़ा रहे हैं झारखंडी

कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पार्टी के केन्द्रीय उपाध्यक्ष अमित मंडल ने कहा कि यह यात्रा झारखंडियों के हक और पहचान की लड़ाई है। उन्होंने मांग की कि राज्य में 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति, नियोजन नीति और विस्थापन नीति को अविलंब लागू किया जाए।

प्रमुख मांगें जिन पर गरज रही है जेएलकेएम

जेएलकेएम के केन्द्रीय सचिव नागेन्द्र चन्द्रवंशी ने बताया कि पदयात्रा के माध्यम से पार्टी झारखंडियों के अधिकार सुनिश्चित कराने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने निम्नलिखित मांगें रखीं:

5 जून को रांची में राजभवन के समक्ष प्रदर्शन

नागेन्द्र चन्द्रवंशी ने बताया कि आगामी 5 जून को रांची स्थित राजभवन के समक्ष एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन होगा, जिसमें पार्टी के सुप्रीमो टाइगर जयराम महतो सरकार की नीतियों के खिलाफ हुंकार भरेंगे। यह प्रदर्शन जनता के अधिकारों को लेकर निर्णायक दबाव बनाने का प्रयास होगा।

पदयात्रा में जुटे राज्यभर से कार्यकर्ता

पदयात्रा में जेएलकेएम के केंद्रीय महामंत्री सिकंदर आलम, अर्जुन पंडित, रणधीर यादव (देवघर), जियाउल खान (गोड्डा), मुकेश सिंह (देवघर), छोटू यादव (जमुआ), सुभाष मंडल (पालजोरी), माथुर मंडल, संदीप मंडल, जियाउल हक, सुभाष यादव, अशोक यादव, छोटू राइन (गिरिडीह अल्पसंख्यक मोर्चा), संदीप मल्लाह, संदीप कुमार समेत कई कार्यकर्ता शामिल हुए।

न्यूज़ देखो : झारखंड की आत्मा से जुड़ा है यह संघर्ष

न्यूज़ देखो आपके सामने झारखंड के जमीनी आंदोलनों की आवाज़ ला रहा है। 1932 खतियान आधारित नीति की मांग केवल एक नीति का मसला नहीं, यह राज्य की अस्मिता और अधिकार की लड़ाई है। जयराम महतो का यह अभियान नई पीढ़ी को अधिकारों की चेतना से जोड़ रहा है।

संघर्ष के लिए उठे कदम ही बनाते हैं बदलाव की राह

झारखंड के युवाओं, किसानों और मजदूरों के हक के लिए जेएलकेएम की यह पदयात्रा एक ऐतिहासिक पहल है। अगर आप भी मानते हैं कि स्थानीय को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, तो जुड़िए इस आंदोलन की आवाज़ से। अधिकार की लड़ाई में चुप रहना भी अन्याय को समर्थन देना है

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