#गढ़वा #जलजीवनमिशन : अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने साझा किए अनुभव जागरूकता और सहयोग पर बल
- गढ़वा टाउन हॉल में जल जीवन मिशन के तहत संवाद कार्यक्रम का आयोजन।
- कार्यक्रम का शुभारंभ उपायुक्त महोदय ने दीप प्रज्वलित कर किया।
- प्रधान सचिव मस्त राम मीणा और अभियान निदेशक रमेश घोलप रहे मुख्य अतिथि।
- मुखिया, पंचायत सचिव और जल सहियाओं ने साझा किए अनुभव और सुझाव।
- जल संरक्षण, स्वच्छ पेयजल और सामुदायिक भागीदारी पर हुई विस्तारपूर्वक चर्चा।
गढ़वा जिले के टाउन हॉल में आज जल जीवन मिशन के तहत एक महत्वपूर्ण संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ उपायुक्त महोदय ने दीप प्रज्वलन कर किया। इस अवसर पर प्रधान सचिव मस्त राम मीणा और अभियान निदेशक रमेश घोलप मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी
इस संवाद कार्यक्रम में जिले के प्रखंड विकास पदाधिकारी, पंचायत प्रतिनिधि, पंचायत सचिव और बड़ी संख्या में जल सहियाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया। सभी ने अपने अनुभव और सुझाव साझा किए तथा जल जीवन मिशन की योजनाओं को जमीनी स्तर पर सफल बनाने के उपायों पर चर्चा की।
जल संरक्षण और स्वच्छ पेयजल पर जोर
कार्यक्रम के दौरान अधिकारियों ने कहा कि जल जीवन मिशन केवल पेयजल उपलब्ध कराने का अभियान नहीं है, बल्कि यह नागरिकों को जल संरक्षण और स्वच्छ पेयजल के महत्व को समझाने का भी एक माध्यम है। वक्ताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि जलापूर्ति व्यवस्था को सुदृढ़ करने के साथ-साथ जनजागरूकता फैलाना और समुदाय की सक्रिय भागीदारी ही इसकी सफलता की असली कुंजी है।
जल जीवन मिशन का महत्व
मुख्य अतिथि मस्त राम मीणा ने अपने संबोधन में कहा कि इस मिशन का मकसद ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में नल से जल उपलब्ध कराना है। वहीं, अभियान निदेशक रमेश घोलप ने कहा कि यदि हर परिवार तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाना है, तो स्थानीय स्तर पर पंचायतों और नागरिकों की भागीदारी अनिवार्य है।
न्यूज़ देखो: जल ही जीवन जागरूकता ही समाधान
गढ़वा टाउन हॉल का यह संवाद कार्यक्रम साफ संदेश देता है कि जल जीवन मिशन की सफलता केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं, बल्कि इसमें समाज की सक्रिय भागीदारी जरूरी है। जल संरक्षण और स्वच्छ पेयजल को जीवनशैली का हिस्सा बनाना ही टिकाऊ समाधान है।
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जल बचाना ही जीवन बचाना
अब समय है कि हम सभी जल संरक्षण को अपनी आदत बनाएं। सरकार की पहल तभी सफल होगी जब समाज इसमें पूर्ण सहयोग देगा। आज से ही छोटे-छोटे कदम उठाकर हम आने वाली पीढ़ियों को जल संकट से बचा सकते हैं।
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