#गारु #पेयजल_संकट – बच्चों से बुजुर्ग तक बीमारियों की चपेट में, पर्यटन स्थल पर भी पानी नहीं
- हुदूंगाड़ा गांव में वर्षों से नलों में नहीं आई एक बूंद पानी
- सुग्गाफॉल में जलमीनार जर्जर, प्यासे लौटते हैं सैलानी
- ग्रामीणों ने बताया, अब भी चुवाड़ी से पीते हैं गंदा पानी
- सरकारी कागज़ों में योजना पूरी, जमीनी हकीकत शून्य
- प्रशासन और पंचायत प्रतिनिधियों के जवाब मिले टालमटोल भरे
नल है लेकिन जल नहीं, ‘जल नल योजना’ बनी मजाक
लातेहार जिले के गारु प्रखंड स्थित हुदूंगाड़ा और सुग्गाफॉल क्षेत्र में सरकार की बहुचर्चित ‘जल नल योजना’ का हाल बेहद दुखद और शर्मनाक है। हुदूंगाड़ा गांव में कई साल पहले पाइपलाइन और नल तो लगा दिए गए, लेकिन आज तक उनमें एक बूंद पानी नहीं पहुंचा। सुग्गाफॉल, जो कि एक पर्यटन स्थल भी है, वहां की जलमीनार वर्षों से खराब पड़ी है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि—
“नल लगे तो कई साल हो गए, लेकिन पानी कभी नहीं आया। आज भी हम गंदे चुवाड़ी का पानी पीने को मजबूर हैं। कई बार शिकायत की, पर कोई सुनवाई नहीं होती।”
बीमार पड़ रहे ग्रामीण, सैलानी भी परेशान
पेयजल की कमी के कारण बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं पेट की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। दूसरी ओर, सुग्गाफॉल जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पर जब सैलानी पानी के लिए भटकते हैं, तो यह स्थानीय प्रशासन की नाकामी को उजागर करता है।
“हाथी के दांत” निकली योजना, कोई जवाबदेह नहीं
ग्रामीणों ने कहा कि यह योजना सिर्फ कागजों पर पूरी दिख रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर नदारद है। जब पंचायत प्रतिनिधियों और संबंधित विभागों से सवाल किया गया तो किसी ने भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया और जिम्मेदारी से बचते नजर आए।
“सरकार ने योजना को लागू दिखाकर सिर्फ आंकड़ों को सुंदर बनाया है, लेकिन गांव के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।”
प्रशासन से ग्रामीणों की मांग
हुदूंगाड़ा के ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि जल नल योजना को शीघ्र चालू किया जाए और सुग्गाफॉल जैसे पर्यटन स्थलों पर भी पेयजल की बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराई जाए, ताकि स्थानीयों और पर्यटकों दोनों की परेशानी दूर हो।
न्यूज़ देखो: योजनाओं का सच दिखाना हमारा दायित्व
‘न्यूज़ देखो’ का उद्देश्य है उन सच्चाइयों को सामने लाना, जो फाइलों में दबी रह जाती हैं।
हुदूंगाड़ा और सुग्गाफॉल की यह स्थिति यह दिखाती है कि जनता के जीवन से जुड़ी योजनाएं तभी सार्थक होंगी जब उन्हें ईमानदारी से लागू किया जाए।
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