#गढ़वा #जलसहियामानदेय : जल सहिया संघर्ष समिति ने बकाया भुगतान और विभागीय शिकायतों के समाधान के लिए उपायुक्त और उप विकास आयुक्त से वार्ता की और आंदोलन स्थगित किया।
- जल सहिया संघर्ष समिति के पदाधिकारी और सदस्य पिछले एक साल से बकाया मानदेय और प्रोत्साहन राशि की मांग कर रहे थे।
- उपायुक्त दिनेश कुमार यादव और उप विकास आयुक्त पशुपति नाथ मिश्रा से समिति ने मुलाकात की।
- गढ़वा जिले के 800 से अधिक जल सहिया का भुगतान राज्य सरकार के आदेश के बावजूद नहीं किया गया।
- मुलाकात के बाद समिति के संरक्षक और भाजपा नेता सूरज गुप्ता ने बताया कि भुगतान एक सप्ताह के भीतर किया जाएगा।
- आंदोलनात्मक कार्यक्रम को स्थगित कर सभी जल सहिया अपने हक और सम्मान के लिए एकजुट रहने का संकल्प लिया।
गढ़वा जिले में जल सहिया संघर्ष समिति ने पिछले एक साल से बकाया मानदेय और प्रोत्साहन राशि तथा अन्य विभागीय शिकायतों को लेकर उपायुक्त दिनेश कुमार यादव और उप विकास आयुक्त पशुपति नाथ मिश्रा से मुलाकात की। समिति का आरोप था कि राज्य सरकार के आदेश के बावजूद गढ़वा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा जिले भर की आठ सौ से अधिक जल सहिया का मानदेय भुगतान नहीं किया गया। इससे दशहरा जैसे पर्वों का आनंद भी प्रभावित हुआ और समिति ने इसे जानबूझकर की गई लापरवाही करार दिया।
वार्ता और समाधान
मुलाकात में उपायुक्त महोदय ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारियों से फोन पर वार्ता की। अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया गया। इसके बाद जल सहिया बहनों ने आगामी आंदोलनात्मक कार्यक्रम को स्थगित कर दिया।
संघ के मुख्य संरक्षक सूरज गुप्ता ने कहा: “केंद्रीय और राज्य सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने में सबसे बड़ा योगदान जल सहिया का है, लेकिन उनके पेट और बच्चों की चिंता विभागीय अधिकारियों को नहीं है। ऐसे अधिकारियों को चिन्हित कर इनके खिलाफ राज्य स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।”
जल सहिया संघ का आह्वान
सूरज गुप्ता ने सभी जल सहिया से अपने हक और सम्मान के लिए एकजुट रहने का आह्वान किया। संघ की जिला अध्यक्ष मालती देवी ने कहा कि एक सप्ताह के बाद पूरे जिले की जल सहिया एकजुट होकर आगे का निर्णय लेंगे।
प्रतिनिधिमंडल में महासचिव रेखा देवी, कोषाध्यक्ष संयुक्ता देवी, अनीता देवी, उर्मिला देवी, प्रमिला देवी, रिंकी देवी, रूपवंती देवी, आशा देवी सहित अन्य जल सहिया शामिल थीं।
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यह कहानी यह दिखाती है कि संगठन और एकजुटता से काम करने पर प्रशासनिक स्तर पर तत्काल कार्रवाई संभव है। जल सहिया बहनों ने अपने हक और सम्मान की लड़ाई में अनुशासन और विवेक का परिचय दिया।
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हक और सम्मान के लिए सजग बनें
अपने हक और अधिकारों के लिए एकजुट रहना समाज की जिम्मेदारी है। जल सहिया संघर्ष समिति की तरह आप भी अपने समुदाय के लिए आवाज उठाएं, अपने विचार कमेंट में साझा करें, और इस खबर को फैलाकर जागरूकता बढ़ाएं। न्याय और सम्मान की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाना हर नागरिक का कर्तव्य है।