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धार्मिक उत्साह और भाईचारे के संग बिंदुआ डेवडर में निकली जुलूस ए मोहम्मदी: मस्जिदों और चौक-चौराहों पर सजी रौनक

#पलामू #ईदमिलादुन्नबी : पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिवस पर मुस्लिम समुदाय ने बड़े ही अकीदत और मोहब्बत के साथ जुलूस निकाला

पलामू के उंटारी रोड प्रखंड क्षेत्र के बिंदुआ डेवडर में शुक्रवार को मुस्लिम समुदाय ने पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद के जन्म दिवस की खुशियों में जुलूस ए मोहम्मदी निकाला। मस्जिद ए मोहम्मदी से शुरू हुआ यह जुलूस बिंदुआ डेवडर, जगदीशपुर स्कूल और भागोडी होते हुए वापस मस्जिद तक पहुँचा। रास्ते भर नारे-ए-तकबीर और सरकार की आमद मरहबा के नारों से माहौल पूरी तरह जश्न और अकीदत में डूब गया।

जुलूस का रूट और माहौल

सुबह से ही अकीदमंदों की भीड़ मस्जिद ए मोहम्मदी के पास जमा होने लगी। जुलूस में बच्चे, बुज़ुर्ग और नौजवान मज़हबी झंडे लेकर शरीक हुए। पूरे रास्ते ‘सरकार की आमद मरहबा’ और ‘रसूल की शान अल्लाह-अल्लाह’ जैसे नारों की गूंज सुनाई देती रही।

सजावट और इंतज़ामात

इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक 12 रबीउल अव्वल को पैगंबर मोहम्मद का जन्म हुआ था और इसी को ईद मिलादुन्नबी के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर बिंदुआ डेवडर की मस्जिदों और गलियों को झंडों, रोशनी और लाइटों से सजाया गया। जगह-जगह लोगों को शरबत और मिठाई पेश की गई। धार्मिक रंग और भाईचारे की रौनक से पूरा इलाका जगमगा उठा।

उलेमा और अंजुमन का संदेश

मौके पर मौजूद उलेमा और अंजुमन कमेटी के पदाधिकारियों ने कहा कि पैगंबर-ए-इस्लाम ने मोहब्बत, इंसाफ और इंसानियत का पैगाम दिया। आज का दिन हमें उनकी शिक्षाओं और जीवन के उसूलों को याद करने का मौका देता है।

अंजुमन कमेटी के सदर खाताबुद्दीन अंसारी ने कहा: “रसूल साहब ने हमें मोहब्बत और भाईचारे का रास्ता दिखाया है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके बताए हुए रास्ते पर चलें और इंसाफ व सलामती का पैगाम समाज में फैलाएं।”

प्रशासन और स्थानीय मौजूदगी

जुलूस के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से उंटारी थाना के एएसआई संजय कुमार अपनी टीम के साथ मुस्तैदी से डटे रहे। कांग्रेस 20 सूत्री अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह, अंजुमन कमेटी के सदर खाताबुद्दीन अंसारी, मस्जिद के इमाम साहब समेत बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद थे।
इस मौके पर मुस्तकीम अंसारी, महमूद अंसारी, शम्सुद्दीन अंसारी, शहादत हुसैन, तैयब अंसारी, मकसूद अंसारी, अली हुसैन अंसारी, छोटू अंसारी सहित सैकड़ों अकीदमंद शामिल हुए।

भाईचारे का पैगाम

जुलूस ए मोहम्मदी के इस जश्न ने न केवल धार्मिक उत्साह जगाया बल्कि समाज में मोहब्बत और भाईचारे का पैगाम भी दिया। हर तरफ एकता और सलामती की दुआएं मांगी गईं और बच्चों ने बुजुर्गों से रसूल की शिक्षाओं को जानने की कोशिश की।

न्यूज़ देखो: अमन और भाईचारे का जश्न

इस जुलूस ने एक बार फिर साबित किया कि धार्मिक पर्व सिर्फ मज़हबी नहीं बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे के भी प्रतीक हैं। मुस्लिम समुदाय ने जुलूस ए मोहम्मदी के माध्यम से न सिर्फ अपनी अकीदत का इज़हार किया बल्कि समाज को इंसाफ और मोहब्बत का पैग़ाम भी दिया।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

मोहब्बत और सलामती का पैग़ाम

आज का दिन हमें यह सिखाता है कि इंसाफ और मोहब्बत के रास्ते पर चलकर ही समाज को बेहतर बनाया जा सकता है। अब वक्त है कि हम सब मिलकर भाईचारे को मज़बूत करें और अमन का पैगाम फैलाएं।
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