
#गिरिडीह #सदरअस्पताल #जमुआविधायक – स्वास्थ्य तंत्र की जमीनी हकीकत उजागर, प्रसूति महिला को नहीं मिला समय पर इलाज
- जमुआ विधायक डॉ. मंजू कुमारी ने सदर अस्पताल की दुर्दशा पर जताई नाराजगी
- डिलीवरी केस में महिला डॉक्टर की अनुपस्थिति से बिगड़ा मरीज का हाल
- विधायक ने आधी रात अस्पताल जाकर खुद देखा हालात
- सिविल सर्जन ने ग़लत दावा किया डॉक्टर की उपस्थिति का
- अस्पतालों में व्यवस्था सिर्फ नर्सों के भरोसे, गंभीर सवाल सरकार पर
प्रसूता को बिना डॉक्टर के छोड़ा, अस्पताल की हालत देख व्यथित हुईं विधायक
बुधवार सुबह 10 बजे जमुआ विधायक डॉ. मंजू कुमारी ने गिरिडीह में मीडिया से बात करते हुए सदर अस्पताल की बदतर व्यवस्था पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि मंगलवार रात करीब 11 बजे, जमुआ विधानसभा क्षेत्र के नवडीहा पंचायत निवासी एक व्यक्ति अपनी पत्नी को डिलीवरी के लिए सदर अस्पताल चैताडीह लेकर पहुंचे, लेकिन वहां महिला डॉक्टर की अनुपस्थिति से इलाज बाधित हो गया।
“सुनते ही मैंने तुरंत सिविल सर्जन से संपर्क किया, जिन्होंने कहा कि डॉक्टर मौजूद हैं। लेकिन जब मैं आधी रात को खुद अस्पताल पहुंची, तो कोई डॉक्टर वहां नहीं थी। मेरे पहुंचने के बाद ही डॉक्टर आवास से अस्पताल आईं।” — डॉ. मंजू कुमारी
सिस्टम की पोल खोलता जमीनी सच
विधायक ने कहा कि यह सिर्फ एक रात की कहानी नहीं है, बल्कि गिरिडीह और जमुआ के कई सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था सिर्फ नर्सों के भरोसे चल रही है। यह न केवल जनता की जान के साथ खिलवाड़ है, बल्कि राज्य सरकार की नाकामी का ज्वलंत उदाहरण भी है।
कब सुधरेगी स्वास्थ्य व्यवस्था?
डॉ. मंजू कुमारी ने सवाल उठाया कि आखिर कब तक प्रसूति अस्पताल डॉक्टरों के बिना चलाए जाते रहेंगे? कब तक आम जनता को अस्वस्थ्य तंत्र की लापरवाही का शिकार होना पड़ेगा?
“क्या यह उचित है कि गर्भवती महिलाओं को रात में डॉक्टर के बिना अस्पतालों में छोड़ दिया जाए? सरकार को इस पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए।” — डॉ. मंजू कुमारी
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