
#गिरिडीह : रेलवे ओवरब्रिज के ऊपर और नीचे की सड़क टूटी — विभागों की जिम्मेदारी से बचने की होड़ में फंसी जनता
- पचंबा रेलवे ओवरब्रिज से होकर गुजरने वाली सड़क की हालत बेहद खराब
- बाईपास होकर सलैया स्टेशन से बाबाजी खुट्टा होते हुए तेलोडीह तक फैला है जर्जर मार्ग
- हर दिन हो रही हैं दुर्घटनाएं, वाहन और लोग हो रहे घायल
- रेलवे और रोड डिवीजन के बीच जिम्मेदारी टालने का खेल जारी
- स्थानीयों में नाराजगी, जल्द मरम्मत नहीं हुई तो आंदोलन की चेतावनी
भारी वाहनों की आवाजाही में जान का खतरा
गिरिडीह जिले को जमुआ से जोड़ने वाला पचंबा ओवरब्रिज और इससे सटे बाईपास रोड की हालत बद से बदतर हो चुकी है। शनिवार दोपहर 12 बजे स्थानीय नागरिकों ने इसे “बड़ी जनसमस्या” बताते हुए नाराजगी जाहिर की। यह सड़क सलैया रेलवे स्टेशन होते हुए बाबाजी खुट्टा रोड से तेलोडीह को जोड़ती है, और प्रतिदिन हजारों वाहन—खासकर भारी मालवाहक—इसी मार्ग से गुजरते हैं।
हादसों का बना गड्ढों वाला गलियारा
सड़क पर जगह-जगह बने बड़े-बड़े गड्ढे और टूटी हुई परतें अब जानलेवा बन चुकी हैं। हर दिन किसी न किसी वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर आती है। लोग कहते हैं कि इन गड्ढों में गिरकर कई राहगीर और दोपहिया सवार गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। वाहनों के क्षतिग्रस्त होने के साथ-साथ दिनभर लगने वाला जाम लोगों की परेशानी को और बढ़ा रहा है।
स्थानीय निवासी रामजी साव ने कहा:
“हर दिन जाम में फंसकर लोग घंटों परेशान होते हैं। प्रशासन और विभागीय अधिकारियों को कई बार शिकायत दी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।”
जिम्मेदारी से बचता प्रशासन, जनता परेशान
जब इस जनसमस्या को लेकर रेलवे अधिकारियों से संपर्क किया गया, तो उन्होंने इसे “रोड डिवीजन का मामला” बताकर टाल दिया। वहीं, रोड डिवीजन के अधिकारियों ने इस पर जवाब देते हुए इसे रेलवे का जिम्मा बताया। नतीजा ये कि दोनों विभागों के बीच फेंका-फेंकी में सड़क की मरम्मत अधर में लटकी हुई है, और जनता बिना किसी दोष के भुगत रही है।
क्या अब होगा समाधान?
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि जल्द इस सड़क की मरम्मत नहीं की गई, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। इस क्षेत्र की जनसंख्या, वाहनों की संख्या और व्यवसायिक गतिविधियों को देखते हुए यह मार्ग बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही इसे जानलेवा बना चुकी है।
न्यूज़ देखो: जवाबदेही से दूर तंत्र, खतरे में जनता की जान
न्यूज़ देखो यह सवाल उठाता है कि जब विभागीय जिम्मेदारियां तय हैं, तो मरम्मत में देरी क्यों? रेलवे हो या रोड डिवीजन—दोनों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। जनता को जोखिम में डालने वाली ऐसी लापरवाही पर त्वरित संज्ञान लिया जाना चाहिए, ताकि कोई बड़ा हादसा होने से पहले समाधान निकल सके।
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जनहित के मुद्दों पर न रुके आवाज
सड़क की मरम्मत की मांग केवल सुविधा का नहीं, बल्कि सुरक्षा का भी सवाल है। जनता को चाहिए कि वे अपनी आवाज संगठित तरीके से उठाएं, विभागीय कार्यालयों में शिकायत दर्ज कराएं और इस खबर को अपने क्षेत्र में अधिक से अधिक साझा करें, ताकि जिम्मेदार सिस्टम पर दबाव बनाया जा सके।